चिंगरापगार में अनोखा 'जंगल सफारी', जहां पत्थरों में भी है जान

चिंगरापगार में अनोखा 'जंगल सफारी', जहां पत्थरों में भी है जान

11, 8, 2025

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गरियाबंद जिले का चिंगरापगार अब नए पर्यटन केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है। रायपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित इस जगह की खासियत है यहां बने पत्थरों के जीव-जंतुओं के शिल्प, जो इतने जीवंत दिखाई देते हैं कि देखने वाले हैरान रह जाते हैं। ऐसा लगता है मानो ये किसी भी पल हिलने-डुलने लगेंगे।

वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर इस जगह को विकसित किया है। करीब 20 लाख रुपये की लागत से यहां बैठने की जगह, ट्रैकिंग पाथ और छोटे-छोटे व्यू प्वाइंट्स बनाए गए हैं। इन कलाकृतियों को 10 कलाकारों की टीम ने महीनों की मेहनत से तैयार किया है। हर आकृति को बारीकी से इस तरह तराशा गया है कि वे बिल्कुल प्राकृतिक और असली जैसी प्रतीत हों।

चिंगरापगार की सबसे बड़ी खासियत यहां पत्थरों पर उकेरे गए 24 जानवरों की आकृतियां हैं। इनमें अजगर, शेर, बिच्छू, चील, घोंघा, पैंगोलिन और मगरमच्छ जैसी प्रजातियां शामिल हैं। चारों ओर फैली हरियाली और झरनों की आवाज़ इन शिल्पों को और भी आकर्षक बना देती है।

स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस पहल से न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी बल्कि रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ मिलेगा। जंगल और प्राकृतिक सुंदरता के बीच बसा चिंगरापगार अब धीरे-धीरे पर्यटन मानचित्र पर अपनी खास पहचान बनाने लगा है।

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