बिलासपुर में स्कूल पहुंचे कर्मचारी, नशे में होने का आरोप; छात्रों ने किया विरोध

बिलासपुर में स्कूल पहुंचे कर्मचारी, नशे में होने का आरोप; छात्रों ने किया विरोध

11, 8, 2025

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बिलासपुर। शहर में एक सरकारी स्कूल में बुधवार सुबह तब तनाव फैल गया जब एक कर्मचारी (lecturer/शिक्षक) स्कूल समय पर नशे की हालत में पहुंचा। छात्रों और स्टाफ ने उसकी स्थिति देख कर तुरंत अधिकारियों को सूचना दी और मामला वायरल वीडियो बनते ही प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी।


घटना कैसे सामने आई

सुबह-सुबह स्कूल खुला और छात्र अपनी-अपनी कक्षाओं में चले गए। उसी वक्त एक शिक्षक परिसर में दिखा जो स्पष्ट रूप से नशे की हालत में था। उसकी डेंगू चाल, चलने-फिरने का तरीका और बातचीत का अंदाज़, सभी छात्रों को शक होने की वजह बनी। कुछ छात्रों ने मोबाइल से वीडियो बना लिया, जिसमें वह छात्र-छात्राओं से बात करते हुए, अनियमित व्यवहार करते हुए दिखा।

वायरल वीडियो में यह भी दिखा कि उन्होंने शिक्षक से कहा कि स्कूल बंद करो, छात्रों को शांति से पढ़ने दो, लेकिन शिक्षक ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। स्थिति बढ़ी तो छात्रों ने उसे बाहर निकालने की कोशिश की।


प्रशासन की प्रतिक्रिया

स्कूल प्रबंधन ने तुरंत घटना की जानकारी शिक्षा विभाग को दी। जिला शिक्षा अधिकारी/प्रखंड शिक्षा अधिकारी को बुलाया गया, और आश्वासन दिया गया कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी।

शिक्षक को फिलहाल स्कूल-अधिकारियों द्वारा उपस्थित न होने या व्यवहार अनियमित होने की वजह से स्कूल से अनुपस्थित रहने को कहा गया है। एक अधिकारी ने बताया कि यदि वीडियो और छात्रों के बयानों से प्रमाणित होता है कि वह वास्तव में शराब की नशे में था, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।


छात्रों और अभिभावकों की नाराज़गी

वायरल वीडियो के बाद छात्रों और अभिभावकों में गहरा आक्रोश देखा गया। कई अभिभावकों ने कहा कि बच्चे सुबह-सुबह नशे में शिक्षक को देखकर भयभीत हो गए। उनका कहना है कि शिक्षक का यह व्यवहार न सिर्फ छात्र-छात्राओं के शिक्षा पर असर डालता है, बल्कि उनकी सुरक्षा और मनोबल को भी चोट पहुँचाता है।

एक छात्रा ने बताया कि उन्होंने स्कूल समय पर शिक्षक को शराब की बोतल के करीब खड़े देखा और फिर कुछ समय बाद वीडियो बनाया गया। छात्रा ने कहा कि “हमें डर था कि अगर हमने कुछ कहा तो बदला होगा, पर जब वीडियो वायरल हुआ तो प्रशासन ने ध्यान देना शुरू किया।"


कानूनी और नियम-व्यवस्था की भूमिका

  • इस तरह की घटनाएँ शिक्षा विभाग और स्कूलों की जिम्मेदारी को सामने लाती हैं कि स्टाफ की फिटनेस, शिष्टाचार और जवाबदेही सुनिश्चित हो।

  • शिक्षा विभाग के नियमों में यह स्पष्ट है कि किसी भी सरकारी स्कूल में नशे की हालत में शिक्षक का उपस्थिति, छात्रों के सामने अनुचित व्यवहार करना अनुचित है और ये दायित्वों के उल्लंघन में आता है।

  • यदि जांच में शिक्षक के खिलाफ साक्ष्य मजबूत निकलेंगे, तो उसे सस्पेंड किया जा सकता है, और स्कूल सेवा नियमों के अनुसार सेवाएं समाप्त होने की कार्रवाई हो सकती है।


सामाजिक असर और शिक्षा के वातावरण पर प्रभाव

यह घटना दिखाती है कि विद्यार्थी सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण की उम्मीद करते हैं। एक शिक्षक का यह व्यवहार विश्वास को तोड़ता है, जो बच्चे और अभिभावक स्कूल और शिक्षा प्रणाली के प्रति रखते हैं।

अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों में समय-समय पर मनोवैज्ञानिक व व्यवहार-शिक्षण की ट्रेनिंग होनी चाहिए ताकि शिक्षक समझें कि उनका व्यवहार छात्रों पर कैसे असर डालता है।

इसके अलावा, यह मामला यह भी दर्शाता है कि टेक्नोलॉजी – मोबाइल और सोशल मीडिया – आज ऐसे मामलों में सच सामने लाने का एक ज़रिया हैं, जब अन्य माध्यम काम ना करें।


उम्मीदें और आगे की कार्रवाई

  • शिक्षा विभाग चाहता है कि घटना की पूरी तरह से छानबीन हो, वीडियो सत्य-निष्ठ हो, छात्रों और संकाय के बयानों की समीक्षा हो।

  • अगर शिक्षक दोषी पाया गया तो न केवल सस्पेंशन या सज़ा, बल्कि स्कूल मनोबल बनाए रखने के लिए बेहतर निगरानी और व्यवहार मानकों की पालना सुनिश्चित हो।

  • स्कूलों में नियमित ऑडिट, स्टाफ की जांच-परख और छात्रों के फ़ीडबैक सिस्टम को सक्रिय करना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएँ पहले ही पकड़ी जा सकें।


बिलासपुर में यह घटना शिक्षा व्यवस्था में जवाबदेही और भरोसे की जरूरत को उजागर करती है। छात्रों को चाहिए कि वे ऐसी अवस्थाओं पर चुप न रहें, और स्कूल-प्रशासन व सरकार को चाहिए कि व्यवहारहीनता सहित नशे की स्थिति जैसी अनियमितताओं पर सख्त कार्रवाई हो।

जब शिक्षक अपने पद की गरिमा को भूल जाएँ, तो न सिर्फ शिक्षा का उद्देश्य प्रभावित होता है बल्कि छात्रों का विश्वास भी कम होता है। यह घटना समाज को यह संदेश देती है कि शिक्षा सिर्फ किताबी पाठ नहीं, बल्कि चरित्र और मूल्यों का विकास भी है।

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