छत्तीसगढ़ में सामुदायिक गतिविधियों और विकास की झलक

छत्तीसगढ़ में सामुदायिक गतिविधियों और विकास की झलक

11, 8, 2025

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में आर्थिक अपराधों की जांच के तहत ईओडब्ल्यू ने तीन राज्यों में एक समन्वित कार्रवाई की। इस कार्रवाई में कुछ प्रमुख राजनीतिक व्यक्तियों और उनके करीबी सहयोगियों से जुड़े ठिकानों पर तलाशी ली गई। यह कदम वित्तीय अनियमितताओं की जांच के हिस्से के रूप में उठाया गया है।

अंबिकापुर: श्री सर्वेश्वरी समूह ने अपनी 65वीं स्थापना दिवस की खुशियाँ मनाई। इस अवसर पर बाबा अवतूट भगवन राम की शोभायात्रा और विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया गया। यह समारोह सामाजिक कल्याण और सामुदायिक सेवा के प्रति समूह की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

महासमुंद: ग़ायत्री शक्तिपीठ में 15 दिवसीय पितृ तर्पण का आयोजन हुआ। पितृ मोक्ष अमावस्या के अवसर पर 242 श्रद्धालुओं ने अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी। इस कार्यक्रम ने क्षेत्रवासियों में धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों की गहरी समझ को बढ़ावा दिया।

सुकमा: 'बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़' और महिला सशक्तिकरण पर एक कार्यशाला का आयोजन शबरी ऑडिटोरियम में किया गया। इसमें भाग लेने वालों ने बाल विवाह के खतरों और महिलाओं के अधिकारों पर विचार विमर्श किया और जागरूकता अभियान में सक्रिय रूप से भाग लिया।

बस्तर: नारायणपुर में स्थानीय विद्यालय के विद्यार्थियों ने मानव श्रृंखला बनाकर स्वच्छता का संदेश दिया। यह पहल युवाओं में स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देती है।

इसी क्रम में, आईटीबीपी ने दूरदराज के धनौरा गाँव में निशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया। 'स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार अभियान' के तहत आयोजित इस शिविर में ग्रामीण महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं और स्वास्थ्य के महत्व पर जोर दिया गया।

हाल ही में आई बाढ़ के बाद स्कूल दस्तावेजों को हुए नुकसान का सर्वेक्षण किया गया। प्रभावित छात्रों को नई अंकसूचियाँ और प्रमाणपत्र प्रदान किए जा रहे हैं, ताकि उनकी शैक्षिक प्रगति में कोई बाधा न आए।

कबीरधाम: दुर्गा पूजा के दौरान स्थानीय पंडाल को उखाड़ने को लेकर तनाव बढ़ गया। इसके परिणामस्वरूप एसडीओपी के साथ विवाद हुआ और पुलिस ने लाठीचार्ज कर स्थिति को नियंत्रित किया। इस घटना में 40 से अधिक लोग घायल हुए, जो यह दिखाता है कि त्योहारों के दौरान सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

इसी जिले में प्राथमिक प्रधानाध्यापक संघ की बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें शिक्षा क्षेत्र की समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा की गई। बैठक का उद्देश्य शिक्षकों को उनके सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के उपाय तलाशना था।


छत्तीसगढ़ में ये गतिविधियाँ और घटनाएँ राज्य के सामाजिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक जीवन की विविधता को उजागर करती हैं। ये न केवल सांस्कृतिक परंपराओं और धार्मिक आयोजनों की महत्ता दिखाती हैं, बल्कि सामाजिक जागरूकता, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उठाए जा रहे कदमों को भी प्रदर्शित करती हैं।

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