छत्तीसगढ़ में मंत्रियों को नए जिलों की ज़िम्मेदारी, विकास और चुनौतियों पर फोकस

छत्तीसगढ़ में मंत्रियों को नए जिलों की ज़िम्मेदारी, विकास और चुनौतियों पर फोकस

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ में राजनीतिक परिदृश्य में ताज़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। राज्य सरकार के साय मंत्रिपरिषद के हालिया विस्तार के बाद नए मंत्रियों को ज़िम्मेदारियाँ सौंपने के साथ-साथ जिलों के प्रभार में बड़े फेरबदल किए गए हैं। इसका मकसद सरकार को ज़मीनी स्तर पर विकास की गति बढ़ाना, प्रबंधन में बेहतर नियंत्रण लाना और राज्य के लोगों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखना है।

मंत्री-परिषद विस्तार और मंत्रियों को मिलें ज़िले
मंत्रिपरिषद के विस्तार से पहले कुछ नए चेहरों को मंत्री पदों पर नियुक्त किया गया था। अब उन नए मंत्रियों को जिलों का दायित्व (प्रभार) सौंपा गया है। साथ ही, जो पुराने मंत्री हैं, उनके जिलों की ज़िम्मेदारियों में परिवर्तन किया गया है। इस तरह के प्रभार परिवर्तन से यह दर्शाया जा रहा है कि सरकार किस तरह विभिन्न मंत्रियों की क्षमताओं के अनुसार ज़िम्मेदारियाँ बाँटना चाहती है।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा को चार जिलों का प्रभारी बनाया गया है – ये जिले हैं दुर्ग, बालोद, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चाकी और बस्तर। बस्तर विशेष रूप से माओवादी हिंसा से प्रभावित क्षेत्र है, इसलिए यह उम्मीद की जा रही है कि विजय शर्मा इस क्षेत्र की सुरक्षा और विकास दोनों ही मोर्चों पर बेहतर निगरानी और पहल करेंगे।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को बलौदाबाजार-भाटापारा जिले का प्रभार मिला है। इस जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और सुधार करना उनकी ज़िम्मेदारी होगी।
महिला व बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को बलरामपुर-रामानुजगंज जिले का दायित्व सौंपा गया है, जहाँ उनकी प्राथमिकता बच्चों व माताओं की बेहतर देखभाल, शिक्षा और सशक्तिकरण से जुड़ी योजनाएँ होंगी।
कौशल विकास मंत्री गुरु खुशवंत साहेब को सक्ती जिला सौंपा गया है। यहां कौशल प्रशिक्षण, युवा रोजगार, हस्त-शिल्प और स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन देना शामिल हो सकता है।
स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव को राजनांदगांव जिला सौंपा गया है और संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री राजेश अग्रवाल को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिले की ज़िम्मेदारी दी गयी है।

विकास और चुनौतियाँ
छत्तीसगढ़ के ये जिले, खासकर बस्तर व मोला-मानपुर-अंबागढ़ चाकी क्षेत्र, सुरक्षा, बुनियादी सुविधाएँ, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं। प्रशासन की उपस्थिति, सड़क-पानी-बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएँ, स्कूलों का स्तर, अस्पतालों की स्थिति, महिलाओं और बच्चों की देखभाल आदि मुद्दे हैं जिनपर तेजी से काम करने की ज़रूरत है।

सरकार की मंशा है कि नए मंत्रियों को ज़िम्मेदारी सौंपने से न सिर्फ योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर होगा, बल्कि जनता को महसूस होगा कि उनकी समस्याएँ सुनी जा रही हैं। इस तरह का प्रभार-फेरबदल यह संकेत है कि मंत्री सिर्फ संसदीय या विधानसभाई राजनीति तक सीमित न रह कर ज़मीनी स्तर पर कार्यशील हों।

स्वास्थ्य-सेवा संबंधी पहल
स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने यह कहा है कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं का लगातार विस्तार हो रहा है। उनका लक्ष्य है कि शिशु और मातृ मृत्यु दर को निकट भविष्य में ‘शून्य’ के करीब लाया जाए। इसके अलावा उन्होंने उल्लेख किया कि वर्तमान समय में स्वास्थ्य सेवाएँ, महिला-बाल विकास विभाग और यूनिसेफ के सहयोग से “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” नामक अभियान चलाया जा रहा है, ताकि माताओं और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल मिल सके।

उन्होंने यह भी बताया कि राज्य गठन के समय मातृ मृत्यु दर लगभग ३६५ थी, जो अब १४१ हो चुकी है; शिशु मृत्यु दर लगभग ७९ थी, अब वह ३८ की ओर है। ये आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र में काम हुआ है, लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी है।

