दुर्ग में प्रिंसिपल पर बच्चों से दुर्व्यवहार का आरोप: “राधे-राधे” कहने पर हुई बर्बर सज़ा

दुर्ग में प्रिंसिपल पर बच्चों से दुर्व्यवहार का आरोप: “राधे-राधे” कहने पर हुई बर्बर सज़ा

11, 8, 2025

13

image

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले की एक निजी स्कूल की प्रिंसिपल पर ऐसे गंभीर आरोप लगे हैं कि सुनकर हर किसी की रूह काँप उठे। मामला है तीन-साढ़े तीन साल की एक नर्सरी की छात्रा का, जिसे अभिवादन के रूप में “राधे-राधे” कहने पर प्रिंसिपल ने न सिर्फ डांटा बल्कि उसकी मुंह पर टेप लगा दी और हाथों पर डंडे से मारपीट भी की। इस घटना ने पूरे इलाके में भूचाल ला दिया है।


कौन है आरोपी

इस मामले की आरोपी इला इवान कोल्विन नाम की प्रिंसिपल है, जो दुर्ग जिले के बगदुमर गाँव के मदर टेरेसा इंग्लिश मीडियम स्कूल में तैनात हैं। परिवार, पुलिस और मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, इला इवान पर बच्चे के साथ शारीरिक व मानसिक दुर्व्यवहार करने के आरोप हैं। 


घटना क्या हुई थी

  • घटना उस दिन की है जब बच्ची स्कूल गई थी और उसने प्राचार्य को “राधे-राधे” कहकर अभिवादन किया। 

  • प्राचार्य ने इस बात से गुस्सा जाहिर किया। माना जा रहा है कि उन्होंने बच्ची को डांट-फटकार लगाई, उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और मुंह पर टेप लगा दी। 

  • इसके अलावा, बच्ची के हाथों-पैरों पर डंडे से मारपीट की गई, शरीर पर चोटों के निशान लोग देख सकते थे। बच्ची घर आने पर उदास और डरी-भयी हालत में थी। 


पूरा मामला सार्वजनिक कैसे हुआ

बच्ची ने घर लौटने पर पिता को बताया कि स्कूल में जो हुआ, उससे बहुत भय हुआ। पिता ने तुरंत पुलिस से शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में लिखा गया कि चोट और अनुचित व्यवहार से बच्ची को मानसिक-शारीरिक कष्ट हुआ है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी।

स्थानीय समुदाय और सामाजिक संगठन भी इस घटना से रोषित हुए। विरोध प्रदर्शन हुए, लोगों ने स्कूल प्रबंधन से जवाब मांगा और शिक्षा विभाग को इस मामले की गंभीर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की।


कानूनी कार्रवाई

  • पुलिस ने इला इवान कोल्विन के खिलाफ बाल न्याय कानून (Juvenile Justice Act) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

  • पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि मैटर गंभीर है क्योंकि आरोपी ने एक नन्हीं बच्ची के साथ शारीरिक व मानसिक दुर्व्यवहार किया है। अस्पताल में जांच में भी चोट के निशान पाए गए हैं। 

  • आरोपी को हिरासत में लिया गया है और आगे की जांच जारी है। 


सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव

  • बच्ची के लिए यह घटना सिर्फ शारीरिक चोट नहीं है — उसके मन में डर, अविश्वास और अनाप-शनाप अनुभव भर गया होगा। स्कूल जैसी जगह जहाँ बच्चे को सुरक्षित महसूस करना चाहिए, वहाँ डर का अनुभव होना बहुत बड़ा हादसा है।

  • परिवार पर भी तनाव आया है — बच्ची की चोटें, उसकी मानसिक स्थिति, स्कूल-प्रबंधन के जवाबदेह न होने की स्थिति, सभी ने पारिवारिक माहौल को प्रभावित किया है।

  • समाज में भरोसा टूटता है जब शिक्षक या प्रिंसिपल जैसा बड़ा पद रखने वाला व्यक्ति ऐसी हरकत करता है। माता-पिता डरते हैं कि कहीं उनकी बच्ची के साथ भी ऐसा कुछ हो जाए, स्कूल भेजना सुरक्षित हो न हो।


इस तरह की घटनाओं से क्या सिखने की जरूरत है?

  1. नौकरी की जिम्मेदारी और निगरानी
    स्कूलों में शिक्षक-प्रशासन को यह समझना चाहिए कि उनकी भूमिका सिर्फ syllabus पढ़ाने की नहीं है, बल्कि बच्चों की भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक सुरक्षा की भी है। स्कूल प्रबंधन को ऐसे कर्मचारियों पर निरंतर निगरानी रखनी चाहिए।

  2. शिक्षक प्रशिक्षण और संवेदनशीलता
    शिक्षक प्रशिक्षण में ‘चाइल्ड सेफ्टी’, ‘बाल अधिकार’, ‘मनोविज्ञान’ आदि विषयों को शामिल करना चाहिए, ताकि वे समझें कि छोटे बच्चों के साथ व्यवहार कैसे किया जाए।

  3. पदावनति और जवाबदेही
    ऐसे मामलो में विभाग को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए, आरोपी को सस्पेंड करना चाहिए और जांच निष्पक्ष हो। दोषी पाए जाने पर सज़ा होनी चाहिए ताकि अन्य लोगों को चेतावनी मिले।

  4. पारिवारिक और मनोवैज्ञानिक समर्थन
    प्रभावित बच्ची के लिए मनोवैज्ञानिक सलाह और देखभाल की व्यवस्था होनी चाहिए। पिता-माता को भी मिले समर्थन कि वे बच्ची को संवेदनशीलता, प्यार और भरोसे के साथ संभाल सकें।


निष्कर्ष

यह घटना सिर्फ एक स्कूल की चर्चा नहीं है, बल्कि समाज के मूल्य, नैतिकता और शिक्षा प्रणाली की नींव पर सवाल है। “राधे-राधे” जैसे साधारण अभिवादन पर, एक नन्हीं बच्ची को डर और दु:ख का सामना करना पड़ा — यह सुस्त और कठोर जागरूकता की कॉल है।

शिक्षा सिर्फ किताबी ज्ञान देना नहीं है, बल्कि इंसानियत की सीख देना है, बच्चों के व्यक्तित्व को निखारना है — न कि उन्हें आत्म-संकोचित करना। इस तरह की घटनाएँ यह याद दिलाती हैं कि हर स्कूल, हर प्राचार्य और शिक्षक की ज़िम्मेदारी बहुत बड़ी है।

Powered by Froala Editor