रायपुर में एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल: एक महीने से जारी आंदोलन, शासन की चेतावनी बेअसर

रायपुर में एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल: एक महीने से जारी आंदोलन, शासन की चेतावनी बेअसर

11, 8, 2025

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल एक महीने से जारी है। कर्मचारियों की दस सूत्रीय मांगों को लेकर 18 अगस्त से शुरू हुआ यह आंदोलन अब तक शासन की चेतावनियों के बावजूद जारी है। कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है और उनकी हड़ताल स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव डाल रही है।


कर्मचारियों की प्रमुख मांगें

एनएचएम कर्मचारी संघ ने अपनी दस सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया है। इन मांगों में शामिल हैं:

  1. एनएचएम अधिकारियों और कर्मचारियों का संविलियन और स्थायीकरण

  2. पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना

  3. ग्रेड पे का निर्धारण

  4. कार्य मूल्यांकन व्यवस्था में पारदर्शिता

  5. लंबित 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि

  6. नियमित भर्ती में सीटों का आरक्षण

  7. अनुकंपा नियुक्ति

  8. मेडिकल और अन्य अवकाश की सुविधा

  9. स्थानांतरण नीति

  10. न्यूनतम 10 लाख कैशलेस चिकित्सा बीमा


शासन की चेतावनी और कर्मचारियों की प्रतिक्रिया

स्वास्थ्य विभाग ने कर्मचारियों को चेतावनी दी थी कि यदि वे 16 सितंबर तक काम पर नहीं लौटे, तो उनके खिलाफ सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद, कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल जारी रखी और सामूहिक इस्तीफा दे दिया। एनएचएम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार मिरी ने कहा कि सरकार ने कुछ मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है, लेकिन वे आधे-अधूरे हैं। जब तक सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, हड़ताल जारी रहेगी।


अन्य राज्यों का समर्थन

झारखंड, जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों के स्वास्थ्य कर्मचारी संघों ने भी छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों की हड़ताल का समर्थन किया है। संघ ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।


कांग्रेस का समर्थन

प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने एनएचएम कर्मचारियों की मांगों को जायज बताते हुए हड़ताल का समर्थन किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य सरकार को कर्मचारियों की मांगों पर निर्णय लेना चाहिए और हड़ताल समाप्त करानी चाहिए।


रायपुर में एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव डाल रही है। कर्मचारियों की मांगें जायज हैं और शासन को इन पर शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। अन्य राज्यों का समर्थन और कांग्रेस का समर्थन इस आंदोलन को और भी मजबूत बना रहे हैं। यदि शीघ्र समाधान नहीं निकाला गया, तो स्वास्थ्य सेवाओं में और भी बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

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