जादुई कलश के नाम पर एक करोड़ नब्बे लाख की ठगी, चार गिरफ्तार, मास्टरमाइंड फरार

जादुई कलश के नाम पर एक करोड़ नब्बे लाख की ठगी, चार गिरफ्तार, मास्टरमाइंड फरार

11, 8, 2025

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बिलासपुर। “जादुई कलश” के नाम पर अब तक 1 करोड़ 90 लाख रुपये से अधिक की ठगी का मामला सामने आया है। जशपुर पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन इस ठगी के मास्टरमाइंड अभी फरार है। अपराध के पैमाने और तंत्र की महीनियों की कामियाबी ने इस मामले को राज्य के लिए हाई-अलर्ट बना दिया है।


मामला कैसे सामने आया

पत्थलगांव थाना क्षेत्र की रहने वाली अमृता बाई ने 7 सितंबर को शिकायत दर्ज कराई कि चार व्यक्तियों ने उसे जादुई कलश बेचने का झांसा दिया। आरोपियों ने दावा किया कि कलश को विदेश में बेच कर भारी मुनाफा होगा और “आरपी ग्रुप” नामक कंपनी से जुड़ने पर 1 से 5 करोड़ रुपये का अनुदान (grant) मिलेगा। झांसे में आने के डर से उसने भी रजिस्ट्रेशन एवं केवाईसी - प्रपत्रों को भरने के नाम पर 2,500 रुपये जमा कर दिए।

जब समय बीतने के बाद कुछ नहीं हुआ और किसी प्रकार का मुनाफा नहीं मिला, तो पीड़िता ने शिकायत दर्ज करवाई। इस पर पुलिस ने जांच शुरू की और पाया कि इस तरह के झूठे वादों का जाल प्रदेश के कई जिलों में फैला हुआ है।


गिरफ्तारी और पकड़े गए लोग

पुलिस ने विशेष टीम गठित की, और जशपुर पुलिस ने जांच कर चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है:

  • तुरेन्द्र कुमार उर्फ़ मनीष दिव्य (38), भदरापारा, कोरबा

  • प्रकाशचंद्र धृतलहरे (40), गोढ़ीकला, پت्थलगांव, जशपुर

  • राजेंद्र कुमार दिव्य (46), कबीर नगर, रायपुर

  • उपेंद्र कुमार सारथी (56), सीतापुर थाना क्षेत्र, सरगुजा

मास्टरमाइंड महेंद्र बहादुर सिंह ठाकुर अभी फरार है। टीम उसकी तलाश में लगी हुई है।


धोखाधड़ी का तरीका और पैमाना

पुलिस ने बताया कि यह गिरोह “जादुई कलश” के नाम पर लोगों को एप्रोच करता था। आरोपियों ने दावा किया कि यह कलश नेचरल शक्तियों वाला है और उसके साथ जुड़े चावल, अनाज आदि अपनी ओर आकर्षित होंगे।

ये लोग वैसा कंपनी मॉडल पेश करते थे जैसे कि “आप निवेश करो, कंपनी से फायदा वापसी होगी”—यानी पोंजी पैटर्न जैसा तंत्र। वैसा झांसा देकर वे लोगों से छोटी-छोटी राशि ले रहे थे (केवाईसी शुल्क, पंजीकरण, रजिस्ट्रेशन आदि) जो ₹25,000 से ₹70,000 तक होती थी।

जाँच में पाया गया कि इस गिरोह ने सिर्फ अमृता बाई से ही नहीं, बल्कि जशपुर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में भी ऐसी ठगी की है — कुल मिलाकर जो राशि जुटाई गई है वो 1 करोड़ 90 लाख रुपये तक पहुंच गई है।


पुलिस की ओर से शुरुआत और जांच की स्थिति

एसएसपी शशि मोहन सिंह ने बताया कि पत्थलगांव थाना की शिकायत के बाद स्थानीय पुलिस व टीआई विनीत पांडे के नेतृत्व में विशेष SIT (Special Investigation Team) बनाई गई। SIT ने घटना की गहराई से जांच की, आरोपी-पक्षों के बयानों और औपचारिक दस्तावेजों की जांच की।

जाँच में यह स्पष्ट हुआ कि आरोपियों ने कंपनी की फर्जी वेबसाइट, नकली प्रमोशनल मैटिरियल, और फोटो-शूट आदि से लोगों को भरोसा दिलाया। इनमें Company registration documents, बैंक खाता विवरण, विज्ञापन इत्यादि शामिल थे, जो दिखने में वैध लगते थे।


प्रभावित लोग और आर्थिक/मनोवैज्ञानिक असर

जो लोग इस जाल में फंसे, उनमें छोटे किसान, गरीब महिलाएँ, और मध्यम आय वर्ग शामिल हैं। उन्होंने सोचा था कि यह एक विश्वसनीय निवेश है और इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी।

लेकिन समय के साथ जब कोई भुगतान नहीं हुआ, तो लोगों को लगा कि धोखा हुआ है।

उन्होंने कार्रवाई के लिए पुलिस के पास पहुँचने के अलावा सामाजिक मीडिया और स्थानीय जागरूकता समूहों से भी मदद माँगी, ताकि और लोगों को यह जाल पता चले और ऐसा न हो कि और लोग भी ठगों की योजना का शिकार हों।


कानूनी प्रावधान और आगे की कार्रवाई

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 34 (संयुक्त जिम्मेदारी) के तहत प्रकरण दर्ज किया है। सरकारी अधिकारी बता रहे हैं कि जाँच अभी जारी है और महीने-दिनों हो सकते हैं कि धोखाधड़ी की राशि और बढ़े भी।

मास्टरमाइंड महेंद्र ठाकुर की गिरफ्तारी को प्राथमिकता दी गई है। पुलिस ने चेतावनी दी है कि ऐसे झूठे “मंगल सूत्र”, “जादू-टोना” या “अनोखे कलश” जैसे प्रस्तावों में किसी को सक्षम नहीं होना चाहिए जब तक कि उनके प्रमाण और वारंटी स्पष्ट न हों।


सामाजिक संदेश और शिक्षा की ज़रूरत

इस प्रकार के मामलों से यह संदेश जाता है कि लोगों को ऐसे प्रस्तावों से सावधानी बरतनी चाहिए जो “बहुत अच्छा लगता है कि सच नहीं हो सकता” जैसी बातें कह कर भरोसा दिलाते हैं।

  • निवेश करने से पहले लोग कंपनी के दस्तावेज, पैन/एड्रेस/केवाईसी आदि की जानकारी स्वयं से जांचें।

  • लोगों को जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत है कि ऐसा निवेश योजना झूठा हो सकती है। सामाजिक कार्यकर्ता और मीडिया इस तरह की कहानियों को उजागर कर रहे हैं।

  • सरकार को चाहिए कि वह ऐसे झूठे निवेशों पर नियामक नियंत्रण बढ़ाए, ऐसी अफवाहों और धोखों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।


“जादुई कलश” नामक ठगी अंदाज़ ने यह साबित किया है कि कितने शातिर लोग झूठे वादों से लोगों के भरोसे और उनकी पूँजी दोनों को निशाना बनाते हैं। गिरफ्तारी एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इस तरह की योजनाएँ धोखे की होती हैं — शोर और दिखावे से ज़्यादा सत्य और पारदर्शिता की ज़रूरत होती है।

समय रहते कार्रवाई हुई है, पर मानसिक और आर्थिक चोट कई लोगों को झेलनी पड़ी है। इस घटना ने सरकार, पुलिस और समाज सभी को यह याद दिलाया है कि सतर्कता और समझदारी ही रक्षा है।

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