कबीरधाम में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रांतीय धरना

कबीरधाम में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रांतीय धरना

11, 8, 2025

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कबीरधाम जिले के सिनोधा क्षेत्र की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने अपनी लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर नवा रायपुर में आयोजित प्रांतीय धरने में भाग लिया। इस धरने का उद्देश्य उनके अधिकारों और सम्मान को सुनिश्चित करना था, और उन्होंने सरकार से उनकी मांगों पर शीघ्र कार्रवाई करने की अपील की।

धरने का नेतृत्व जिले की वरिष्ठ नेता और आंगनवाड़ी संघ की जिलाध्यक्ष जानकी शर्मा ने किया। उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का काम केवल बच्चों की देखभाल तक सीमित नहीं है, बल्कि वे ग्रामीण समुदाय में स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण जैसी महत्वपूर्ण सामाजिक सेवाओं का भी निर्वहन करती हैं। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि उनके काम और योगदान को उचित मान्यता और सम्मान मिले।

मांगों का विवरण

धरने में शामिल कार्यकर्ताओं ने कई लंबित मुद्दों और मांगों को प्रमुखता से उठाया। उनकी मुख्य मांगों में शामिल हैं:

  1. समान वेतन और भत्ते: कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग की कि उन्हें शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के समान वेतन और भत्ते प्राप्त हों।

  2. नियुक्ति और नियमितीकरण: उन्होंने मांग की कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की नियुक्ति नियमित की जाए और उन्हें स्थायी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।

  3. स्वास्थ्य एवं सुरक्षा सुविधाएँ: उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर स्वास्थ्य सुविधाओं और सुरक्षा प्रावधानों का होना अत्यंत आवश्यक है, ताकि वे अपने कर्तव्यों को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से निभा सकें।

  4. प्रशिक्षण और क्षमता विकास: कार्यकर्ताओं ने यह भी अनुरोध किया कि उन्हें नियमित प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान किए जाएँ, जिससे वे बच्चों और ग्रामीण समुदाय को और बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकें।

जानकी शर्मा ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की मेहनत और लगन समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य की सेवाओं को पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने सरकार से अपील की कि इन कार्यकर्ताओं को उनके वास्तविक योगदान के अनुसार सम्मान और वेतन प्रदान किया जाए।

धरने की प्रक्रिया और आयोजन स्थल

धरना नवा रायपुर के प्रांतीय कार्यालय परिसर में आयोजित किया गया। आयोजन स्थल पर बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और सहायिकाएँ एकत्र हुईं। धरने के दौरान सभी ने एकजुटता का प्रदर्शन किया और सरकार के प्रति अपनी मांगों की गम्भीरता को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया।

धरने में उपस्थित कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए, घोषणापत्र पढ़ा और मंच से सरकार के प्रति अपनी मांगों का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगों पर तुरंत ध्यान नहीं दिया गया, तो वे भविष्य में और बड़े आंदोलन की तैयारी कर सकती हैं।

स्थानीय प्रशासन और सरकार की प्रतिक्रिया

इस धरने के दौरान स्थानीय प्रशासन ने शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किए। अधिकारियों ने धरने के दौरान कार्यकर्ताओं से शांति बनाए रखने का अनुरोध किया और आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा।

सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी धरने स्थल पर पहुंचे और कार्यकर्ताओं के साथ संवाद किया। उन्होंने यह संकेत दिया कि उनकी मांगों पर जल्द ही विचार किया जाएगा और आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

समाज पर प्रभाव

यह धरना न केवल कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि इससे समाज में आंगनवाड़ी कर्मचारियों के योगदान और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता भी बढ़ी। ग्रामीण समुदाय ने इस पहल को सराहा और कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण की सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कार्यकर्ताओं के इस एकजुट प्रयास ने यह संदेश दिया कि जब लोग अपने अधिकारों के लिए संगठित होकर आवाज़ उठाते हैं, तो प्रशासन और सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान देने के लिए मजबूर होती है। यह सामाजिक और राजनीतिक चेतना का एक उदाहरण भी है, जो अन्य श्रमिक वर्गों को अपने हक़ के लिए लड़ने की प्रेरणा देता है।

आगे की राह

धरने के बाद जानकी शर्मा ने सभी कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया कि उनका संघर्ष जारी रहेगा जब तक उनकी मांगों का उचित समाधान नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि यह केवल आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के अधिकारों की लड़ाई नहीं है, बल्कि ग्रामीण समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ी पहल है।

कार्यकर्ताओं ने इस मौके पर एक संकल्प भी लिया कि वे बच्चों के बेहतर भविष्य और समाज में सुधार लाने के लिए लगातार काम करती रहेंगी और अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखेंगी।


निष्कर्ष:

कबीरधाम जिले के आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का यह धरना न केवल उनके अधिकारों के लिए बल्कि समाज में शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रसार के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी एकजुटता और संघर्ष यह दर्शाता है कि जब समाज के मेहनतकश वर्ग अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाता है, तो प्रशासन और सरकार को उनकी समस्याओं पर गंभीरता से विचार करना पड़ता है। यह धरना आने वाले समय में अन्य क्षेत्रों में भी समान आंदोलनों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।

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