छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे चैतन्य बघेल पर 3,200 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे चैतन्य बघेल पर 3,200 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच हुए 3,200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच में केंद्रीय एजेंसियों ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया है। इस घोटाले में आरोप है कि भारी मात्रा में शराब व्यापार में अनियमितताओं के माध्यम से अवैध धन कमाया गया और इस धन को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए वैध व्यवसाय में निवेश किया गया।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में लगभग 7,000 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया है। इसमें यह आरोप लगाया गया है कि चैतन्य बघेल ने 1,000 करोड़ रुपये की अवैध आय का प्रबंधन किया और इसे रियल एस्टेट, व्यापारिक कंपनियों और शेल फर्मों में निवेश कर वैध बनाया। जांच में यह भी सामने आया कि उन्होंने इस अवैध धन का एक बड़ा हिस्सा विभिन्न रियल एस्टेट परियोजनाओं में लगाया, जिससे यह दिखाया जा सके कि धन वैध स्रोत से आया है।

आरोप और कार्रवाई

  • चैतन्य बघेल पर यह आरोप है कि उन्होंने शराब घोटाले में शामिल सिंडिकेट का नेतृत्व किया। इसमें कई व्यापारी और राजनीतिक व्यक्ति शामिल थे, जिन्होंने मिलकर शराब के लाइसेंस वितरण, टेंडर प्रक्रिया और बिक्री में अनियमितताएं की।

  • मनी लॉन्ड्रिंग के लिए शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया गया और अवैध धन का नकली लेन-देन किया गया। इस प्रक्रिया के जरिए अवैध राशि को वैध स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया गया।

  • इस घोटाले में राजनीतिक कनेक्शन भी सामने आए हैं। पूर्व मंत्री और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों की संलिप्तता की जांच की जा रही है, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह घोटाला केवल निजी स्तर का नहीं बल्कि सिस्टम स्तर का था।

चैतन्य बघेल को जुलाई 2025 में दुर्ग जिले के भिलाई स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया और उनकी हिरासत अवधि को कई बार बढ़ाया गया। आरोपपत्र दाखिल होने के बाद अब न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल रही है, और आने वाले महीनों में इस पर विस्तृत सुनवाई होने की संभावना है।

घोटाले की संरचना

घोटाले की जांच में यह पता चला कि चैतन्य बघेल ने शराब वितरण प्रणाली, लाइसेंसिंग प्रक्रिया और बिक्री रिकॉर्ड में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की। अवैध धन का ट्रैक रखने के लिए उन्होंने कई शेल कंपनियों और जटिल बैंकिंग लेन-देन का सहारा लिया। इसमें नकली इनवॉइस, आभासी कंपनियों और फर्जी दस्तावेज़ों का व्यापक उपयोग किया गया।

  • शराब बिक्री और लाइसेंस वितरण में अनियमितताओं के कारण राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।

  • सिंडिकेट के अन्य सदस्य व्यापारिक सौदे और बैंकिंग लेन-देन में शामिल थे, ताकि अवैध धन को वैध दिखाया जा सके।

  • अवैध धन का हिस्सा रियल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश किया गया। इसका उद्देश्य यह दिखाना था कि धन का स्रोत कानूनी है।

घोटाले का प्रभाव

  • राज्य का वित्तीय नुकसान: 3,200 करोड़ रुपये के घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ। इससे विकास कार्य और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

  • सार्वजनिक विश्वास में कमी: इस मामले ने प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व पर गंभीर सवाल उठाए। जनता में सरकारी नीतियों और भ्रष्टाचार नियंत्रण प्रणाली को लेकर अविश्वास पैदा हुआ।

  • राजनीतिक दबाव और विवाद: मामले ने छत्तीसगढ़ की राजनीतिक पार्टियों के बीच भी बहस को जन्म दिया। विपक्ष ने इस मामले में सख्ती की मांग की, जबकि कुछ समर्थक इसे राजनीतिक लक्ष्य के रूप में देख रहे हैं।

कानूनी प्रक्रिया

  • ED द्वारा दाखिल किए गए 7,000 पन्नों के आरोपपत्र में सभी वित्तीय लेन-देन, अवैध निवेश और बैंकिंग ट्रांजैक्शन की विस्तृत जानकारी दी गई है।

  • चैतन्य बघेल पर मनी लॉन्ड्रिंग, भ्रष्टाचार, और सरकारी धन की गड़बड़ी के आरोप हैं।

  • न्यायालय अब इस मामले की सुनवाई कर रही है, और आगामी महीनों में आरोपों की पुष्टि या खंडन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

निष्कर्ष

यह मामला छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग की गंभीरता को दर्शाता है। घोटाले की जाँच और कानूनी कार्रवाई से यह स्पष्ट हो रहा है कि राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इस घोटाले ने यह भी साबित किया कि राजनीतिक कनेक्शन और व्यापारिक नेटवर्क का दुरुपयोग कर करोड़ों रुपये का अवैध लेन-देन किया जा सकता है।

जैसे-जैसे न्यायालय में सुनवाई आगे बढ़ेगी, यह मामला राज्य की राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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