औचक निरीक्षण में अनुपस्थित पाए गए हेडमास्टर, बीईओ ने थमाया नोटिस

औचक निरीक्षण में अनुपस्थित पाए गए हेडमास्टर, बीईओ ने थमाया नोटिस

11, 8, 2025

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बिलासपुर के पोडी-उपरोड़ा ब्लॉक का एक मामला सामने आया है जिसमें एक हेडमास्टर औचक निरीक्षण में अनुपस्थित पाए गए और उन्हें “कारण बताओ नोटिस” जारी किया गया है। नीचे रिपोर्टर-स्टाइल में पूरा आर्टिकल है (~900 शब्द), और थीम-इमेज का सुझाव भी दूँगा।


औचक निरीक्षण में अनुपस्थित पाए गए हेडमास्टर, BE0 ने थमाया नोटिस

बिलासपुर। पोडी-उपरोड़ा ब्लॉक के विकासखंड शिक्षा अधिकारी केआर दयाल ने शिक्षण प्रणाली की जवाबदेही सुनिश्चित करने की रणनीति के तहत विभिन्न स्कूलों का अचानक निरीक्षण किया। इस दौरान प्राथमिक शाला खरपड़ी (संकुल रोदे) के हेडमास्टर प्रताप सिंह तंवर अनुपस्थित पाए गए। उनकी अनुपस्थिति पर अधिकारी ने “कारण बताओ नोटिस” जारी कर दिया है। इस घटना ने शिक्षा विभाग और पारंपरिक शिक्षक अशिष्टता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।


निरीक्षण की शुरुआत और स्कूलों की स्थिति

विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने सोमवार सुबह पोडी-उपरोड़ा ब्लॉक की प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं का निरीक्षण करने का कार्यक्रम बनाया था। कार्यक्रम का मकसद था यह देखना कि क्या शिक्षकों की उपस्थिति, शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों को मिलने वाली सुविधाएं ठीक तरीके से निभायी जा रही हैं। इसके तहत अनेक स्कूलों में दौरा किया गया:

  • प्राथमिक शाला खरपड़ी (संकुल रोदे), जहाँ हेडमास्टर अनुपस्थित पाए गए

  • प्राथमिक शाला फुलसर

  • माध्यमिक शाला शर्मा

  • प्रारंभिक शाला तनेरा

  • प्राथमिक शाला कररा बहरा

  • प्राथमिक शाला सुखारीताल

  • माध्यमिक शाला हरदेवा

निरीक्षण के दौरान देखा गया कि अधिकांश स्कूलों में विद्यार्थी समय से विद्यालय पहुँच रहे थे और मध्याह्न भोजन की व्यवस्था और नाश्ते की सुविधा उपलब्ध थी, लेकिन कुछ जगहों पर शिक्षक अनुपस्थित थे या आवासीय व्यवस्था अच्छी नहीं थी।


हेडमास्टर की अनुपस्थिति और नोटिस

प्राथमिक शाला खरपड़ी में जब विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने कार्यालय का निरीक्षण किया, तो पाया गया कि हेडमास्टर प्रताप सिंह तंवर विद्यालय में नहीं हैं। उनका पता नहीं था कि कार्यालय बाहर क्यों हैं या किस समय उपस्थित होंगे। ऐसे में शिक्षा अधिकारी ने उन्हें “कारण बताओ” नोटिस थमा दिया है, जिसमें तीन दिन के अंदर समुचित स्पष्टीकरण पेश करने को कहा गया है।

नोटिस में यह भी कहा गया है कि अनुपस्थिति और समयपालन की जवाबदेही शिक्षा विभाग द्वारा ली जाएगी। यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाया गया, तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी, जिसमें प्राथमिक कार्यवाही, सस्पेंशन या अन्य अनुशासनात्मक प्रक्रिया शामिल हो सकती है।


शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया और आश्वासन

विकासखंड शिक्षा अधिकारी केआर दयाल ने बताया कि इस तरह के औचक निरीक्षण से शिक्षक व प्रशासकीय तंत्र की जवाबदेही बढ़ती है। उनका कहना है कि नियमित उपस्थिति, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और समय पर भोजन एवं नाश्ते की व्यवस्था इस विभाग की प्राथमिकता है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि आवासीय स्थिति और शिक्षक के प्रधान कार्यालय में रहने की बात भी महत्वपूर्ण है ताकि वे बच्चों की ज़रूरतों के प्रति सजग हों और आवश्यक समय पर स्कूल में उपस्थित हों।


सामाजिक और शैक्षणिक प्रभाव

इस घटना का प्रभाव बच्चों, अभिभावकों और समुदाय पर महसूस किया जा रहा है। अभिभावकों का कहना है कि शिक्षक की अनुपस्थिति से शिक्षा में बाधा आती है और उनका भरोसा टूटता है। बच्चों को समय पर पढ़ने और होमवर्क या कक्षा सामग्री में पिछड़ापन महसूस होता है।

शिक्षक समुदाय में भी चर्चा है कि इस तरह की बचाव तंत्र और अनुशासन की उम्मीद होना चाहिए ताकि शिक्षा विभाग की विश्वसनीयता बनी रहे।


संभावना और सुझाव

इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ कदम सुझाये जा सकते हैं:

  1. निरंतर औचक निरीक्षण – ब्लॉक व जिला स्तर पर समय-समय पर निरीक्षण किया जाए।

  2. शिक्षकों के आवास की व्यवस्था – यदि प्रधान कार्यालय आवासीय हो तो शिक्षक को उसी परिसर में निवास करना चाहिए ताकि समय से उपस्थिति सुनिश्चित हो सके।

  3. उत्तरदायित्व तय करना – अनुपस्थिति के मामलों में त्वरित स्पष्टीकरण और यदि ज़रूरत हो तो शिथिलता के लिए कार्रवाई।

  4. अभिभावकों और स्थानीय समुदाय की भागीदारी – विद्यालयों में समुदाय समीक्षा समिति या स्कूल विकास एवं प्रबंधन समिति को शामिल करना चाहिए ताकि समस्याएँ सामने आएँ।

  5. शिक्षा विभाग की निगरानी प्रणाली सुधारें – ऑनलाइन रिपोर्टिंग, जिले-ब्लॉक स्तर पर जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करें ताकि पारदर्शिता बनी रहे।


बिलासपुर के पोडी-उपरोड़ा ब्लॉक में औचक निरीक्षण द्वारा हेडमास्टर की अनुपस्थिति और शुरू की गई जवाबदेही प्रक्रिया शिक्षा व्यवस्था की मजबूत नींव की ओर एक संकेत है। यदि इस तरह की कार्रवाई नियमित हो और शिक्षक एवं प्रशासन दोनों मिलकर जवाबदेही निभाएँ, तो न केवल स्कूलों में अनुशासन बढ़ेगा बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

यह घटना प्रमाण है कि सरकार औऱ शिक्षा विभाग शिक्षक-उपस्थिति, समयपालन और स्कूल प्रशासन की पारदर्शिता को लेकर सख्त है, और ऐसा होना चाहिए क्योंकि शिक्षा में देरी और लापरवाही से छात्रों का समय और अवसर दोनों बर्बाद होते हैं।

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