उम्मीदें और आगे की चुनौतियाँ
नए प्रभारों के माध्यम से मंत्रियों के काम करने के ढाँचे में बदलाव होगा। जनता की अपेक्षा बढ़ेगी कि योजनाएँ समय पर आएँ, भ्रष्टाचार व देरी कम हो, और सरकारी तंत्र जवाबदेह हो।

विशेष रूप से उन जिलों में जहाँ विकास पिछड़ा है, सुरक्षा समस्या है या सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन ज़्यादा है, वहाँ मंत्री की सक्रिय भूमिका बहुत मायने रखेगी। योजनाओं की मॉनिटरिंग, स्थानीय जनता से संवाद, प्राथमिक ज़रूरतों की पूर्ति जैसे पानी-बिजली, शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएँ, नौकरी-विकास आदि पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

सरकार की इस रणनीति का यह भी लक्ष्य हो सकता है कि नए मंत्रियों को इन ज़िम्मेदारियों के माध्यम से अनुभव मिले, ताकि वे न सिर्फ पार्टी या कैबिनेट स्तर पर प्रभावी हों, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर भी नेतृत्व कर सकें।


छत्तीसगढ़ में मंत्रियों को सौंपे गए नए जिले, विकास की राह में बढ़ेंगी उम्मीदें

हिंदी पुनर्लेखन (बिना किसी स्रोत लिंक के)

छत्तीसगढ़ में हुए मंत्रिपरिषद के हालिया विस्तार के बाद राज्य सरकार ने नए और पुराने मंत्रियों को जिलों की ज़िम्मेदारियाँ सौंप कर बड़ा बदलाव किया है। इस कदम का मकसद प्रशासन को ज़मीनी स्तर पर अधिक सक्रिय और प्रभावी बनाना है ताकि विकास योजनाएँ तेजी से लागू हों और जनता को बेहतर सेवाएँ मिल सकें।

सबसे बड़ी जिम्मेदारी उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा को दी गई है। उन्हें चार जिले संभालने का प्रभार सौंपा गया है — ये जिले हैं दुर्ग, बालोद, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चाकी और बस्तर। विशेष रूप से बस्तर, जो कि माओवादी हिंसा से प्रभावित क्षेत्र है, वहाँ सुरक्षा और विकास दोनों मोर्चों पर उन्हें विशेष निगरानी और सक्रियता दिखानी होगी।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल अब बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के प्रभारी होंगे, जहाँ स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के लिए कदम उठाने होंगे। महिला व बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को बलरामपुर-रामानुजगंज जिले का प्रभार मिला है, ताकि महिलाओं व बच्चों की देखभाल, शिक्षा और सशक्तिकरण की योजनाएँ बेहतर ढंग से काम करें। कौशल विकास मंत्री गुरु खुशवंत साहेब को सक्ती जिला सौंपा गया है, जहाँ युवा-उद्योग, प्रशिक्षण और रोजगार की संभावनाएँ तलाशने की चुनौती है। स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव को राजनांदगांव जिले की ज़िम्मेदारी मिली है और संस्कृति-पर्यटन मंत्री राजेश अग्रवाल गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले को देखेंगे।

इन जिलों में पहले से ही कई समस्याएँ हैं — सड़क, बिजली, पानी की सुविधाएँ, शिक्षा-स्वास्थ्य का स्तर, सामाजिक-अर्थव्यवस्था का पिछड़ापन, सुरक्षा की चिंताएँ आदि। सरकार की उम्मीद है कि नए प्रभारी मंत्री इन चुनौतियों पर बातचीत करेंगे, योजनाएँ जनता की ज़रूरतों के मुताबिक तैयार व लागू करेंगे, और विकास का अनुभव हर क्षेत्र तक पहुँचेगा।

स्वास्थ्य मंत्री ने यह बताया कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाएँ लगातार बेहतर हो रही हैं। उनका लक्ष्य है कि माता-शिशु मृत्यु दर को बहुत कम किया जाए। शुरुआत से अब तक की प्रगति भी उल्लेखनीय है — राज्य गठन के समय मातृ मृत्यु दर ३६५ थी जो घटकर अब १४१ पर आ चुकी है। शिशु मृत्यु दर भी ७९ से घटकर अब ३८ तक पहुँच चुकी है। इसके बावजूद, उन्हें और उनकी टीम को स्वास्थ्य व्यवस्था को और बेहतर बनाने की दिशा में लगातार काम करना होगा।

जनता की निगाहें अब इन मंत्रियों पर होंगी। उम्मीद की जा रही है कि योजनाएँ समय पर लागू हों, पारदर्शिता बनी रहे और विकास का असर हर वर्ग तक पहुँचे। खासकर उन जिलों में जहाँ अब भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है, मंत्रीगण की सक्रियता ही भविष्य की तस्वीर तय करेगी।

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