छत्तीसगढ़ में ख़रीदी प्रक्रिया में सख्ती: नई शर्तें ताकि गड़बड़ी रोकी जा सके

छत्तीसगढ़ में ख़रीदी प्रक्रिया में सख्ती: नई शर्तें ताकि गड़बड़ी रोकी जा सके

11, 8, 2025

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रायपुर, छत्तीसगढ़ — राज्य सरकार ने सार्वजनिक विभागों द्वारा वार्षिक लगभग ₹14,000 करोड़ की जेनेरल खरीदारी (procurement) की प्रक्रिया में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई नई शर्तें लागू करने का निर्णय लिया है। खरीदी की शर्तों (purchase terms) में अब शामिल होंगे -- एक खरीदी समिति का गठन, माल के नमूने लेना, फ़ैक्टरी निरीक्षण आदि। इसका मकसद है कि गलत-सामान, उपयुक्तता, गुणवत्ता-मान और खरीद की पारदर्शिता बनी रहे।


नए नियम क्या-क्या हैं?

वार्तालापों और सरकारी घोषणाओं के अनुसार, निम्नलिखित शर्तें खरीदी प्रक्रिया में अब अनिवार्य होंगी:

  1. खरीदी समिति (Purchase Committee)

    • यह समिति विभिन्न विभागों में गठित होगी, जिसमें उन विभागों से प्रतिष्ठित अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।

    • इस समिति का काम होगा- गुणवत्ता परीक्षण, प्रस्तावों की प्राथमिक चयन प्रक्रिया, और प्रक्रिया के विभिन्न चरणों की निगरानी करना।

  2. नमूने लेना (Taking Samples of the Goods)

    • किसी भी सामान की खरीद से पहले आवश्यक है कि प्रस्तावित सामान का एक या अधिक नमूने लिए जाएँ।

    • नमूने इनकमिंग क्वालिटी, टिकाऊपन, सामग्री की गुणवत्ता आदि के आधार पर परीक्षण होंगे।

    • यदि नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे, तो उस आपूर्तिकर्ता (supplier) को खारिज किया जाएगा।

  3. फ़ैक्टरी / निर्माण स्थल का निरीक्षण (Inspecting the Factory)

    • आपूर्तिकर्ता की फैक्टरी या निर्माण स्थल की निरीक्षण रिपोर्ट अनिवार्य होगी।

    • निरीक्षण में यह देखा जाएगा कि किस तरह वस्तुएं बनाई जा रही हैं, मशीनरी की स्थिति, कर्मचारी सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं।

    • गुणवत्ता नियंत्रण की प्रक्रिया, उत्पादन क्षमता और कार्य वातावरण को भी जांचा जाएगा।

  4. अन्य प्रावधान

    • कीमतों में पारदर्शिता हो। विभिन्‍न विभागों में कोई कीमतों का अंतर न हो।

    • भ्रष्टाचार, लागत में छुपे चार्ज आदि से बचाव की व्यवस्था।

    • विवादों या शिकायतों के लिए एक प्रक्रिया तैयार होना चाहिए।


क्यों ये बदलाव ज़रूरी हो गए?

  • गड़बड़ी और घटिया सामग्री की शिकायतें: कई विभागों में ऐसे मामलों की सूचना मिली है जहाँ खरीदा गया सामान गुणवत्ता-मानकों पर खरा नहीं उतरा होता है।

  • पारदर्शिता की कमी: पूर्व में यह समस्या थी कि खरीदी प्रस्तावों में अनियमितताएँ होती थीं, आपूर्तिकर्ता-चयन प्रक्रिया अस्पष्ट होती थी।

  • लोगों का विश्वास बढ़ाना: सरकारी खर्च पर होने वाली खरीदी में जनता का विश्वास चाहिए कि उनके पैसे का सदुपयोग हो रहा है।

  • भविष्य में कानून-नियमों के उल्लंघन से बचाव: यदि शुरुआती चरणों में निरीक्षण, नमूना परीक्षण आदि हों तो बाद में कानूनी या वित्तीय विवाद कम होंगे।


इसका असर किस तरह होगा?

  • सभी विभागों को खरीद प्रस्ताव तैयार करते समय अब इन नए शर्तों को लागू करना होगा।

  • आपूर्तिकर्ताओं से पूछा जाएगा कि क्या उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि उनके उत्पाद का नमूना परीक्षण हुआ है और फैक्टरी निरीक्षण हो चुका है।

  • यदि आपूर्तिकर्ता इन शर्तों का पालन नहीं करेगा, तो निविदा (tender) या प्रस्ताव अस्वीकार किया जा सकता है।

  • प्रस्ताव में विलंब हो सकते हैं क्योंकि नया निरीक्षण व नमूना-चाप की प्रक्रिया समय ले सकती है।


चुनौतियाँ और सम्भावित समस्याएँ

  • समय और संसाधन की ज़रूरत: इसलिए कि एक-एक फैक्टरी निरीक्षण करना हो, नमूना परीक्षण करना हो, यह समय व मानव संसाधन दोनों मांगता है।

  • लॉजिस्टिक और तकनीकी क्षमता: छोटे आपूर्तिकर्ताओं के पास हो सकता है कि ऐसी तकनीकी जांच या गुणवत्ता नियंत्रण सुविधाएँ न हों, जिससे वे पीछे छूट सकते हैं।

  • आदेशों की पूर्ति में देरी: यदि प्रस्तावों को तुरंत मंज़ूरी न मिले क्योंकि निरीक्षण की प्रक्रिया लंबी होगी। जनता या विभागों को इंतज़ार ज्यादा करना पड़ेगा।

  • आपूर्तिकर्ताओं की तैयारी: उन्हें पता होना चाहिए इन नए नियमों के बारे में; उन्हें अपनी फैक्टरी / उत्पादन प्रक्रिया को सुधारना होगा।


आम जनता और विभागों के लिए क्या लाभ?

  • बेहतर गुणवत्ता वाला सामान मिलेगा, जैसे कि मशीनरी, उपकरण, कार्यालय सामग्री आदि।

  • लंबे समय तक टिकाऊ चीज़ें मिलेंगी, जिससे बार-बार बदलाव की ज़रूरत कम होगी।

  • सरकारी संसाधनों (पैसे, समय) का बेहतर उपयोग होगा।

  • भ्रष्टाचार कम होगा क्योंकि प्रक्रियाएँ अधिक पारदर्शी होंगी।


निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ सरकार ने सार्वजनिक खरीदी की प्रक्रिया में सख्ती लाकर पारदर्शिता, गुणवत्ता, और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाया है। फ़ैक्टरी निरीक्षण, सामान के नमूने लेना, खरीदी समिति बनाना जैसी शर्तें लागू हो गई हैं ताकि जीवन-स्तर सुधार हो, विभागों को सही सामान मिले, और जनता के पैसे का सदुपयोग हो।

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