जांजगीर-चांपा में नशे में स्कूल पहुंची महिला प्रधानाध्यापिका, बच्चों ने छुट्टी समझकर घर लौटे

जांजगीर-चांपा में नशे में स्कूल पहुंची महिला प्रधानाध्यापिका, बच्चों ने छुट्टी समझकर घर लौटे

11, 8, 2025

12

image

जांजगीर-चांपा, 21 सितंबर 2025: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के एक सरकारी स्कूल में महिला प्रधानाध्यापिका के नशे की हालत में स्कूल पहुंचने की घटना ने शिक्षा जगत को हिला दिया है। प्रधानाध्यापिका की इस हरकत से बच्चों ने छुट्टी समझकर स्कूल छोड़ दिया, जबकि वह टेबल पर पैर रखकर सोती रही और बड़बड़ाती रही।

घटना का विवरण

यह घटना ग्राम पेंड्री स्थित एक सरकारी स्कूल की है। सोमवार को प्रधानाध्यापिका स्कूल पहुंची और नशे की हालत में टेबल पर पैर रखकर सोने लगी। बच्चों ने उन्हें इस हालत में देखा और छुट्टी समझकर घर लौट गए। प्रधानाध्यापिका इस दौरान बड़बड़ाती रही और बच्चों को स्कूल में रहने की कोई कोशिश नहीं की।

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

ग्रामीणों ने प्रधानाध्यापिका की इस हरकत को देखकर हैरानी जताई और इसकी सूचना शिक्षा विभाग को दी। ग्रामीणों का कहना है कि इस प्रकार की घटना से बच्चों में गलत संदेश जाता है और शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है।

शिक्षा विभाग की कार्रवाई

शिक्षा विभाग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है। विभाग ने प्रधानाध्यापिका से स्पष्टीकरण मांगा है और मामले की जांच के बाद उचित कार्रवाई करने की बात कही है। विभाग ने यह भी कहा है कि इस प्रकार की घटनाओं को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।

समाज पर प्रभाव

इस घटना ने समाज में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए हैं। बच्चों के लिए आदर्श बनने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं का इस प्रकार का व्यवहार न केवल शिक्षा के स्तर को गिराता है, बल्कि बच्चों के मानसिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। समाज में इस घटना को लेकर चर्चा का माहौल है और लोग शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे हैं।

निष्कर्ष

जांजगीर-चांपा जिले के इस सरकारी स्कूल में महिला प्रधानाध्यापिका की नशे की हालत में स्कूल पहुंचने की घटना ने शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता को चुनौती दी है। शिक्षा विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है ताकि बच्चों को एक सुरक्षित और प्रेरणादायक वातावरण मिल सके।

Powered by Froala Editor