प्रार्थना सभा के ज़रिये धर्मांतरण का आरोप, सीपत में पुलिस की रेड; 7 गिरफ्तार

प्रार्थना सभा के ज़रिये धर्मांतरण का आरोप, सीपत में पुलिस की रेड; 7 गिरफ्तार

11, 8, 2025

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बिलासपुर। जिले के सीपत क्षेत्र में प्रार्थना सभा के बहाने धर्मांतरण की आशंका के बाद पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस वालों और कुछ हिन्दू संगठनों से जुड़े लोगों ने सभा को तोड़ने की कोशिश की, जिससे वहां पथराव की घटना हुई। इस घटना के सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है, और इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है।


क्या हुआ था उसके पहले

स्थानीय लोगों ने बताया कि सीपत के नवाडीह चौक के पास एक प्लाट है — तिवारी प्लाट — जहां रविवार की सुबह एक प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ था। आयोजन में करीब 150-200 लोग मौजूद थे, जिसमें महिलाएँ, पुरुष और बच्चे सभी शामिल थे। वहाँ लोगों को भोजन और बाइबिल वितरित की जा रही थी।

मौके पर यह सूचना मिली कि सभा के ज़रिये प्रार्थना के बाद लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। हिन्दू संगठनों के सदस्यों ने यह दावा किया कि यह आयोजन एक निजी धर्म परिवर्तन अभियान है। यह सूचना मिलते ही कुछ स्थानीय लोग और हिन्दू संगठन वहां पहुंचे और सभा आयोजकों को बाहर बुलाने की मांग की।


पथराव और तनाव की स्थिति

सभा के आस-पास मौजूद लोगों और आयोजकों के बीच विवाद बढ़ गया। स्थानीय लोगों ने आयोजकों से कहा कि वे खुले मंच पर न आएँ तो पथराव किया जाएगा। इसका असर यह हुआ कि दोनों ओर से कुछ लोग पथराव करने लगे। खाद्य सामग्री और बाइबिल बाँटने वालों ने विरोध करने वालों को खिसकाने की कोशिश की। स्थिति बिगड़ते देख पुलिस को बुलाया गया।

पुलिस जब पहुँची, तो सभा को नियंत्रित करने की कोशिश की गई, पथराव करने वालों पर लाठी-चार्ज की गुहार हुई। अधिकारियों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए रेड की कार्रवाई की।


गिरफ्तार किए गए आरोपी

पुलिस ने इस मामले में विजय सहिस, राजू साहू, गीताराम साहू, देवेंद्र यादव, गौतम साहू, राहुल राज और कमलेश सोनवानी को हिरासत में लिया है। उन सभी पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें सार्वजनिक अशांति फैलाने, बिना अनुमति सभा आयोजित करने, उकसावे के लिए जिम्मेदार और धर्म परिवर्तन अधिनियम की धाराएँ शामिल हैं।


कानूनी धाराएँ और पुलिस की कार्रवाई

मामले में पुलिस ने कुछ आपराधिक धाराएँ लगाई हैं जैसे कि धर्म परिवर्तन अधिनियम, सार्वजनिक सुरक्षा कानून, उपद्रव और पथराव से जुड़ी धाराएँ।

थाना क्षेत्राधिकारी ने बताया कि गिरफ्तारियों के बाद पुलिस ने आयोजन स्थल से बाइबिल और अन्य साहित्य जब्त किया है, साथ ही भोजन सामग्री की भी जांच की जा रही है।

पुलिस ने यह स्पष्ट किया है कि धर्म बदलने का कोई भी मामला होगा, वह कानूनी प्रक्रिया के अधीन होगा। यदि आरोप सही पाए गए तो आयोजकों के खिलाफ सजा हो सकती है।


सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

इस तरह की घटनाएँ धार्मिक सौहार्द और सामाजिक एकता पर असर डाल सकती हैं। स्थानीय समुदायों में डर है कि छोटे-से-छोटे आयोजन भी विवाद का कारण बन सकते हैं।

कई सामाजिक कार्यकर्ता कह रहे हैं कि धर्मांतरण की घटनाओं की जांच पारदर्शी होनी चाहिए और किसी के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।

राजनीतिक दलों ने भी इस मामले पर बयान दिए हैं — कुछ ने पुलिस कार्रवाई की सराहना की है, तो कुछ ने कहा है कि हिन्दू और ईसाई समुदायों के बीच शांति बनाए रखना ज़रूरी है और कानून का पालन होना चाहिए।


संभावित आगे की प्रक्रियाएँ

अगले कुछ दिनों में यह देखना होगा कि पुलिस आगे की क्या कार्रवाई करती है:

  • गिरफ्तार आरोपियों की न्यायालय में पेशी होगी।

  • सभा आयोजनकर्ताओं और विरोध करने वालों, दोनों के बयानों की जांच होगी।

  • कैमरा फुटेज, कॉल रिकॉर्ड, वीडियो क्लिप इत्यादि साक्ष्यों की समीक्षा की जाएगी।

  • यदि कार्यक्रम के आयोजक धर्म परिवर्तन नामक गैर-कानूनी दबाव डालने का दोषी पाए गए, तो गंभीर सज़ा हो सकती है।


बिलासपुर सीपत का मामला संकेत है कि धर्म और धार्मिक गतिविधियों से जुड़ी घटनाओं में संवेदनशीलता बहुत ज्यादा है। कानून, सामाजिक न्याय और धार्मिक स्व-इच्छा के बीच संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है। पुलिस कार्रवाई और सामाजिक चेतावनी इस बार कई लोगों की निगाहों में है।

इस घटना ने दिखाया है कि सूचना मिलने पर तुरंत कदम उठाना अपेक्षित है, लेकिन कदम उठाते समय सामाजिक शांति बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है।

अगर जांच निष्पक्ष होगी, साक्ष्य साफ होंगे, और कानून लागू होगा, तो यह घटना एक उदाहरण बनेगी कि कैसे धार्मिक फ़्रीडम और सामाजिक सुरक्षा दोनों को एक-दूसरे के विपरीत नहीं बल्कि संतुलित तरीके से रखा जा सकता है।

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