बिलासपुर में कृषि-दुकानों में खाद-कीटनाशक की बिक्री में घोर लापरवाही, विभाग ने जारी किए नोटिस

बिलासपुर में कृषि-दुकानों में खाद-कीटनाशक की बिक्री में घोर लापरवाही, विभाग ने जारी किए नोटिस

11, 8, 2025

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बिलासपुर। जिले में कृषि विभाग ने कुछ दुकान संचालकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की है, क्योंकि किसानों से खाद और कीटनाशक के विक्रय में नियमों का उल्लंघन किया गया है। निरीक्षण के दौरान बढ़े हुए भाव, रसीद न देना, स्टॉक रजिस्टर न रखना जैसे मामले सामने आए हैं। दोषियों को नोटिस जारी किए गए हैं और यदि उनके उत्तर संतोषजनक नहीं पाए गए तो वैधानिक कार्यवाही की संभावना जताई गई है।


शिकायतें और निरीक्षण की शुरुआत

कृषि विभाग को किसानों की ओर से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ दुकाने खाद एवं कीटनाशक महँगे दामों पर बेच रही हैं। कुछ दुकानदार तो खरीदार को कस्टमर रसीद भी नहीं देते हैं, जिससे शिकायतकर्ता यह साबित नहीं कर पाते कि उन्होंने कितनी मात्रा खरीदी थी और किस दर से।

इन शिकायतों के आधार पर विभाग ने मैदानी अमले को सक्रिय किया। मस्तूरी ब्लॉक के कृषि केंद्रों और निजी उर्वरक दुकानों का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण दल ने पाया कि विक्रय दर (मूल्य) निर्धारित दरों से अधिक है, सूचना बोर्ड पर तय दर नहीं लगायी गयी है, स्टॉक और विक्रय रसीद का अभाव है, और भण्डारण नियमों का पालन नहीं हो रहा है।


मुख्य लापरवाहियाँ जो सामने आईं

कुछ प्रमुख अनियमितताएँ ये थीं:

  • निर्धारित विक्रय भाव सूची सूचना बोर्ड पर न लगाना, जिससे किसान यह जान न सकें कि चीजें सरकारी दर से कितनी बढ़ी हुई हैं।

  • विक्रेता द्वारा बिक्री के बाद खरीदार को रसीद न देना या खरीद का बिल नहीं देना।

  • स्टॉक पंजी (stock register) और विक्रय रिकॉर्ड ठीक से न रखना, जिससे माल की आपूर्ति और बिक्री का लेखा-जोखा अस्पष्ट है।

  • कीटनाशकों और उर्वरकों को वैधानिक भण्डारण नियमों के अनुरूप सुरक्षित स्थानों पर न रखना—उच्च तापमान, आर्द्रता आदि से उत्पाद खराब हो सकते हैं, जिससे किसानों को नुकसान होता है।


विभाग की कार्रवाई और नोटिस जारी

कृषि विभाग के उप संचालक ने बताया कि मस्तूरी इलाके की छह दुकानों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। वे दुकानदार जिन्होंने विक्रय दर नहीं लगाई थी, रसीद उपलब्ध नहीं कराई थी या स्टॉक पंजी में अनियमितताएँ पाई गईं थीं, उन पर कार्रवाई होगी।

नोटिस में दुकानदारों से तीन-चार दिन के भीतर लिखित उत्तर देने को कहा गया है। यदि उनका उत्तर संतोषजनक नहीं पाया गया, तो लाइसेंस निलंबन, जुर्माना या अन्य वैधानिक कार्रवाई हो सकती है।


किसानों को क्या हो रहा हैं नुकसान

  • किसान जब निर्धारित दरों से अधिक भुगतान करते हैं, तो उनकी लागत बढ़ जाती है, और अंततः उत्पादन लागत में इजाफा होता है।

  • खराब कीटनाशक या उर्वरक जो भंडारण की अनियमित स्थितियों में रखा गया हो, उसकी गुणवत्ता कम होती है—जिससे फसल को कीटों से बचाने में विफलता हो सकती है।

  • बिना रसीद के खरीदी होने पर लोगों को बाद में शिकायत करने या न्याय प्राप्त करने में मुश्किल होती है, दस्तावेज़ी प्रमाण न होने से।


विभाग की प्रतिक्रिया और आश्वासन

उप संचालक कृषि ने कहा कि विभाग इस तरह की शिकायतों को बहुत गंभीरता से लेता है। उन्होंने यह कहा कि विभाग को यह सुनिश्चित करना है कि:

  • विक्रेता निर्धारित दरों का पालन करें।

  • रसीद और बिल देना अनिवार्य हो।

  • स्टॉक और विक्रय रिकॉर्ड व्यवस्थित हों।

  • भण्डारण की स्थिति समेत कीटनाशक/खाद की गुणवत्ता सुरक्षित हो।

विभाग ने यह भी कहा कि भविष्य में इस तरह के निरीक्षण और छापेमारी को बढ़ाया जाएगा, ताकि किसानों को न्याय मिल सके और धोखाधड़ी करना मुश्किल हो।


सामाजिक प्रभाव

यह मामला यह दिखाता है कि जब विक्रय तंत्र में पारदर्शिता न हो, तो किसान समुदाय कैसे प्रभावित होता है। आर्थिक दृष्टिकोण से नुकसान होता है, विश्वास टूटता है और आम जनता को यह डर रहता है कि कहीं किसी भी समय वह ठगी का शिकार न हो जाए।

ग्रामीण इलाकों में लोग बढ़े हुए दामों और खराब गुणवत्ता वाले उत्पादों के कारण अधिक परेशान हैं। इससे कृषि उत्पादन और किसान-आय दोनों प्रभावित हो सकते हैं।


सुझाव और आगे की राह

कुछ सुझाव जिनसे स्थिति सुधारी जा सकती है:

  1. पारदर्शी मूल्य प्रणाली: विक्रेता को सूचना बोर्ड पर निर्धारित मूल्य लगाने का निर्देश दिया जाए।

  2. रिकॉर्ड का रख-रखाव: रसीद और स्टॉक रजिस्टर का नियमीत लेखा-जोखा हो।

  3. भंडारण मानक: कीटनाशक व उर्वरक भंडारण के लिए ठंडे, स्वच्छ और सुरक्षित स्थान सुनिश्चित हों।

  4. नियमित निरीक्षण: कृषि विभाग समय-समय पर छापे मारें और जांच जारी रखें।

  5. किसानों की जागरूकता: किसानों को बताया जाए कि वे निर्धारित कीमतें, प्रयोगशाला जांच और प्रमाण पत्र मांगें।


बिलासपुर में खाद और कीटनाशक की विक्रय प्रणाली में मिली यह लापरवाही बड़े पैमाने पर किसानों और कृषि क्षेत्र की विश्वसनीयता के लिए खतरा है। विभाग द्वारा नोटिस जारी करना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन न्यायिक और नियमित कार्रवाई ही असली सुधार ला सकती है।

अगर विक्रय मानकों का पालन कराया जाए, गुणवत्ता सुनिश्चित हो और विक्रेता जवाबदेह हों, तो किसानों को उनकी मेहनत का उचित फल मिलेगा। यह मामला यह याद दिलाता है कि कृषि न सिर्फ उत्पादन बल्कि न्याय, पारदर्शिता और व्यवस्था की मांग करती है।

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