स्कूल-कॉलेज-कॉलोनियों के सामने शराब दुकानों के खुलने से हड़कंप

स्कूल-कॉलेज-कॉलोनियों के सामने शराब दुकानों के खुलने से हड़कंप

11, 8, 2025

15

image

रायपुर, छत्तीसगढ़ — हाल ही में शहर में अर्ध दर्जन शराब दुकानों को लेकर काफी विवाद खड़ा हो गया है। ये दुकानें उन इलाकों में खोली जा रही हैं जहाँ स्कूल, कॉलेज और आवास-कॉलोनियाँ हैं — अपार्टमेंट्स, कॉलोनियाँ आदि। लोगों का कहना है कि ऐसी दुकानों के खुलने से माहौल प्रभावित होगा, सुरक्षा, सामाजिक और स्वास्थ्य-दृष्टि से इससे कई उलझने हो सकती हैं।


क्या कहना है समाचार का?

  • खबर बताती है कि शहर के कुछ हिस्सों में शराब की दुकानें स्कूल-कॉलेजों और कॉलोनियों के बिल्कुल सामने या नज़दीक खोल दी गई हैं।

  • नागरिकों ने विरोध किया है कि ये दुकानों के लिए ज़ोनिंग या नियोजन नियमों की उपेक्षा हो रही है। 

  • लोगों का कहना है कि इससे नशे की पहुँच, बाल सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव बढ़ेंगे। बच्चों और युवाओं पर ख़राब असर हो सकता है। 


नियम क्या कहते हैं?

  • हाई कोर्ट और आबकारी विभाग की कुछ पिछली सुनवाईयों में यह स्थापित किया गया है कि शराब की दुकानें स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, धार्मिक स्थलों आदि से कुछ न्यूनतम दूरी पर होनी चाहिए। 

  • उदाहरण के लिए, बिलासपुर के मामले में हाई कोर्ट ने पूछा है कि क्या आबकारी विभाग ने नियमों का उल्लंघन किया है क्योंकि स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों के सामने शराब दुकानें खुले हैं। 

  • एक अन्य प्रावधान के अनुसार शराब दुकानें धार्मिक स्थलों से 100 मीटर की दूरी पर होनी चाहिए। 


लोगों की चिंताएँ

  1. बच्चों व युवाओं पर असर
    स्कूल-कॉलेजों के बाहर शराब की दुकानें होने से विद्यार्थियों को नशे की वस्तुओं की पहुँच बढ़ सकती है, या कम से कम उनकी जिज्ञासा या जोखिम बढ़ सकता है।

  2. सुरक्षा व सामाजिक माहौल
    कॉलोनियों, अपार्टमेंट्स के नियोजन में अक्सर शांति-स्वच्छता, सामाजिक एकता आदि बातें महत्वपूर्ण होती हैं। ऐसी दुकानों से हॉस्टल, निवासी, परिवार आदि प्रभावित हो सकते हैं।

  3. अपराध या सार्वजनिक स्वास्थ्य
    शराब की दुकानें जहां-जहां होती हैं वहाँ सार्वजनिक Ordnung की समस्याएँ जैसे नशेड़ी व्यवहार, सड़क-हल्ला, भीड़-भाड़, कचरा आदि की संभावना बढ़ जाती है। सार्वजनिक स्वास्थ्य व सड़क सुरक्षा पर असर हो सकता है।

  4. नियम-उल्लंघन और भ्रष्टाचार की आशंका
    दुकानें खोलते समय यदि ज़मीनी प्राधिकरण, आबकारी विभाग ने ज़ोन कानूनों या शहर नियोजन नियमों का पालन नहीं किया हो, तो यह सरकारी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता व जवाबदेही पर प्रश्न उठाते हैं।


सरकार / प्रशासन की स्थिति व प्रतिक्रियाएँ

  • अभी तक कुछ लोग शिकायत कर चुके हैं कि स्थानीय आबकारी विभाग ने अनुमति देते समय स्कूल-कॉलेज और आबादी वाले क्षेत्रों की निकटता की रिपोर्ट नहीं ली है। 

  • उच्च न्यायालयों ने इस तरह के मामलों पर संज्ञान लिया है और जवाब देने के लिए आबकारी विभाग या संबंधित अधिकारियों को कहा है। 

  • कुछ अन्य जगहों पर, शराब दुकानों के लिए मानक दूरी बनाए रखने की आदेश जारी किए गए हैं, जैसे कि स्कूल-कॉलेज, अस्पताल या धार्मिक स्थानों से कम-से-कम 100 मीटर दूरी तय करने की बात कही गई है। 


संभावित समाधान और सुझाव

  • ज़ोनिंग नियमों की कड़ाई से निगरानी: नगरपालिका और आबकारी विभाग यह सुनिश्चित करें कि कहीं शराब की दुकान स्कूल, कॉलेज, अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थानों के समीप न हो।

  • मानक दूरी निर्धारित और लागू होनी चाहिए। जैसे कि 100 मीटर या ज़्यादा, जो कि स्थानीय नियमों व न्यायालय के आदेशों से तय हो।

  • परिवर्ती सार्वजनिक सुनवाई और नोटिस देना: नई शराब दुकान खोलने से पहले स्थानीय जनता को सूचना देना चाहिए, सुझाव और आपत्तियाँ दर्ज हो सकें।

  • अधिकारियों की जवाबदेही और नियमों का स्पष्ट पालन: अनुमति जारी करते वक्त ज़मीन सत्यापन, नज़दीकी संस्थानों की दूरी, सुरक्षा आदि का लेखा-जोखा रखना चाहिए।

  • स्थानीय शिक्षा और जागरूकता अभियान: लोगों को यह बताया जाना चाहिए कि इस तरह की दुकानों की निकटता के क्या-क्या प्रभाव हो सकते हैं ताकि सार्वजनिक दबाव बने सुधारों के लिए।


निष्कर्ष

शराब दुकानें जहाँ स्कूल-कॉलेज और कॉलोनियों के सामने होती हैं, वहाँ न सिर्फ़ सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ जन्म लेती हैं, बल्कि यह नियमों और नागरिक अधिकारों की भी परीक्षा होती है। सार्वजनिक हित में ज़रूरी है कि ज़ोनिंग कानूनों, दूरियों (buffer zones), अनुमति प्रक्रिया आदि का सख्ती से पालन हो। प्रशासन और न्यायपालिका दोनों पर दबाव है कि ऐसी स्थितियों में पारदर्शिता और कानून का शासन सुनिश्चित करें।

Powered by Froala Editor