छत्तीसगढ़ में DAP की कमी नहीं — सरकार का भरोसा, पर्याप्त स्टॉक मौजूद

छत्तीसगढ़ में DAP की कमी नहीं — सरकार का भरोसा, पर्याप्त स्टॉक मौजूद

11, 8, 2025

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खरीफ सीज़न की शुरुआत के बीच छत्तीसगढ़ की सरकार ने किसानों को एक बड़ी राहत दी है — राज्य में उर्वरक, खासकर डीएपी (Diammonium Phosphate) की कमी की बात चल रही थी, लेकिन सरकार कह रही है कि स्थिति नियंत्रण में है। डीएपी के कमी को दूर करने के लिए NPK, SSP और Nano-DAP जैसे विकल्पों का पर्याप्त इंतज़ाम किया गया है, ताकि किसानों को खेती में बाधा न हो।


पृष्ठभूमि: क्यों चर्चा में आया DAP का मुद्दा

  • खेती में डीएपी उर्वरक बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर धान की खेती के लिए, क्योंकि इसमें फास्फोरस (Phosphorus) और नाइट्रोजन (Nitrogen) की मात्रा अच्छी होती है।

  • लेकिन अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, आयात-सम्बंधित समस्याएँ, परिवहन की मुश्किलें और बढ़ी हुई कीमतों के चलते डीएपी की उपलब्धता कम हो जाने की आशंका जताई गई थी।

  • किसानों और विपक्षी दलों ने शिकायत की थी कि दुकानों में डीएपी नहीं पहुँचा है, कोपरेटिव सोसाइटी में रोललाइन मार रही है और मूल्य अधिक हो गया है।


सरकार की स्थिति और आंकड़े

राज्य सरकार ने कहा है कि:

  • Nano-DAP की बोतलों का भारी स्टॉक तैयार किया गया है — हज़ारों बोतलें किसानों के लिए उपलब्ध कराई गई हैं ताकि यदि ठोस (solid) DAP की सप्लाई में देरी हो तो इसके विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।

  • NPK और SSP उर्वरकों का स्टॉक लक्ष्य से ऊपर है, ताकि डीएपी की कमी पूरी तरह से न महसूस हो।

  • सरकारी गोदामों और कोपरेटिव सोसाइटीज़ में इन विकल्पों का वितरण हो रहा है, और निजी विक्रेताओं को भी पर्याप्त मात्रा भेजी जा रही है।

  • किसानों को भरोसा दिया गया है कि खरीफ-2025 के लिए उर्वरकों की जरूरत पूरी तरह से पूरी की जा रही है, और किसी तरह की संकट की स्थिति नहीं है।


क्या उर्वरक हैं पर्याप्त?

निचे कुछ मुख्य बातें जो दिखाती हैं कि सरकार ने किस तरह से कमी की पूर्ति की कोशिश की है:

  • Nano-DAP के उपयोग को बढ़ावा दिया गया है, क्योंकि यह द्रव रूप में उपलब्ध है और थोड़ी-बहुत कमी को आसानी से पूरा कर सकता है।

  • NPK और SSP जैसे उर्वरकों को भी स्टॉक बढ़ाया गया है — लक्ष्य से अधिक मात्रा में।

  • डीएपी की आपूर्ति निर्धारित लक्ष्य से कम होने की स्थिति में सरकार ने इन विकल्पों को किसानों को सुझाव दिया है कि खेती में फ़ास्फोरस और नाइट्रोजन पूर्ति के लिए ये विकल्प काम कर सकते हैं।

  • कोपरेटिव सोसाइटी, सरकारी गोदाम, तथा निजी विक्रेताओं को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया है कि किसानों तक सही समय पर और पर्याप्त मात्रा में आ जाए।


किसानों की चिंताएँ और वास्तविकता

हालाँकि सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में बताया है, लेकिन किसानों की ओर से कुछ सवाल अभी भी बाकी हैं:

  • कई किसानों का कहना है कि दुकानों पर डीएपी नहीं मिल रही है, या जो मिल रही है उसकी कीमत ज्यादा हो रही है।

  • कुछ इलाकों में वितरक या गोदामों पर पहुँचने में देरी हो रही है, जिससे किसानों को ट्रांसपोर्ट लागत और समय दोनों का नुकसान हो रहा है।

  • कुछ किसान कहते हैं कि Nano-DAP जैसे विकल्पों का उपयोग करना सीखने-समझने की बात है, क्योंकि इनका प्रयोग पारंपरिक तरीके से अलग है।


विशेषज्ञों की सलाह

  • कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिक यह सुझाव दे रहे हैं कि किसान डीएपी की जगह NPK और SSP के मिश्रण का प्रयोग कर सकते हैं, जहाँ उपयुक्त हो।

  • Nano-DAP जैसे तरल विकल्पों का उपयोग सही समय और विधि से किया जाना चाहिए ताकि पौधों को पोषक तत्व सही मात्रा में मिलें।

  • किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम, कृषि चौपालें, स्वयंसेवक अधिकारियों द्वारा जागरूकता अभियानों से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विकल्पों की जानकारी हो और उनका उपयोग सही रूप से हो।

  • सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि सप्लाई चेन में लॉजिस्टिक्स, भंडारण और वितरण प्रणाली सुचारु हो — ताकि कहीं “कहाँ है?”- जैसा सवाल न उठे।


सुझाव और आगे क्या किया जाना चाहिए

  1. वितरण प्रणाली में पारदर्शिता — यह दिखाना कि गोदामों में कितना स्टॉक है, कब वितरित हो रहा है, किस कोय हो रहा है।

  2. किसानों को सूचना देना — विकल्पों के बारे में किसानों को समय पर जानकारी देना, जैसे कि Nano-DAP कैसे प्रयोगित हो, किस माप में, किस समय।

  3. भंडारण सुविधाएँ सुदृढ़ करना — कोपरेटिव सोसाइटियों, ग्राम स्तर के विक्रेताओं को पर्याप्त भंडारण क्षमता प्रदान करना।

  4. मूल्य नियंत्रण — अगर डीएपी उपलब्ध नहीं है, तो विकल्पों की कीमतों का नियंत्रण हो ताकि किसानों पर अनावश्यक बोझ न पड़े।

  5. नियंत्रण और निगरानी — सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो वादे किए गए हैं, वे पूरे हों, और किसान शिकायतों का त्वरित निराकरण हो।


निष्कर्ष

मौजूदा स्थिति यह है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को भरोसा दिलाया है कि खरीफ सीज़न के लिए उर्वरकों की कमी नहीं है। डीएपी की आपूर्ति में बाधाएँ आई हों, लेकिन विकल्पों (NPK, SSP, Nano-DAP) को पर्याप्त मात्रा में तैयार किया गया है ताकि खेती प्रभावित न हो। किसानों का हित यह है कि वे ये बदलाव समझें, विकल्पों का सही इस्तेमाल करें, और यदि कहीं कमी या वितरण में समस्या हो तो स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करें।

अगर इन सब व्यवस्थाएँ ठीक से चलें, तो इस साल खेती को डीएपी की कमी से बड़ा नुकसान नहीं होगा। किसानों को सतर्क रहने की ज़रूरत है, लेकिन घबराने की ज़रूरत नहीं है।

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