रमन प्रभाव से डीएनए संरचना तक: 54 छात्राओं ने विज्ञान की गहराईयों में की यात्रा

रमन प्रभाव से डीएनए संरचना तक: 54 छात्राओं ने विज्ञान की गहराईयों में की यात्रा

11, 8, 2025

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अंबिकापुर में विज्ञान के प्रति छात्राओं की रुचि और समझ को बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद रायपुर और छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद रायपुर के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष विज्ञान कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जिले की 54 चयनित छात्राओं ने भाग लिया और विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को समझने का अवसर प्राप्त किया।

कार्यशाला का उद्देश्य और आयोजन

यह कार्यशाला 13 से 15 सितंबर तक आयोजित की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य छात्राओं को विज्ञान के प्रति जागरूक करना और उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचने के लिए प्रेरित करना था। कार्यशाला का आयोजन अंबिकापुर के एक प्रमुख विद्यालय में किया गया, जहां छात्राओं को विज्ञान के विभिन्न विषयों पर व्याख्यान और प्रयोगात्मक गतिविधियाँ कराई गईं।

रमन प्रभाव से डीएनए संरचना तक का सफर

कार्यशाला के दौरान छात्राओं को रमन प्रभाव, प्रकाशिकी, रासायनिक अभिक्रियाएँ, जैविक संरचनाएँ जैसे डीएनए और प्रोटीन की संरचना, तथा अन्य महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अवधारणाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने इन विषयों पर व्याख्यान दिए और छात्राओं को प्रयोगों के माध्यम से इन अवधारणाओं को समझने का अवसर प्रदान किया।

रमन प्रभाव पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें छात्राओं को यह समझाया गया कि जब प्रकाश किसी पदार्थ से टकराता है, तो उसका कुछ हिस्सा उस पदार्थ से परावर्तित होता है और उसकी तरंगदैर्ध्य में परिवर्तन आता है। यह परिवर्तन रमन प्रभाव कहलाता है, जिसे भारतीय वैज्ञानिक सी.वी. रमन ने खोजा था।

डीएनए और प्रोटीन की संरचना पर भी चर्चा की गई, जिसमें छात्राओं को बताया गया कि डीएनए जीवन के लिए आवश्यक सभी जानकारी का भंडारण करता है और प्रोटीन शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए आवश्यक होते हैं। इन संरचनाओं को समझने के लिए मॉडल और चित्रों का उपयोग किया गया, जिससे छात्राओं को इन जटिल अवधारणाओं को सरलता से समझने में मदद मिली।

प्रयोगात्मक गतिविधियाँ और इंटरएक्टिव सत्र

कार्यशाला में केवल व्याख्यान ही नहीं, बल्कि प्रयोगात्मक गतिविधियाँ और इंटरएक्टिव सत्र भी आयोजित किए गए। इन सत्रों में छात्राओं को विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों को स्वयं करने का अवसर मिला, जिससे उनकी समझ और रुचि दोनों में वृद्धि हुई। उदाहरण के लिए, रासायनिक अभिक्रियाओं को देखने के लिए छात्राओं ने विभिन्न रसायनों को मिलाया और उनके परिणामों का अवलोकन किया।

इंटरएक्टिव सत्रों में छात्राओं ने वैज्ञानिकों से सीधे संवाद किया और उनके अनुभवों और विचारों को जाना। इससे छात्राओं को यह प्रेरणा मिली कि वे भी विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं।

छात्राओं की प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा

कार्यशाला के अंत में छात्राओं ने अपनी प्रतिक्रियाएँ साझा कीं। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला ने उनके दृष्टिकोण को विस्तृत किया है और उन्हें विज्ञान के प्रति गहरी रुचि उत्पन्न हुई है। कई छात्राओं ने यह भी कहा कि वे भविष्य में विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाने की सोच रही हैं।

शिक्षकों ने भी इस कार्यशाला की सराहना की और कहा कि इस प्रकार की गतिविधियाँ छात्राओं को प्रेरित करती हैं और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाती हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भविष्य में इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन और अधिक बढ़ाया जाए, ताकि अधिक से अधिक छात्राओं को इसका लाभ मिल सके।

निष्कर्ष

अंबिकापुर में आयोजित यह विज्ञान कार्यशाला न केवल छात्राओं के लिए ज्ञानवर्धन का अवसर थी, बल्कि यह उनके भविष्य की दिशा को भी प्रभावित करने वाली पहल साबित हुई। इसने यह सिद्ध कर दिया कि यदि छात्राओं को सही मार्गदर्शन और अवसर मिले, तो वे किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं। आने वाले समय में इस प्रकार की और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना चाहिए, ताकि हमारे समाज की बेटियाँ विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में अग्रणी बन सकें।


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