छत्तीसगढ़ के चर्चित नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले में रिटायर्ड आईएएस अफसर डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा की गिरफ्तारी ने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में हलचल मचा दी है।

छत्तीसगढ़ के चर्चित नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले में रिटायर्ड आईएएस अफसर डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा की गिरफ्तारी ने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में हलचल मचा दी है।

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ के चर्चित नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले में रिटायर्ड आईएएस अफसर डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा की गिरफ्तारी ने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में हलचल मचा दी है। यह मामला 2015 से लंबित था, जब राज्य के खाद्य वितरण तंत्र में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ था।


🧾 नान घोटाले का इतिहास

नान घोटाला 2015 में तब सामने आया जब नागरिक आपूर्ति निगम में चावल, नमक और अन्य खाद्य पदार्थों के परिवहन और भंडारण में गड़बड़ी की शिकायतें मिलीं। इसके बाद एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीम ने 28 ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें रायपुर मुख्यालय से दो करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए। इस जांच में 16 लोगों के खिलाफ 5000 पन्नों से अधिक का चालान कोर्ट में पेश किया गया। उस समय आलोक शुक्ला खाद्य सचिव और अनिल टूटेजा नान के एमडी थे।


⚖️ सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

हालांकि इस मामले में पहले ही आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका था, लेकिन आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा को जमानत मिल गई थी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत रद्द कर दी और दोनों अधिकारियों को ईडी की रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। इसके बाद दोनों अधिकारियों ने सरेंडर किया, जिसके बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया।


🕵️‍♂️ ईडी की जांच और पूछताछ

गिरफ्तारी के बाद ईडी की टीम ने आरोपितों को दिल्ली के लिए फ्लाइट से रवाना किया। दिल्ली ईडी कार्यालय में उनसे नई सिरे से पूछताछ की जाएगी। नान घोटाले की जांच अब दिल्ली ईडी द्वारा ही की जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर कोर्ट परिसर को छावनी में तब्दील किया गया और सीआरपीएफ जवानों को तैनात किया गया।


📅 जांच की समय सीमा

सुप्रीम कोर्ट की युगल पीठ ने ईडी और ईओडब्ल्यू को जांच पूरी करने के लिए समय सीमा तय की है। ईडी के लिए तीन और ईओडब्ल्यू के लिए दो महीने का समय निर्धारित किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायालय इस मामले में त्वरित कार्रवाई चाहता है और किसी भी प्रकार की देरी को स्वीकार नहीं करेगा।


🧩 घोटाले की जटिलताएँ

नान घोटाला केवल खाद्य आपूर्ति में अनियमितताओं तक सीमित नहीं था। इसमें अधिकारियों द्वारा जांच को प्रभावित करने की कोशिशें, दस्तावेजों की गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के अन्य पहलू शामिल थे। यह मामला प्रशासनिक भ्रष्टाचार और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को उजागर करता है।


🔍 निष्कर्ष

नान घोटाले में आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा की गिरफ्तारी यह दर्शाती है कि न्यायालय और जांच एजेंसियाँ भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई कर रही हैं। हालांकि यह मामला लंबा खिंच चुका है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश और ईडी की सक्रियता से उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही इस मामले में न्याय मिलेगा।

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