विस्तारित रिपोर्ट: एनटीपीसी, सीपत में मेंटेनेंस के दौरान बड़ा हादसा

विस्तारित रिपोर्ट: एनटीपीसी, सीपत में मेंटेनेंस के दौरान बड़ा हादसा

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर ज़िले के सीपत क्षेत्र में स्थित एनटीपीसी (NTPC) पावर प्लांट में बुधवार, 6 अगस्त 2025 को ऐसा हादसा हुआ कि लोगों की सांसे थम गईं। मेंटेनेंस के दौरान एक भारी-भरकम कूलर वर्कर्स के ऊपर गिर गया। इस घटना में 5 कामगार दब गए, जिनमें से एक की मौत हो गई और चार अन्य गंभीर रूप से घायल हुए।

घटना की शुरूआत

एनटीपीसी के बायलर यानि बॉयलर यूनिट के पास मेंटेनेंस का काम चल रहा था। यह काम नियमित रख-रखाव का हिस्सा था, लेकिन उस दौरान एक बड़ा कूलर ऊपर से गिर पड़ा। बताया जा रहा है कि कूलर इतना भारी था कि गिरने की शक्ति-प्रभाव से नीचे काम कर रहे वर्कर्स दब गए। घटना के बाद मौके पर मौजूद अन्य कर्मचारी तुरंत दखल देने की कोशिश करने लगे और दबे लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की गई।

बचाव एवं अस्पताल ले जाने का क्रम

जैसे ही हादसा हुआ, तुरंत आपातकालीन प्रतिक्रिया शुरू की गई। दबे हुए पांचों कर्मचारियों को तुरंत अस्पताल ले जाने की कोशिश की गयी।其中 से दो को ‘सिम्स’ (SIMS) अस्पताल रेफर किया गया। रेफर किए गए दो में से एक की तबीयत इतनी ज़्यादा खराब हुई कि अस्पताल पहुँचते-पहुँचते उसकी मौत हो गई। बाकी तीन को एनटीपीसी के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उनका इलाज चल रहा है। घायलों की स्थिति गंभीर बतायी जा रही है।

पुलिस और प्रशासन की भागीदारी

घटना की सूचना मिलते ही सीपत थाना पुलिस और डीएसपी सिद्धार्थ बघेल घटनास्थल पर पहुँचे। राहत-बचाव दल मौके पर सक्रिय हुए। प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गयी है कि कूलर किस वजह से गिरा — क्या लंगर या सीढियाँ ठीक तरह से नहीं लगी थीं, इस्पात संरचना में कोई कमजोरी थी, सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ या अन्य तकनीकी समस्या थी।

क्या-क्या जानकारी अभी तक मिली है

  • पांच वर्कर्स दबे, एक की मौत और चार गंभीर रूप से घायल।

  • घटना के समय जो लोग घायल हुए, उनमें से कुछ को तुरंत स्थानांतरण करना पड़ा।

  • हादसे की वजह का पता नहीं चल पाया है, जांच जारी है।

  • पुलिस और सुरक्षा विभाग ने बयान दिए हैं कि सभी पक्षों की जिम्मेदारी तय होगी।

संभावित कारण और चिंताएँ

इस तरह के औद्योगिक हादसों में अक्सर निम्नलिखित कारण सामने आते हैं:

  1. सुरक्षा मानकों की अनदेखी — अगर कूलर को अच्छी तरह से जकड़ा नहीं गया हो या उसकी लंगर प्रणाली (लिफ्टिंग हुक, ताले, ट्रस आदि) ठीक न हो, तो खतरनाक स्थिति हो सकती है।

  2. मेंटेनेंस प्रक्रियाओं में चूक — मेंटेनेंस के दौरान कूलर को नीचे उतारने या समर्थन देने के तरीके में कहीं गलती हुई हो सकती है।

  3. प्रशिक्षण की कमी — कर्मियों को अगर पर्याप्त सुरक्षा प्रशिक्षण न मिला हो, या वे सुरक्षा उपकरणों (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स) का सही इस्तेमाल न कर पा रहे हों।

  4. नियंत्रण और निरीक्षण की कमी — नियमित निरीक्षण, गुणवत्ता नियंत्रण और सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा नहीं हुई हो सकती है।

मानवीय और आर्थिक असर

इस हादसे का सीधा असर उन परिवारों पर पड़ा है, जिनके प्रियजनों को जान का नुकसान हुआ या वे गंभीर रूप से घायल हुए। एक मौत ने परिवार को अपूरणीय पीड़ा दी है। अन्य घायलों को इलाज के लिए अस्पतालों का सहारा लेना पड़ा है, अस्पताल खर्च, समय-समय पर काम से अनुपस्थिति, रिकवरी की प्रक्रिया आदि सब पर दबाव है।

साथ ही, ऐसे हादसे कामगारों की मनोवैज्ञानिक स्थिति पर भी असर करते हैं — भय, असुरक्षा की भावना, काम पर लौटने में अनिच्छा इत्यादि।

ज़रूरी कदम और सुधार

हादसे के बाद जो सुधार हो सकते हैं, उनमें ये शामिल हो सकते हैं:

  • मेंटेनेंस कार्यों के लिए स्पष्ट सुरक्षा प्रोटोकॉल तैयार करना, जिसमें भारी उपकरणों के संभालने, समर्थन देने, और उठाने-बाकी इंतज़ाम की अपनी जिम्मेदारी हो।

  • कर्मचारियों को सुरक्षा प्रशिक्षण देना, और यह सुनिश्चित करना कि सभी प्रोटेक्शन इक्विपमेंट्स (हेलमेट, दस्ताने, सुरक्षा बेल्ट आदि) उपलब्ध हों और उपयोग हो रहे हों।

  • उपकरणों की नियमित जांच-पड़ताल करना। लंगर, रस्सियाँ, क्रेन आदि का बिजली, धातु थकान आदि संबंधी परीक्षण होना चाहिए।

  • इंडस्ट्री में सेफ्टी ऑडिट करवाना, और अगर मानक पूरे नहीं होते, तो तुरंत सुधार कराना।

  • सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के लिए जवाबदेही तय होना चाहिए, ताकि किसी भी लापरवाही पर सख्त कार्रवाई हो सके।

निष्कर्ष

इस घटना ने एक बार फिर याद दिलाया है कि जब भारी मशीनरी और भारी-भरकम उपकरणों के साथ काम हो रहा हो तो सुरक्षा किसी मृगतृष्णा नहीं हो सकती। “काम चलता रहेगा” की मानसिकता भारी पड़ सकती है। कर्मचारियों की ज़िंदगी और स्वास्थ्य श्रेष्ठतम प्राथमिकता होनी चाहिए।

एनटीपीसी जैसे बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठान से उम्मीद की जाती है कि वे अपने मेंटेनेंस, सुरक्षा प्रक्रियाएँ, कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही दिखाएँ। प्रशासन, कंपनियाँ और सरकारी विभाग मिलकर काम करें ताकि आगे ऐसी दुर्घटनाएँ न हों।

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