छत्तीसगढ़ में 170 से ज्यादा फर्जी फर्मों से करोड़ों की जीएसटी चोरी का खुलासा

छत्तीसगढ़ में 170 से ज्यादा फर्जी फर्मों से करोड़ों की जीएसटी चोरी का खुलासा

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ के जीएसटी विभाग ने एक बड़े टैक्स फ्रॉड रैकेट का पता लगाया है जिसमें लगभग 172 फर्जी कंपनियों (बोगस फर्मों) ने फर्जी दस्तावेजों और ई-वे बिलों का इस्तेमाल कर राज्य को भारी कर राजस्व का नुकसान पहुँचाया। इस साजिश का मास्टरमाइंड एक कर सलाहकार है, और मामला गौरव की बातें छोड़कर चिंताजनक है क्योंकि सिस्टम की कमजोरी और अनुपालन की कमी इस तरह की घटनाएँ जन्म देते हैं।

मामला क्या है

  • इस पूरे घोटाले में कर सलाहकार मो. फरहान सोरठिया का नाम उभर कर सामने आया है। उसने अपने पांच कार्यालय कर्मचारियों की मदद से फर्जी कंपनियों का पंजीकरण कराया, रिटर्न दाखिल करवाए और ई-वे बिल तैयार करवाए।

  • फर्जी दस्तावेजों में किरायानामा, सहमति पत्र और शपथ पत्र (एफिडेविट) शामिल थे, जिनके ज़रिए पंजीकरण और संचालन की प्रक्रिया को वैध दिखाया गया।

  • विभाग की बीआईयू-टीम (Business Intelligence Unit) ने एक महीने से इस मामले की जाँच की। कार्यालयों और आवासों में तलाशी दौरान अहम साक्ष्य मिले।

वित्तीय नुकसान

  • सिर्फ 26 फर्जी फर्मों ने ही ई-वे बिलों के जरिये करोड़ों रुपये के बिल जनरेट किए, लेकिन उनके रिटर्न में दिखाया गया टर्नओवर बहुत कम था।

  • उदाहरण के लिए, इन 26 फर्मों ने ई-वे बिलों में लगभग ₹822 करोड़ का आंकड़ा दिखाया जबकि उनके टर्नओवर रिपोर्ट में सिर्फ लगभग ₹106 करोड़ दिखाए गए। इस असंगति की वजह से अनुमानित ₹100 करोड़ से अधिक का जीएसटी राजस्व राज्य को हर महीने से चुकता हो रहा था।

  • जाँच के दौरान फरहान के चाचा के आवास से नकद ₹1.64 करोड़ और 400 ग्राम सोना बरामद हुआ है। ये चीजें संभावित गवाह या अनिवार्य साक्ष्य हो सकती हैं।

कैसे काम होती थी साजिश

  • फर्जी पंजीकरण: फर्जी कंपनियाँ ऐसे पंजीकृत थीं कि उनका अस्तित्व, व्यवसाय गतिविधियाँ और माल-संपर्क कहीं नहीं था।

  • फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग: किरायानामा और सहमति पत्र जैसे दस्तावेज़ों का निर्माण किया गया ताकि सत्यापन संभव हो सके, लेकिन वास्तविक उपयोग नहीं था।

  • अकाउंटिंग और रिपोर्टिंग में हेर-फेर: कुछ फर्मों ने टर्नओवर कम दिखाया और इनपुट टैक्स क्रेडिट का दुरुपयोग किया।

  • ई-वे बिलों का बबाल: ई-वे बिलों का इस्तेमाल ट्रांसपोर्टेशन और सप्लाई का आभास देने के लिए किया गया जबकि वास्तविक माल का आदान-प्रदान नहीं हुआ।

कब और कैसे पकड़ा गया

  • विभागीय जांच महीनों से चल रही थी, सूचना और डेटा एनालिटिक्स-बेस्ड जाँच के बाद घोटाले के पैटर्न समय-समय पर सामने आने लगे।

  • 12 सितंबर को फरहान के कार्यालय पर तलाशी की गई, जहां से फर्जी फर्मों और दस्तावेजों से जुड़ी जानकारी मिली।

  • बाद में 17 सितंबर को चाचा के आवास पर जांच हुई, वहाँ से बरामदियाँ हुईं।

संभावित परिणाम और चुनौतियाँ

  • दोष सिद्ध होने पर जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है, जिसमें पंजीकरण रद्द करना, जुर्माना लगाना और संभवत: जेल की कार्रवाई भी शामिल हो सकती है।

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दुरुपयोग रोकना होगा। सरकार को सिस्टम को मजबूत करना होगा ताकि ऐसे मामले दोबारा न हों।

  • पारदर्शिता बढ़ाने के लिएGST पोर्टल और अन्य मॉनिटरिंग तंत्रों को और अधिक सख्ती से काम करना होगा।

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