रायगढ़ में शिक्षक पर बच्चों से दुर्व्यवहार का आरोप: अभिभावकों का गुस्सा, प्रशासन से न्याय की मांग

रायगढ़ में शिक्षक पर बच्चों से दुर्व्यवहार का आरोप: अभिभावकों का गुस्सा, प्रशासन से न्याय की मांग

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने शिक्षा व्यवस्था और बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक माध्यमिक स्कूल के शिक्षक पर बच्चों से दुर्व्यवहार करने के आरोप लगे हैं। इस घटना के बाद अभिभावकों और स्थानीय समुदाय में गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है।

घटना का सार

रायगढ़ जिले के एक माध्यमिक स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों और उनके माता-पिता ने शिकायत की है कि स्कूल का एक शिक्षक बच्चों के साथ अनुचित व्यवहार करता है। छात्रों ने डर-डर कर अपने माता-पिता को बताया कि कक्षा में पढ़ाई की बजाय उन्हें अपमान और डर का सामना करना पड़ता है। अभिभावकों का आरोप है कि शिक्षक न केवल बच्चों को डांटता और डराता है, बल्कि कभी-कभी मारपीट करने तक की नौबत आ जाती है।

इस तरह के व्यवहार ने बच्चों के मन पर गहरा असर डाला है। कई बच्चे अब स्कूल जाने से घबराने लगे हैं। उनका आत्मविश्वास कमजोर हो गया है और पढ़ाई पर ध्यान देना मुश्किल हो गया है।

अभिभावकों का रोष

मामला सामने आने के बाद अभिभावकों ने एकजुट होकर विरोध किया। उनका कहना है कि शिक्षक का रवैया बच्चों के भविष्य को बर्बाद कर रहा है। छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल में पढ़ाई और प्यार मिलना चाहिए, न कि डर और उत्पीड़न।

एक अभिभावक ने कहा, “हमने अपने बच्चों को इस उम्मीद से स्कूल भेजा था कि वहां उन्हें सुरक्षित माहौल मिलेगा और वे अच्छे संस्कार व शिक्षा प्राप्त करेंगे। लेकिन जब शिक्षक ही बच्चों पर जुल्म करने लगे तो हम माता-पिता कैसे चैन से बैठ सकते हैं?”

कई अभिभावकों ने बताया कि बच्चों ने स्कूल जाने से इंकार करना शुरू कर दिया है। वे कहते हैं कि शिक्षक के डर से उनके बच्चे मानसिक तनाव में जी रहे हैं।

प्रशासन तक पहुँचा मामला

अभिभावकों ने इस मामले को हल्के में नहीं लिया। उन्होंने स्कूल प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की। लेकिन जब प्रबंधन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो नाराज़ अभिभावकों ने यह मुद्दा कलेक्ट्रेट तक पहुँचा दिया। अब यह मामला प्रशासन के सामने है और लोग उम्मीद कर रहे हैं कि अधिकारियों द्वारा सख्त कदम उठाए जाएंगे।

स्थानीय लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग को इस मामले में तुरंत जांच कर, दोषी शिक्षक पर कार्यवाही करनी चाहिए। बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है और इसमें किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जानी चाहिए।

बच्चों पर असर

बच्चों के लिए यह घटना केवल शारीरिक या मानसिक कष्ट नहीं है, बल्कि यह उनके आत्मविश्वास और सीखने की क्षमता पर सीधा प्रहार है। जब कोई बच्चा डर और अपमान झेलता है तो उसकी पढ़ाई में रुचि खत्म हो जाती है। धीरे-धीरे वह पढ़ाई छोड़ने तक की सोच सकता है।

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि इस उम्र में बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं। शिक्षक से मिलने वाला व्यवहार उनके जीवन की दिशा तय करता है। अगर उन्हें डर और हिंसा का सामना करना पड़े, तो उनके व्यक्तित्व में असुरक्षा और डर स्थायी रूप से बस सकता है।

समाज की प्रतिक्रिया

इस घटना ने न केवल अभिभावकों को बल्कि पूरे समाज को झकझोर दिया है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर एक शिक्षक, जिसे बच्चों को शिक्षा और संस्कार देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह इतनी बड़ी चूक कैसे कर सकता है।

स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले में आवाज़ उठाई है। उनका कहना है कि शिक्षा सिर्फ किताबें पढ़ाना नहीं है, बल्कि बच्चों में आत्मविश्वास जगाना और उनके भविष्य की नींव मजबूत करना है। ऐसे में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले शिक्षक के लिए स्कूलों में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

स्कूल प्रबंधन की भूमिका

स्कूल प्रबंधन की भी इस मामले में बड़ी जिम्मेदारी बनती है। अभिभावक सवाल उठा रहे हैं कि जब बच्चों ने शिकायत की, तो प्रबंधन ने समय रहते क्यों कार्रवाई नहीं की। अगर शिकायत पर तत्काल ध्यान दिया जाता तो मामला प्रशासन तक नहीं पहुँचता।

अब मांग की जा रही है कि प्रबंधन न सिर्फ इस शिक्षक पर कड़ी कार्रवाई करे बल्कि भविष्य में इस तरह की घटनाएँ दोबारा न हों, इसके लिए भी ठोस कदम उठाए।

समाधान और आगे की राह

ऐसे मामलों से सीख लेकर शिक्षा व्यवस्था में कई बदलाव की जरूरत है।

  1. सख्त निगरानी: स्कूलों में शिक्षकों के व्यवहार पर समय-समय पर निगरानी रखी जानी चाहिए।

  2. शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षकों को बच्चों के साथ संवेदनशील व्यवहार करने और बाल मनोविज्ञान को समझने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।

  3. अभिभावक सहभागिता: स्कूल और अभिभावकों के बीच मजबूत संवाद होना चाहिए ताकि छोटी शिकायतें भी तुरंत सुलझाई जा सकें।

  4. मानसिक परामर्श: प्रभावित बच्चों के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि उनका आत्मविश्वास लौट सके।

  5. कड़ी सज़ा: अगर किसी शिक्षक पर दुर्व्यवहार का दोष साबित होता है, तो उसे नौकरी से हटाने के साथ-साथ कानूनी कार्यवाही भी होनी चाहिए।

निष्कर्ष

रायगढ़ का यह मामला केवल एक जिले का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। अगर स्कूल जैसी जगहें बच्चों के लिए असुरक्षित बन जाएँ तो समाज का भविष्य अंधकार में डूब जाएगा।

इस घटना ने दिखा दिया कि बच्चों की सुरक्षा और सम्मान को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही अब स्वीकार्य नहीं है। प्रशासन, स्कूल प्रबंधन और समाज — तीनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों को स्कूल में सुरक्षित और प्यार भरा माहौल मिले।

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