छत्तीसगढ़ CGPSC परीक्षा घोटाला: आरती वासनिक और अन्य आरोपियों का अदालत में पेशी

छत्तीसगढ़ CGPSC परीक्षा घोटाला: आरती वासनिक और अन्य आरोपियों का अदालत में पेशी

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ में लोक सेवा आयोग (CGPSC) परीक्षा घोटाले ने राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था और सरकारी परीक्षा प्रणाली में नई हलचल मचा दी है। इस मामले में आरती वासनिक, जो परीक्षा नियंत्रक पद पर कार्यरत थीं, समेत पांच अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। सोमवार को इन आरोपियों को रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया गया, और रिमांड अवधि बढ़ाने की मांग पर अदालत विचार कर रही है।


गिरफ्तार आरोपियों की पहचान

इस घोटाले में शामिल प्रमुख आरोपी इस प्रकार हैं:

  1. आरती वासनिक – पूर्व परीक्षा नियंत्रक, जिन पर परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक करने का आरोप है।

  2. जीवनलाल ध्रुव – रिटायर्ड IAS अधिकारी और पूर्व सचिव।

  3. सुमित ध्रुव – जीवनलाल ध्रुव के बेटे और घोटाले में सहयोगी।

  4. निशा कोसले – परीक्षा में शामिल अन्य आरोपी।

  5. दीपा आदिल – घोटाले में शामिल अन्य व्यक्ति।

इन सभी आरोपियों को पहले कस्टोडियल रिमांड पर रखा गया था। अब रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए अदालत में प्रक्रिया चल रही है, ताकि जांच एजेंसियां इस घोटाले की गहराई से जांच कर सकें।


मामला कैसे सामने आया

घोटाले का खुलासा तब हुआ जब कई अभ्यर्थियों और प्रशासनिक कर्मचारियों ने परीक्षा में अनियमितताओं की शिकायत की। जांच में पता चला कि परीक्षा के प्रश्न पत्र कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के माध्यम से लीक किए गए। आरती वासनिक का नाम सबसे प्रमुख रूप से सामने आया क्योंकि वह परीक्षा नियंत्रक थीं और उनके पद की जिम्मेदारी थी कि परीक्षा निष्पक्ष और पारदर्शी रूप से आयोजित हो।

इस घोटाले ने राज्य में सरकारी नौकरी की परीक्षाओं में पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। सवाल उठता है कि क्या उच्च स्तर पर बैठे अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों का पालन कर रहे हैं या भ्रष्टाचार के लिए अवसर का फायदा उठा रहे हैं।


प्रशासन और जांच एजेंसियों की प्रतिक्रिया

  • सीबीआई की जांच: इस घोटाले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा की जा रही है। एजेंसी ने आरोपियों के खिलाफ मजबूत सबूत इकट्ठा किए हैं। रिमांड अवधि बढ़ाने की प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है और घोटाले की जड़ तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।

  • अदालत में पेशी: सोमवार को सभी आरोपियों को विशेष अदालत में पेश किया गया। अदालत ने रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए सुनवाई जारी रखी। इससे यह संकेत मिलता है कि न्यायिक प्रक्रिया और जांच एजेंसी दोनों ही मामले की गंभीरता को समझ रहे हैं।

  • सुरक्षा और निगरानी: अदालत और जांच एजेंसी ने सुनिश्चित किया कि आरोपियों की सुरक्षा और निगरानी पूरी तरह से की जाए। इस घोटाले में शामिल लोग उच्च पदस्थ हैं, इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक था।


सामाजिक और शैक्षिक असर

  • छात्रों में असंतोष: इस घोटाले के कारण छात्र वर्ग में भारी असंतोष है। सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को यह विश्वास दिलाना कठिन हो गया है कि परीक्षा निष्पक्ष रूप से आयोजित होती है।

  • विश्वास का संकट: परीक्षा घोटाले ने प्रशासनिक प्रणाली और सरकारी संस्थाओं पर लोगों का भरोसा कमजोर कर दिया है। लोग सोच रहे हैं कि अगर उच्च अधिकारियों में भ्रष्टाचार है, तो आम नागरिक के हित की रक्षा कैसे हो सकती है।

  • शैक्षिक संस्थानों पर दबाव: यह घटना शैक्षिक संस्थानों और परीक्षा नियंत्रकों पर भी दबाव डालती है कि वे पारदर्शिता सुनिश्चित करें और किसी भी तरह की अनियमितताओं को रोकें।


कानूनी पहलू

इस मामले में भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है।

  • धारा 420 और 120B: धोखाधड़ी और साजिश के आरोप।

  • संपत्ति और वित्तीय जांच: घोटाले में शामिल वित्तीय लेनदेन और संपत्ति का ट्रेस किया जा रहा है।

  • सजा का प्रावधान: अगर आरोप सिद्ध होते हैं, तो आरोपियों को जेल और जुर्माने की सजा मिल सकती है।


आगे की संभावनाएँ

  • जांच एजेंसी ने कहा है कि यह घोटाला बड़े पैमाने पर था और इसमें अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं।

  • अदालत रिमांड अवधि बढ़ाने का फैसला करेगी, ताकि जांच पूरी और निष्पक्ष तरीके से हो सके।

  • भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए परीक्षा प्रणाली में निगरानी और नियंत्रण कड़ा किया जाएगा।

  • घोटाले से जुड़े सभी दस्तावेज और प्रमाण इकट्ठा किए जा रहे हैं ताकि मामले में किसी भी तरह की छूट न हो।


निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ CGPSC परीक्षा घोटाले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उच्च पदस्थ अधिकारियों और परीक्षा नियंत्रकों की जवाबदेही अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  • आरती वासनिक और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी और रिमांड प्रक्रिया यह दिखाती है कि प्रशासन और न्यायिक तंत्र दोनों गंभीर हैं।

  • यह घोटाला छात्रों और आम नागरिकों के बीच सरकारी परीक्षा और प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है।

  • भविष्य में परीक्षा प्रणाली की मजबूती और निगरानी के लिए यह एक चेतावनी है कि किसी भी तरह की अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

इस प्रकार, यह मामला केवल एक परीक्षा घोटाले का नहीं है बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता, न्यायिक कार्रवाई और सामाजिक विश्वास की परीक्षा भी है।

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