कुएँ में पिता-पुत्र की मौत, जहरीली गैस या करंट हो सकती है वजह

कुएँ में पिता-पुत्र की मौत, जहरीली गैस या करंट हो सकती है वजह

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के यूनि गाँव में एक बेहद दुःखद हादसा हुआ है जिसमें एक पिता और उसका किशोर बेटा कुएँ में जाने के बाद वापस नहीं लौटे। पुलिस का कहना है कि मृतकों की पहचान हो गई है और शुरुआती जांच के अनुसार जहरीली गैस के साँस द्वारा ग्रहण या बिजली के झटके (इलेक्ट्रोकेशन) मौत के संभावित कारण हो सकते हैं।


घटनास्थल और समय

यह घटना उसी घर के आँगन में बने एक कुएँ की है। कुआँ करीब 25 फीट गहरा है। पिता-पुत्र दोनों उस कुएँ के अंदर गए, पहले बेटा और बाद में पिता, लेकिन वे बाहर नहीं निकले। स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस ने उनके शवों को कुएँ से बाहर निकालने का काम किया।


मृतक कौन हैं

  • पिता का नाम कैलाश दास गोस्वामी है, उम्र लगभग 40 वर्ष।

  • बेटा है अनशु, लगभग 15 वर्ष का किशोर है।

गोस्वामी पेशे से ड्राइवर थे। उन्होंने कुछ समय पहले अपने घर आँगन में यह कुआँ खुदवाया था।


घटना की कहानी

  • उस दिन बिजली की समस्या हुई थी और बिजली चली गई थी। बेटा पानी भरने के लिए कूँएँ में बाल्टी बांध कर पानी निकालने का प्रयास कर रहा था।

  • पानी की सतह पर मृतमेंढक तैरने की वजह से एक बदबू महसूस हुई। अनशु ने मृतमेंढकों को निकालने के लिए कुएँ के अंदर उतरने का निर्णय लिया।

  • जब बेटा बाहर नहीं आया, तो पिता नीचे गए ताकि बेटे की मदद कर सकें।

  • लेकिन पिता भी वहीं रह गए और दोनों की हालत बिगड़ गई।


बचाव एवं शव निकलने की प्रक्रिया

  • उनकी पत्नी ने चीख-पुकार की और पड़ोसी व रिस्तेदार मदद को भागे।

  • पुलिस और गाँव वालों ने बाँस की लकड़ियों व रस्सियों का उपयोग कर शवों को कुएँ से बाहर निकाला।

  • प्राथमिक तौर पर पोस्ट-मॉर्टम कराने की तैयारी की गई है ताकि मौत की असल वजह तय हो सके।


संभावित कारण

पुलिस ने शुरुआती अनुमान लगाया है कि इनमें से एक या दोनों कारण मौत के हो सकते हैं:

  1. जहरीली गैस का साँस द्वारा ग्रहण – कुछ कुओँ में विषैले वाष्प उत्पन्न हो सकते हैं, खासकर जब पानी कुछ समय के लिए ख़राब स्थिति में हो और मृदृ पदार्थ, सड़े जैविक घटक आदि पानी में मिल जाएँ। मृतमेंढकों के सड़ने-गलने से गैस निकल सकती है जो साँस लेने पर जहरीली हो सकती है।

  2. इलेक्ट्रोकेशन (बिजली का झटका) – कुएँ के आस-पास बिजली की वायरिंग या कुछ इलेक्ट्रिक उपकरण हो सकते हैं जिन्हें जोड़ने-गुड़ने में ख़राबी हो गई हो। संभव है कि कुएँ की सतह-नीचे पानी या नमी के कारण बिजली का करंट बचाव नहीं किया गया हो।

अभी मौत की सही वजह पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही साबित होगी।


पुलिस की कार्रवाई

  • पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू की है।

  • बताया गया है कि स्थानीय थाना क्षेत्र की पुलिस और उपयुक्त अधिकारी घटनास्थल पर पहुँच चुके हैं।

  • शवों को पोस्ट-मॉर्टम के लिए भेजा गया है ताकि मौत की वजह पुष्टि हो सके।

  • गाँव वालों को भी पूछताछ में शामिल किया जा रहा है कि कुएँ कब खुदवाया गया, सुरक्षा उपाय क्या थे, आग लगने-जलने या बिजली संबंधित कोई संरचनात्मक दोष तो नहीं था।


सामाजिक एवं सुरक्षा पहलू

यह घटना कई स्तरों पर चिंताएँ उत्पन्न करती है:

  • गृह स्तर की सुरक्षा – जब लोग अपने घरों में कुएँ खुदवाते हैं, तो उन्हें सुरक्षा का पर्याप्त ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि कुएँ के ऊपर अच्छी तरह से ढक्कन हो, नमी से बचाव हो, बिजली-तारों की स्थिति सुरक्षित हो आदि।

  • जानकारी और जागरूकता – लोगों को यह पता होना चाहिए कि किसी भी प्रभावित वायु (जैसे जहाँ बदबू हो या दृश्य चेतावनियाँ हों) में उतरना कितना खतरनाक हो सकता है।

  • आपात स्थिति में बचाव व्यवस्था – यदि कोई व्यक्ति अंदर फँसे, तो तुरंत बचाव दलों या पुलिस को सूचना देना चाहिए, खुद अकेले जोखिम ना उठाया जाए।

  • सामूहिक सहायता – गाँवों में इस तरह की घटनाओं के लिए स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि वे किस तरह से और किस सावधानी के साथ मदद कर सकें।


भावी निर्देश और उम्मीदें

  • पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद मौत की असली वजह जनता को जानकारी दी जाएगी।

  • यदि इलेक्ट्रोकेशन की वजह से हुई है, तो बिजली विभाग को इलाके में तारों और पेड़ों से छुपे तारों की स्थिति की जांच करनी चाहिए।

  • कुओँ की सुरक्षा हेतु सरकारी दिशा-निर्देश जारी हो सकते हैं, ताकि सभी घरों में खुदे कुओँ सुरक्षित रूप से बनाए जाएँ।

  • स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे नमी/बदबू वाले स्थानों की नियमित निगरानी हो।


निष्कर्ष

यूनि गाँव का यह हादसा हमें याद दिलाता है कि कभी-कभी एक छोटी सी चूक भी जीवन को भारी कीमत चढ़ा सकती है। परिवार में बिजली चली जाना, बदबू महसूस होना, और बचाव को देर हो जाना—इन सबका एक साथ मिलना एक विनाशकारी घटना का कारण बन गया।

इस घटना की पूरी तरह से तह तक जाना ज़रूरी है ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएँ दोबारा न हों। हर स्तर पर सुरक्षा, जागरूकता और सतर्कता महत्वपूर्ण है—गृहस्थ जीवन हो या सार्वजनिक जीवन, जीवन की सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

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