पूर्व IAS आलोक शुक्ला का सरेंडर टला, सुनवाई होगी २२ सितंबर को

पूर्व IAS आलोक शुक्ला का सरेंडर टला, सुनवाई होगी २२ सितंबर को

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ ने नागरिक आपूर्ति निगम (नैन) घोटाले के आरोपों से घिरे पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला के मामले में एक और मोड़ आ गया है। विशेष अदालत के समक्ष उनका सरेंडर शुक्रवार को होना था, लेकिन वह नहीं हो पाया। अब सुनवाई २२ सितंबर को होने का निर्णय लिया गया है।

यह मामला नैन घोटाले से जुड़ा है, जो २०१५ में सार्वजनिक वितरण व्यवस्था (पीडीएस) में हुई अनियमितताओं की जाँच से सामने आया था। इस घोटाले में आरोप है कि चावल-नमक जैसी वस्तुओं की गुणवत्ता घटिया थी, सरकारी स्टॉक से कुछ आपूर्ति सही समय पर नहीं हुई और कुछ आपूर्तियों का लेखा-जोखा पारदर्शी नहीं था। जब अधिकारियों ने नागरिक आपूर्ति निगम के २० परिसरों में छापे मारे, तो करोड़ों रुपये की नकदी जब्त की गई थी, साथ ही उपयुक्त गुणवत्ता न होने वाले चावल-नमक भी मिले थे।

सरकार की जांच एजेंसियाँ, विशेष रूप से प्रवर्तन निदेशालय (ED), ने इस मामले में कार्रवाई की है। आलोक शुक्ला, जो कि नैन के मैनेजिंग डायरेक्टर रहे हैं, उन पर घोटाले में गहरी भूमिका निभाने का आरोप है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज की थी। इस आदेश में कहा गया कि उन्हें और उनके सह-आरोपी अनिल टूटेजा को गिरफ्तारी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए चार हफ्ते की कस्टोडियल हिरासत दी जाए। साथ ही अदालत ने यह निर्देश दिया कि दोनों को एक सप्ताह के भीतर सरेंडर करना होगा और जांच में सहयोग करना होगा।

सरेंडर के दिन, डॉ. शुक्ला विशेष अदालत के समक्ष प्रस्तुत होने पहुंचे। लेकिन अदालत ने यह कहकर उनका सरेंडर स्वीकार नहीं किया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश उचित रूप से अपलोड (लोड करना) नहीं हुआ है। आदेश की प्रतिलिपि न होने के कारण न्यायालय ने कहा कि आवेदनपत्र स्वीकार न किया जाए।

इसलिए अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख २२ सितंबर तय की है। उस दिन यह निर्धारित होगा कि सरेंडर की प्रक्रिया कैसे पूरी होगी और आगे की कानूनी कार्रवाई कैसे आगे बढ़ेगी।

इस पूरे मामले में अन्य आरोपित पहले से ही जेल में हैं। अनिल टूटेजा और अनवर ढेबर जैसे अन्य आरोपी इस घोटाले में गिरफ्तार हो चुके हैं और जेल भेजे जा चुके हैं। ED की टीम ने आलोक शुक्ला और अन्य आरोपितों के कई ठिकानों पर छापेमारी की है।

जनता और मीडिया इस मामले में विशेष रुचि ले रहे हैं क्योंकि यह घोटाला भ्रष्टाचार और न्यायपालिका तथा जांच एजेंसियों के बीच संतुलन की आवश्यकता की मिसाल है।

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