कोरबा में स्थापित दुर्गा पंडालों में श्रद्धालुओं के लिए माता रानी के दर्शन और पूजन की व्यवस्था

कोरबा में स्थापित दुर्गा पंडालों में श्रद्धालुओं के लिए माता रानी के दर्शन और पूजन की व्यवस्था

11, 8, 2025

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कोरबा, छत्तीसगढ़ – 22 सितंबर 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरबा शहर में स्थापित विभिन्न दुर्गा पंडालों में आज से श्रद्धालुओं के लिए माता रानी के दर्शन और पूजन की व्यवस्था शुरू हो गई है। यह आयोजन नवरात्रि पर्व के अवसर पर किया गया है, जिसका उद्देश्य शहरवासियों को धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ना है।

पंडालों की सजावट और सुरक्षा व्यवस्था

कोरबा शहर के विभिन्न स्थानों पर स्थापित दुर्गा पंडालों की सजावट आकर्षक और भव्य है। पंडालों में माता रानी की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, जिनकी पूजा-अर्चना के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त, पंडालों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था भी मजबूत की गई है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

दर्शन और पूजन की व्यवस्था

श्रद्धालुओं के लिए माता रानी के दर्शन और पूजन की व्यवस्था इस प्रकार की गई है:

  • दर्शन का समय: सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक।

  • पूजन सामग्री: श्रद्धालुओं को पूजन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।

  • पुजारियों की तैनाती: प्रत्येक पंडाल में योग्य पुजारियों की तैनाती की गई है, जो पूजा-अर्चना में श्रद्धालुओं की सहायता करेंगे।

  • विशेष पूजा: नवरात्रि के विशेष अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाएगा।

प्रशासन और पुलिस की भूमिका

कोरबा जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने नवरात्रि पर्व के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष कदम उठाए हैं। पुलिस बल की तैनाती की गई है, ताकि किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटा जा सके। इसके अतिरिक्त, ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं।

श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया

श्रद्धालुओं ने पंडालों की सजावट और व्यवस्था की सराहना की है। उनका कहना है कि इस प्रकार के आयोजनों से न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा मिलता है, बल्कि समाज में एकता और भाईचारा भी मजबूत होता है। उन्होंने आयोजकों और प्रशासन का धन्यवाद किया है।

निष्कर्ष

कोरबा में स्थापित दुर्गा पंडालों में श्रद्धालुओं के लिए माता रानी के दर्शन और पूजन की व्यवस्था न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देती है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे की भावना को भी मजबूत करती है। इस प्रकार के आयोजनों से यह सिद्ध होता है कि धार्मिक आयोजन समाज के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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