छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर 20 हथियारबंद माओवादियों की गिरफ्तारी

छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर 20 हथियारबंद माओवादियों की गिरफ्तारी

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़-तेलंगाना की सीमा पर सुरक्षा बलों ने एक बड़ा अभियान चलाया और लगभग 20 माओवादी सक्रिय सदस्य गिरफ्तार किए गए। गिरफ्तारियों के साथ ही भारी संख्या में हथियार, गोला-बारूद और अन्य उपकरण बरामद हुए हैं। यह कार्रवाई “केर्रगुट्टा पहाड़ी” क्षेत्र में हुई, जो दोनों राज्यों की सीमा पर माओवादियों का प्रमुख अड्डा माना जाता है।


गिरफ्तार माओवादी और उनकी भूमिका

  • गिरफ्तार माओवादी दल में शामिल हैं पीएलजीए बटालियन-1 के डिप्टी कमांडर कुंजाम लक्खा, और लगभग पांच एरिया कमेटी सदस्य — जैसे मरीगला सुमती, मड़कम कोसी, पोडियम जोगी, माड़वी सीमा, मुचाकी रंजू आदि।

  • कुल में ये 20 शामिल हैं, जिनमें 14 पार्टी सदस्यों और कई परिचित नाम हैं जिनका माओवादी गतिविधियों में खाता-किताब रहा है।


कार्यवाई की पृष्ठभूमि

  • keamanan बलों ने “कर्रेगुट्टा पहाड़ी” क्षेत्र में एक बड़ा अभियान चलाया। यह क्षेत्र जंगलों और कठोर इलाके से घिरा है, जिसमें माओवादी लंबे समय से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे।

  • इस क्षेत्र में सुरक्षा बलों की कार्रवाई बढ़ाई गई है क्योंकि सूचना मिली थी कि माओवादी छोटे-छोटे समूहों में इधर-उधर भागते हुए राज्य की सीमाओं के पास सक्रिय हैं।

  • पुलिस ने ये गिरफ्तारी 16-17 मई को की, जब सुरक्षा दलों ने वाहन जांच, गश्त, क्षेत्रीय तलाशी अभियानों का सहारा लिया।


बरामदगी: हथियार और सामग्री

गिरफ्तारियों के दौरान निम्नलिखित सामान बरामद हुए:

  • तीर-तार के हथियार जैसे कई प्रकार की राइफलें — INSAS, SLR, .303 राइफल और अन्य 8 मिमी की राइफलें।

  • दो जिंदा ग्रेनेड, विभिन्न मैगज़ीन, गोलियाँ और विस्फोटक सामग्री।

  • नक़द धनराशि भी मिली, लगभग ₹58,000 के आसपास।

  • इसके अलावा अन्य सहायक उपकरण भी जब्त किए गए: रेडियो संचार उपकरण, मेमोरी कार्ड, पार्टी साहित्य आदि।


माओवादी गतिविधियों और आरोपों का विवरण

  • पुलिस ने बताया कि ये माओवादी विभिन्न हमलों, घात लगाकर किए गए झपटों, पुलिस/सीआरपीएफ कर्मियों की हत्या और सूचनाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई में शामिल रहे हैं।

  • इसके अलावा, केर्रगुट्टा जंगल क्षेत्र में आईईडी (Improvised Explosive Devices) लगाए गए थे ताकि सुरक्षा बलों व अन्य लोगों की आवाजाही रोकी जा सके।

  • माओवादी संगठन ने पहले चेतावनी जारी की थी कि आदिवासी एवं स्थानीय लोग उस जंगल क्षेत्र में न जाएँ, जो झड़ी-झड़ी घोषणाओं और भय उत्पन्न करने जैसी रणनीति है।


सुरक्षा बलों की रणनीति और सफलता

  • गिरफ्तारियों के लिए सुरक्षा बलों ने इंटेलिजेंस-आधारित अभियान चलाया, जानकारी जुटाई गई कि माओवादी कर्रेगुट्टा से भागने की स्थिति में हैं।

  • सीमावर्ती इलाकों में पेट्रोलिंग और वाहन जांच बढ़ाई गई। विशेष थाना क्षेत्रों में पुलिस की सक्रियता रही।

  • यह कार्रवाई “ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट” नामक बड़े अभियान से जुड़ी हुई है, जिसके दौरान कई माओवादी आड़ू रूप से भागने की कोशिश कर रहे थे, और सुरक्षा बलों ने जंगल क्षेत्र में घेराबंदी की कार्रवाई की।


प्रभाव और चुनौतियाँ

  • इस गिरफ्तारी से माओवादी संगठन को बड़ा झटका मिला है, विशेषकर उन कमांडरों के पकड़ में आने से जो संगठनात्मक निर्णयों में शामिल थे।

  • विपक्ष में यह देखा जा रहा है कि संगठन की आपूर्ति लाइन (हथियार, संचार साधन, कैंप व्यवधान) कमजोर हो गई है।

  • लेकिन चुनौती यह है कि जंगल और कठिन इलाकों में माओवादी आसानी से छुप जाते हैं, और सीमावर्ती जिलों में पुलिस या सुरक्षा बलों की निगरानी पूरी तरह से संभव नहीं होती।


महत्व

  • यह कार्रवाई राज्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होता है कि माओवादी हिंसा को कम किया जा सके और नागरिक सुरक्षा बेहतर हो।

  • इस तरह की गिरफ्तारी आने वाले समय में अन्य माओवादी अड्डों के लिए भी चेतावनी बनेगी।

  • सीमा सुरक्षा, अंतर-राज्यीय सहकार्य और दोनों राज्यों के पुलिस/बलों की एकीकरणात्मक कार्रवाई की क्षमता को दर्शाती है।


निष्कर्ष

केर्रगुट्टा पहाड़ी में हुई यह कार्यवाई यह दिखाती है कि सक्रिय अभियान और प्रभावी खुफिया संतुलन माओवादी तंत्र को बाधित कर सकते हैं। 20 हथियारबंद माओवादियों की गिरफ्तारी, हथियारों की ज़ब्तगी, और कमांडर-पदाधिकारियों का पकड़ में आना, यह सभी संकेत हैं कि राज्य और केंद्र की सुरक्षा रणनीतियाँ काम कर रही हैं।

लेकिन पूरी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। माओवादी संगठन अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जंगल, गांवों की मदद और स्थानीय समर्थन का उपयोग करते हैं। पुलिस एवं सुरक्षा विभाग को चाहिए कि वे इस तरह की कार्रवाइयों को निरंतर बनाए रखें, जंगलों की निगरानी करें, सूचना तंत्र मजबूत हो, और जनता एवं आपराधिक संगठन के मध्य अंतर सुरक्षित रखा जाए।

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