अंबिकापुर में नवरात्रि की शुरुआत: इस बार हाथी पर आएंगी मां दुर्गा

अंबिकापुर में नवरात्रि की शुरुआत: इस बार हाथी पर आएंगी मां दुर्गा

11, 8, 2025

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अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ – 23 सितंबर 2025 को शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हुआ। इस वर्ष विशेष बात यह है कि मां दुर्गा का आगमन हाथी (गज) पर माना गया है, जो समृद्धि, शक्ति और शांति का प्रतीक है। यह परंपरा स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और पूरे शहर में उल्लास का माहौल है।

नवरात्रि का महत्व और परंपरा

नवरात्रि हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है, जो विशेष रूप से मां दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह पर्व नौ दिनों तक चलता है, जिसमें शक्ति, भक्ति और साधना की विशेषता होती है। प्रत्येक दिन मां के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, और विशेष रूप से दशमी (विजयदशमी) के दिन रावण दहन की परंपरा है।

इस वर्ष की विशेषता: हाथी पर मां दुर्गा का आगमन

इस वर्ष अंबिकापुर में नवरात्रि की शुरुआत में एक विशेष परंपरा देखने को मिली। मां दुर्गा का आगमन हाथी पर माना गया, जो समृद्धि और शांति का प्रतीक है। यह परंपरा स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और पूरे शहर में उल्लास का माहौल है।

हाथी को भारतीय संस्कृति में शक्ति, समृद्धि और बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है। विशेष रूप से गजानन (गणेश) की पूजा में हाथी का महत्व है। इस वर्ष मां दुर्गा के आगमन को हाथी पर मानने से श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह है और वे इसे शुभ संकेत मान रहे हैं।

आयोजन की तैयारियाँ और उत्साह

नवरात्रि के शुभारंभ से पूर्व, अंबिकापुर शहर में विशेष तैयारियाँ की गईं। बाजारों में रंग-बिरंगे फूलों और झूलों से सजावट की गई, और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई। स्थानीय प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था और यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए कदम उठाए।

श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए मंदिरों में बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं और भजन-कीर्तन का आयोजन भी जोरों पर है। विशेष रूप से महिलाएँ और बच्चे उत्साह के साथ इस पर्व में भाग ले रहे हैं।

सामाजिक और सांस्कृतिक पहल

नवरात्रि का पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दौरान लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, पुराने मतभेद भूलकर एकजुट होते हैं, और सामूहिक पूजा-अर्चना करते हैं। यह पर्व समाज में सद्भावना और एकता को बढ़ावा देता है।

अंबिकापुर में इस वर्ष विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं की सक्रिय भागीदारी देखने को मिल रही है। वे न केवल पूजा-अर्चना में भाग ले रहे हैं, बल्कि समाज सेवा और स्वच्छता अभियान जैसे कार्यों में भी योगदान दे रहे हैं।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता

हाल के वर्षों में नवरात्रि के दौरान पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ी है। इस वर्ष अंबिकापुर में प्लास्टिक मुक्त नवरात्रि मनाने का संकल्प लिया गया है। श्रद्धालु पारंपरिक मिट्टी के बर्तन का उपयोग कर रहे हैं और प्राकृतिक रंगों से सजावट कर रहे हैं।

स्थानीय प्रशासन ने भी प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है और स्वच्छता अभियान के तहत विशेष कदम उठाए हैं। इस पहल से न केवल पर्यावरण की रक्षा हो रही है, बल्कि समाज में जागरूकता भी बढ़ रही है।

निष्कर्ष

अंबिकापुर में इस वर्ष का नवरात्रि पर्व विशेष रूप से हाथी पर मां दुर्गा के आगमन के कारण यादगार बन गया है। यह परंपरा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है।

श्रद्धालुओं की भक्ति, उत्साह और एकता इस पर्व को और भी विशेष बना देती है। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता भी इस वर्ष की विशेषता है। इस प्रकार, अंबिकापुर में नवरात्रि का पर्व एक समृद्ध, शांत और एकजुट समाज की ओर अग्रसर होने का प्रतीक बन गया है।

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