बिलासपुर-रायपुर हाईवे की दयनीय हालत और हाईकोर्ट की सख्त कार्रवाई

बिलासपुर-रायपुर हाईवे की दयनीय हालत और हाईकोर्ट की सख्त कार्रवाई

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे की हालत हाल ही में ऐसी खस्ता बनी कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) पर तीखी नाराज़गी जताई है। जब हालात इतने बदतर हो जाएँ कि सड़क से गुज़रने वालों की जान जोखिम में पड़े, तो न्यायालय ने मामला गंभीरता से लिया और आवश्यक निर्देश जारी किए हैं।


क्या हुआ

हाईवे की मरम्मत और रख-रखाव की लापरवाही की वजह से सड़क का जो हिस्सा आम जनता द्वारा रोज़ इस्तेमाल होता है, वह धूल-मिट्टी, गड्ढे, बिखरे हुए निर्माण सामग्री और टूटी-फूटी सतहों से भर गया है। वाहन चालक, यात्रियों और पैदल चलने वालों को हर दिन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बारिश के मौसम में तो हाल और बदतर हो जाते हैं: पानी सड़क पर जमा हो जाता है, गड्ढों में पानी भर जाता है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।

इन सब बातों को अदालत में उठाया गया एक जनहित याचिका के ज़रिए। याचिका में बताया गया कि सड़क की बेतरतीबी, निर्माण सामग्री का अनियोजित रख-रखाव और मरम्मत का काम अधूरा रहने की वजह से यात्रियों को रोज़ असुविधा होती है, वाहनों को नुकसान होता है और दुर्घटनाएँ होती हैं।


हाईकोर्ट की प्रतिक्रिया

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच, जिसमे न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी. डी. गुरु शामिल हैं, ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया। उन्होंने नेशनल हाईवे अथॉरिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर को नोटिस जारी किया है और उन्हें व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने को कहा है।

अदालत ने निर्देश दिया है कि प्रोजेक्ट मैनेजर स्वयं उसी खराब हाईवे से यात्रा कर के आएँ, ताकि वह सड़क की स्थिति और जनता की परेशानी को खुद महसूस कर सकें। अदालत ने कहा कि सिर्फ कागज़ी जवाब या रिपोर्टों से काम नहीं चलेगा, जब तक संबंधित अधिकारी सड़क पर उतर कर स्थिति नहीं देखेंगे, सुधार की उम्मीद कम ही होगी।


अदालत के तीखे प्रश्न

सुनवाई के दौरान अदालत ने एनएचएआई के अधिवक्ता से कड़े सवाल पूछे:

  • क्या प्रोजेक्ट मैनेजर ने कभी व्यक्तिगत रूप से हाईवे की यह खस्ता हालत देखी है?

  • क्या सड़क पर छोड़ी गई निर्माण सामग्री से वाहन चालक और यात्रियों को समस्याएँ हो रही हैं?

  • अगर विकास के नाम पर कार्य हो रहा है तो वाहन मार्ग सुरक्षित क्यों नहीं रखा गया?

  • मवेशियों और पैदल चलने वालों को भी हादसे का खतरा क्यों है जब सड़क की स्थिति इतनी जर्जर हो?

अदालत ने कहा कि जनता की जान जोखिम में है और इस तरह की लापरवाह स्थिति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


हाईवे की महत्वता

बिलासपुर-रायपुर हाईवे सिर्फ एक सड़क नहीं है, बल्कि दो बड़े जिलों को जोड़ने वाला अहम मार्ग है। यह मार्ग आर्थिक गतिविधियों, यातायात, परिवहन और रोज़मर्रा के जीवन‐जीवन से जुड़े मामलों में बहुत महत्वपूर्ण है।

किसी भी तरह की देरी, गड्ढे, टूट-फूट या सुरक्षा की कमी होने पर न सिर्फ यातायात प्रभावित होता है, बल्कि यात्रा करने वालों की जान पर भी खतरा बनता है।


जनता की तकलीफें

सड़क की स्थिति खराब होने के कारण यात्रियों को अनेक तरह की परेशानियां हो रही हैं:

  • वाहन प्रायः झटकों, वाहन के नीचे लगने वाले नुकसान आदि से जूझते हैं।

  • यात्रियों को यात्रा में समय अधिक लगता है क्योंकि गड्ढे, धूल-मिट्टी और जाम का सामना करना पड़ता है।

  • बारिश में सड़क और भी खतरनाक हो जाती है जब पानी जमा हो जाता है, दृश्यता घट जाती है, स्लिप और दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है।

  • पैदल चलने वालों और छोटे वाहन चलाने वालों को सुरक्षा-घटित रास्ते और असमान सतहों की वजह से गिरने या दुर्घटना का सामना करना पड़ता है।


न्यायालय ने जो आदेश दिए

  • प्रोजेक्ट मैनेजर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाज़िर होना है।

  • उन्हें उस खराब हाईवे से यात्रा कर के आना होगा जिस पर जनता की परेशानी है।

  • अगली सुनवाई में कोर्ट यह देखेगी कि क्या अधिकारी-गण ने यात्रा की और वास्तविक स्थिति का अनुभव किया।

  • रिपोर्ट देना होगा कि मरम्मत का काम क्यों नहीं पूरा हुआ, निर्माण सामग्री की रख-रखाव और सड़क प्रबंधन में क्या कमियां थीं।


संभावित सुधार और अपेक्षाएँ

इस मामले से साफ है कि आने वाले समय में निम्नलिखित सुधारों की ज़रूरत है:

  1. तत्काल मरम्मत कार्य — हाईवे के गड्ढों, टूटी सतहों, पानी जमा होने की जगहों और ख़राब निर्माण सामग्री को तुरंत साफ़ किया जाना चाहिए।

  2. नियमित निरीक्षण और समीक्षा — सड़क की हालत पर समय-समय पर स्थानीय अधिकारियों द्वारा निरीक्षण होना चाहिए और जनता की शिकायतों को गंभीरतापूर्वक लिया जाना चाहिए।

  3. प्रदर्शनकारी जवाबदेही — अधिकारी जिन पर यह जिम्मेदारी है, उन्हें जनता के सामने उत्तरदायी होना चाहिए।

  4. सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा — संकेत, चेतावनी बोर्ड, गार्ड रेलिंग आदि सुरक्षा उपायों का इंतज़ाम होना चाहिए।

  5. पारदर्शिता और सूचना देना — जनता को यह जानकारी होनी चाहिए कि मरम्मत कार्यक्रम कब शुरू होंगे, कितने समय में खत्म होंगे, और खर्च कितने होंगे।


निष्कर्ष

बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे की स्थिति एक ज़बर्दस्त चेतावनी है कि सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे की देखभाल सिर्फ कागज़ों या औपचारिकताओं से नहीं होगी। जब जनता की रोज़मर्रा की ज़िंदगी प्रभावित हो रही हो, तो सरकार और प्रशासन को सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।

हाईकोर्ट का यह कदम यह दर्शाता है कि न्यायालय अब सिर्फ रिपोर्टों पर भरोसा नहीं करेगा, बल्कि वास्तविकता को महसूस करना होगा। जब अधिकारी खुद सड़क पर उतरेंगे, करेंगे यात्रा उन दिनों जहाँ धूल, गड्ढे और जोखिम हो, तभी बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।

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