बस्तर में बच्चों ने मानव शृंखला बनाकर स्वच्छता का संदेश दिया

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11, 8, 2025

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बस्तर, छत्तीसगढ़ — जिले के शबरी ऑडिटोरियम में शनिवार को "बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़" विषय पर एक प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में महिला सशक्तिकरण, बाल विवाह की रोकथाम और महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना था।

कार्यशाला का उद्देश्य और विषय

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करना और इसके दुष्प्रभावों के बारे में समाज को जागरूक करना था। साथ ही, महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा के विषयों पर भी विस्तृत चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि बाल विवाह से लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे समाज में असमानता और पिछड़ापन बढ़ता है।

प्रमुख वक्ताओं और सहभागिता

कार्यशाला में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। उन्होंने अपने अनुभवों और ज्ञान के माध्यम से उपस्थित महिलाओं और युवाओं को प्रेरित किया। साथ ही, उन्होंने बाल विवाह की रोकथाम के लिए कानूनी उपायों, सरकारी योजनाओं और सामाजिक समर्थन की जानकारी दी।

प्रशिक्षण सत्र और समूह चर्चा

कार्यशाला के दौरान विभिन्न प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए, जिनमें महिलाओं को उनके अधिकारों, कानूनी प्रावधानों और समाज में उनकी भूमिका के बारे में बताया गया। समूह चर्चा और गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों को सक्रिय रूप से शामिल किया गया, ताकि वे बाल विवाह की समस्या को समझ सकें और इसके समाधान के लिए कदम उठा सकें।

महिला सशक्तिकरण के लिए सरकारी योजनाएं

कार्यशाला में उपस्थित अधिकारियों ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। इन योजनाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और कानूनी सहायता शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सरकार महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए विभिन्न कार्यक्रम चला रही है।

समाज में बदलाव की आवश्यकता

कार्यशाला के समापन सत्र में यह बात प्रमुखता से उठाई गई कि समाज में बदलाव लाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना, उन्हें शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करना और बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाना आवश्यक है। साथ ही, पुरुषों और युवाओं को भी इस परिवर्तन की प्रक्रिया में शामिल करना होगा, ताकि समाज में समानता और न्याय स्थापित किया जा सके।

निष्कर्ष

सुकमा में आयोजित यह कार्यशाला महिला सशक्तिकरण और बाल विवाह की रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई। इसने समाज में जागरूकता फैलाने, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने और सामाजिक बदलाव लाने की दिशा में सकारात्मक पहल की। आने वाले समय में इस प्रकार के कार्यक्रमों की निरंतरता और प्रभावशीलता समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने में सहायक होगी।

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