सीबीआई ने रेलवे के चीफ इंजीनियर को 32 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा

सीबीआई ने रेलवे के चीफ इंजीनियर को 32 लाख की रिश्वत लेते पकड़ा

11, 8, 2025

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बिलासपुर, छत्तीसगढ़ — केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (SECR) के चीफ इंजीनियर विशाल आनंद को 32 लाख रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई रेलवे विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई की सख्त मुहिम का हिस्सा है।


क्या था मामला?

  • आरोप: विशाल आनंद, जो भारतीय रेल सेवा (IRSE) 2000 बैच के अधिकारी हैं, ने ठेकेदार सुशील झाझरिया से रेलवे के विभिन्न निर्माण कार्यों के ठेके और वर्क ऑर्डर दिलाने के बदले 32 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी।

  • रिश्वत का लेन-देन: विशाल ने रिश्वत की रकम खुद न लेकर अपने भाई कुणाल आनंद को देने के लिए कहा। इसके बाद, सुशील झाझरिया ने अपने कर्मचारी मनोज पाठक के माध्यम से यह राशि कुणाल को दी। जैसे ही मनोज ने 32 लाख रुपये कुणाल को सौंपे, सीबीआई की टीम ने दोनों को रंगे हाथ पकड़ लिया।

  • कंपनी की भूमिका: झाझरिया निर्माण कंपनी SECR में रेलवे ओवरब्रिज (ROB), अंडरब्रिज (RUB), ट्रैक लाइनिंग, पुल निर्माण जैसे बड़े कार्य कर रही थी। सीबीआई अब यह जांच कर रही है कि क्या कंपनी ने पहले भी रिश्वत देकर ठेके हासिल किए थे।


सीबीआई की कार्रवाई

  • जांच का विस्तार: सीबीआई ने रांची और बिलासपुर में कई ठिकानों पर छापेमारी की, जहां से बड़ी मात्रा में नकदी और अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं।

  • आरोपियों की गिरफ्तारी: इस मामले में कुल चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है:

    • विशाल आनंद (रेलवे के चीफ इंजीनियर)

    • कुणाल आनंद (विशाल के भाई)

    • सुशील झाझरिया (झाझरिया निर्माण कंपनी के एमडी)

    • मनोज पाठक (कर्मचारी, झाझरिया निर्माण कंपनी)


सीबीआई का बयान

सीबीआई ने एक प्रेस बयान में कहा, "आरोप है कि विशाल आनंद ने निजी ठेकेदार से रेलवे के ठेकों और वर्क ऑर्डरों में पक्षपाती निर्णय लेने के बदले रिश्वत ली। यह कार्रवाई सीबीआई की भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा है।"


रेलवे विभाग में भ्रष्टाचार की गंभीरता

यह घटना रेलवे विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की गंभीरता को उजागर करती है। बड़े निर्माण कार्यों के ठेके हासिल करने के लिए रिश्वत की मांग और लेन-देन से न केवल सरकारी खजाने को नुकसान होता है, बल्कि परियोजनाओं की गुणवत्ता और समयसीमा भी प्रभावित होती है।


निष्कर्ष

सीबीआई की यह कार्रवाई यह संदेश देती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी व्यक्ति या संस्था सुरक्षित नहीं है। रेलवे विभाग में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सख्त निगरानी और पारदर्शिता की आवश्यकता है। साथ ही, अधिकारियों और कर्मचारियों को यह समझाना होगा कि सार्वजनिक पद का दुरुपयोग किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है।

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