रायपुर के स्कूलों में दशहरा-दीवाली के कारण 16 दिन की अवकाश: माता-पिता और विद्यार्थियों पर क्या होगा असर?

रायपुर के स्कूलों में दशहरा-दीवाली के कारण 16 दिन की अवकाश: माता-पिता और विद्यार्थियों पर क्या होगा असर?

11, 8, 2025

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रायपुर में राज्य सरकार ने एक नया निर्णय लिया है कि इस साल दशहरा और दिवाली के पर्वों के मद्देनजर सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों में कुल 16 दिनों की छुट्टी रहेगी। यह फैसला शिक्षा विभाग और शिक्षा सचिव के निर्देश पर जारी हुआ है।


क्या कहा गया है आदेश में?

  • शिक्षा विभाग ने घोषित किया है कि स्कूल कुछ विशेष दिनों के लिए बंद रहेंगे, जिसमें दशहरा और दिवाली के त्योहार शामिल हैं।

  • अकेले त्योहारों की छुट्टी ही नहीं, बल्कि त्योहारों के पहले-बाद के कुछ दिन भी अवकाश में जोड़े गए हैं ताकि छात्र-छात्राएँ व शिक्षक-शिक्षिकाएँ परिवहन, त्यौहार की तैयारियों व यात्रा के लिए समय पा सकें।

  • इनमें अन्य सार्वजनिक अवकाशों को भी ध्यान में रखा गया है, जैसे स्थानीय त्योहार, पूजा-पाठ आदि पर्व जहाँ अधिकांश परिवार घर-घर पर तैयारियाँ करते हैं।


असर: छात्रों और स्कूल-शिक्षकों पर

  1. पढ़ाई पर प्रभाव
    इतने लंबे अवकाश से कई पाठ्यक्रम पीछे छूट सकते हैं। शिक्षक-शिक्षिकाएँ शेष सिलेबस को पूरा करने में दबाव महसूस करेंगे।

  2. होमवर्क एवं पढ़ाई-समय का प्रबंधन
    माता-पिता चाहेंगे कि बच्चे कुछ पढ़ लिख कर अवकाश में समय बिताएँ। लेकिन कहीं-कहीं संसाधन कम हों तो यह मुश्किल हो सकता है।

  3. शिक्षकों के लिए सुविधा या कठिनाई
    कुछ शिक्षक इसे अच्छा समय मानेंगे कि वे अपना काम और निजी ज़िंदगी संभाल सकें, लेकिन दूसरों को पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय देना पड़ेगा या छुट्टियों के बाद अतिरिक्त तैयारी करनी पड़ेगी।


सामाजिक और पारिवारिक प्रभाव

  • परिवारों को इस अवधि में त्योहार की तैयारियों, यात्राओं, मिलन-जुलन आदि के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।

  • जो विद्यार्थी गाँव-गांव जाते हैं या किसी दूर-दराज इलाके से पढ़ने आते हैं, उन्हें इस बात की सुविधा होगी कि समय रहते सुरक्षित यात्रा कर सकें।

  • लेकिन इसके उलट, कुछ परिवार ऐसे हैं जहाँ बच्चे अवकाश के दौरान पर्याप्त देखरेख या पर्यवेक्षण न होने की वजह से परेशान हो सकते हैं — विशेषकर छोटे बच्चों के लिए।


प्रशासन की ज़िम्मेदारी

  • स्कूलों को चाहिए कि अवकाशों की घोषणा समय रहते करें जिससे छात्र-छात्राओं को उनकी योजना बनाने में दिक्कत न हो।

  • परीक्षा-तिथियों, होमवर्क, निर्धारित गतिविधियों etc. को अहमियत दी जाए कि छुट्टी समाप्त होने के बाद छात्रों को सहज वापसी हो।

  • परिवहन व्यवस्था, क्लीनिंग, स्कूल भवन की सुरक्षा जैसी तैयारियाँ अवकाशों के बाद सुचारू रूप से चलें, खासकर उन इलाकों में जहाँ मौसम या अन्य बाहरी परिस्थिति की वजह से समस्याएँ हो सकती हैं।


जनता की प्रतिक्रिया

  • अधिकांश माता-पिता और छात्र इस निर्णय से संतुष्ट हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इतने लंबे अवकाश से कम से कम एक ब्रेक मिलेगा, और त्योहारों का आनंद व गृहकार्य साथ-साथ किया जा सकेगा।

  • कुछ अभिभावकों ने यह चिंता जताई है कि यदि छुट्टियाँ इतनी बढ़ी हों तो शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।

  • शिक्षकों में मिलेजुले विचार हैं: कुछ का मानना है कि अवकाश जरूरी है ताकि मानसिक व शारीरिक आराम हो, वहीं दूसरों को लगता है कि ये लंबे अवकाश नकारात्मक हो सकते हैं अगर उचित समय तालिका ना बनाई जाए।


क्या कोई विकल्प हो सकता था?

  • छुट्टियों को त्योहारों के बीच ऐसे विभाजित करना कि पढ़ाई-कार्य का न्यूनतम प्रभाव हो — जैसे कि पाठ्यक्रम के हिस्सों को पहिले सप्ताह पूरा करना, दूसरे सप्ताह त्योहार की तैयारियाँ आदि।

  • ऑनलाइन या होमवर्क के माध्यम से छात्रों को सक्रिय रखना, ताकि छुट्टी के बाद सिलेबस तेजी से पकड़ा जा सके।

  • स्कूल-समिति और अभिभावकों की बैठकें कर योजना बनाना कि कौन से विषयों की तैयारी छुट्टियों से पहले करनी है और किन्हें अवकाश के बाद प्राथमिकता देनी है।


निष्कर्ष

सार में यह कहा जा सकता है कि रायपुर में स्कूलों की 16 दिन की छुट्टी निर्णय सकारात्मक है क्योंकि यह सामाजिक और पारिवारिक जरूरतों को ध्यान में रखता है। लेकिन शिक्षा विभाग, स्कूल प्रबंधन और समाज को मिलकर यह देखना होगा कि इस अवकाश का शैक्षणिक नुकसान न हो और छात्रों की सफलता प्रभावित न हो।

छुट्टियाँ सिर्फ आराम के लिए नहीं हैं, बल्कि यह समय है योजना बनाने, खुद को तैयार करने और त्योहारों का सच्चा आनंद लेने का भी। जब ये संतुलन ठीक से बनेगा, तभी यह निर्णय वाकई फायदेमन्द होगा।

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