कबीरधाम के तुरैया बहरा गांव में दिव्यांग भाई-बहन पेंशन से वंचित, जीवनयापन में कठिनाई

कबीरधाम के तुरैया बहरा गांव में दिव्यांग भाई-बहन पेंशन से वंचित, जीवनयापन में कठिनाई

11, 8, 2025

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कबीरधाम जिले के तुरैया बहरा गांव में तीन दिव्यांग भाई-बहन—भादु, चैन सिंह और सुकरतिन—पिछले एक वर्ष से सरकारी दिव्यांग पेंशन से वंचित हैं। यह परिवार अपनी सीमित संसाधनों और सामाजिक सहायता के अभाव में जीवनयापन कर रहा है। परिवार की स्थिति बेहद कठिन है क्योंकि दिव्यांग होने के कारण इन भाई-बहनों के पास स्थायी आय का कोई साधन नहीं है और वे पूरी तरह से पेंशन पर निर्भर हैं।

परिवार की आर्थिक और सामाजिक स्थिति

भादु, चैन सिंह और सुकरतिन का परिवार पहले से ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहा है। माता-पिता के निधन के बाद ये भाई-बहन ही परिवार की मुख्य आधारशिला हैं। पेंशन न मिलने के कारण उन्हें भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और दैनिक आवश्यकताओं में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इन भाई-बहनों की स्थिति बहुत ही संवेदनशील है और अगर जल्द राहत नहीं मिली तो उनकी जीवन-यापन की स्थिति और बिगड़ सकती है।

पेंशन रोकने का कारण और प्रशासनिक जवाब

स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि इस पेंशन को रोकने के पीछे प्रशासनिक और तकनीकी कारण हैं। अधिकारियों के अनुसार पेंशन के लिए आवश्यक दस्तावेजों में कुछ कमी पाई गई थी, जिसके कारण भुगतान स्थगित किया गया। हालांकि, ग्रामीण और परिवार के सदस्य कहते हैं कि वे सभी आवश्यक दस्तावेज समय पर जमा कर चुके थे और कोई तकनीकी समस्या नहीं होनी चाहिए थी।

किसान और ग्रामीण इस मामले में अपनी चिंता व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह न केवल परिवार के दिव्यांग सदस्यों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि समाज में कमजोर वर्ग के प्रति प्रशासन की संवेदनशीलता पर भी सवाल उठाता है।

स्थानीय ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

गांव के लोगों ने बताया कि भादु, चैन सिंह और सुकरतिन हमेशा समाज की सहायता करते आए हैं और वे अपने जीवन में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहे हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि इस परिवार को तत्काल पेंशन प्रदान की जाए ताकि उनका जीवन आसान हो सके। ग्रामीणों ने कहा कि इस तरह की घटनाएँ समाज में असमानता और बेवजह के तनाव को जन्म देती हैं, और सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

दिव्यांग पेंशन का महत्व

दिव्यांग पेंशन केवल आर्थिक सहायता का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज में दिव्यांग व्यक्तियों के सम्मान और उनका जीवन यापन सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। पेंशन से न केवल उनकी दैनिक आवश्यकताएँ पूरी होती हैं, बल्कि यह उन्हें सामाजिक रूप से सशक्त बनाने में भी मदद करता है। इस पेंशन का समय पर भुगतान सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।

कबीरधाम जिले में कई अन्य दिव्यांग व्यक्तियों को भी इस पेंशन की आवश्यकता है। इसलिए प्रशासन के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि किसी भी पात्र व्यक्ति की पेंशन बंद न हो और सभी लाभ समय पर प्राप्त हों।

समाधान और प्रशासनिक उपाय

स्थानीय प्रशासन ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है और जल्द ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि यदि दस्तावेजों में कोई कमी है तो उसे तुरंत पूरा किया जाएगा और पेंशन लाभ बहाल किया जाएगा। इसके अलावा, प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे किसी अफवाह या गलत सूचना से प्रभावित न हों और सही जानकारी के लिए केवल सरकारी अधिकारियों से ही संपर्क करें।

विशेषज्ञों का कहना है कि दिव्यांग पेंशन जैसी योजनाओं का उद्देश्य कमजोर वर्ग के जीवन में सुधार लाना है। इसलिए इसे रोकना या देरी करना समाज और प्रशासन दोनों के लिए चिंता का विषय है। अधिकारियों को चाहिए कि वे पेंशन वितरण में पारदर्शिता बनाए रखें और पात्र व्यक्तियों को समय पर लाभ प्रदान करें।

भविष्य की दिशा

भादु, चैन सिंह और सुकरतिन जैसे दिव्यांग व्यक्तियों के लिए यह समय संघर्ष का है। हालांकि प्रशासन की ओर से आश्वासन मिलने के बाद उनके परिवार और ग्रामीणों में राहत की भावना भी है। स्थानीय समाज और ग्रामीण समुदाय ने इस मामले में आवाज़ उठाई है और सभी आशा कर रहे हैं कि इस परिवार को जल्द से जल्द पेंशन का लाभ मिलेगा।

इसके अलावा, यह मामला अन्य दिव्यांग व्यक्तियों के लिए भी सीख है कि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए समय-समय पर दस्तावेज और प्रक्रिया की जानकारी रखें।

निष्कर्ष

कबीरधाम जिले के तुरैया बहरा गांव में दिव्यांग भाई-बहनों की पेंशन वंचित होने की घटना समाज के कमजोर वर्ग के लिए चिंता का विषय है। यह न केवल उनके जीवनयापन को प्रभावित करता है, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही और संवेदनशीलता पर भी सवाल उठाता है।

स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों की संयुक्त पहल से उम्मीद की जा सकती है कि जल्द ही इस परिवार को राहत मिलेगी और उन्हें उनकी पेंशन बहाल की जाएगी। इस मामले ने यह भी स्पष्ट किया है कि समाज में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों और सुविधाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है ताकि वे अपने जीवन में सम्मान और सुरक्षा के साथ जी सकें।

दिव्यांग पेंशन केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि समाज में समानता और न्याय का प्रतीक है। इसलिए इसे समय पर प्रदान करना और किसी भी पात्र व्यक्ति को वंचित न करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।

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