मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में आयुष विभाग ने 23 सितंबर 2025 को 10वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर 'रन फॉर आयुर्वेद' नामक विशेष दौड़ का आयोजन किया।

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में आयुष विभाग ने 23 सितंबर 2025 को 10वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर 'रन फॉर आयुर्वेद' नामक विशेष दौड़ का आयोजन किया।

11, 8, 2025

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मनेद्रगढ़, छत्तीसगढ़ में 23 सितंबर 2025 को आयुर्वेद दिवस का आयोजन विशेष रूप से किया गया, जो न केवल आयुर्वेद के महत्व को उजागर करता है, बल्कि क्षेत्रीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को भी बढ़ावा देता है।

📅 आयुर्वेद दिवस का महत्व

आयुर्वेद, जिसे 'जीवन का विज्ञान' कहा जाता है, भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन को भी महत्व देता है। 2025 में आयुर्वेद दिवस का विषय 'आयुर्वेद फॉर पीपल एंड प्लैनेट' था, जो वैश्विक कल्याण और पर्यावरणीय संतुलन में आयुर्वेद की भूमिका को दर्शाता है।

🏞️ मनेद्रगढ़ में आयोजित विशेष कार्यक्रम

मनेद्रगढ़ में आयुर्वेद दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें स्थानीय लोगों, छात्रों और आयुर्वेद प्रेमियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसके लाभों को लोगों तक पहुँचाना था।

कार्यक्रम में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों, हर्बल उपचारों और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से स्वास्थ्य सुधार के विषय पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने आयुर्वेद के सिद्धांतों और उनके आधुनिक जीवन में उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

🌿 आयुर्वेद के लाभ और आधुनिक जीवन में भूमिका

आयुर्वेद न केवल बीमारियों का उपचार करता है, बल्कि यह रोगों की रोकथाम में भी सहायक है। यह संतुलित आहार, नियमित दिनचर्या, योग और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। आधुनिक जीवनशैली में बढ़ते तनाव, अनियमित आहार और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण आयुर्वेद की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।

🧘‍♂️ कार्यक्रम में शामिल गतिविधियाँ

कार्यक्रम में विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जिनमें आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की प्रदर्शनी, योग और प्राणायाम सत्र, और आयुर्वेदिक आहार पर कार्यशालाएँ शामिल थीं। स्थानीय आयुर्वेदाचार्यों ने लोगों को प्राकृतिक उपचार विधियों के बारे में जानकारी दी और उनके दैनिक जीवन में इन्हें अपनाने के लाभ बताए।

इसके अतिरिक्त, बच्चों और युवाओं के लिए विशेष सत्र आयोजित किए गए, जिसमें उन्हें आयुर्वेद के महत्व और इसके सिद्धांतों के बारे में बताया गया। इससे युवा पीढ़ी में आयुर्वेद के प्रति रुचि और जागरूकता बढ़ी।

🏥 स्वास्थ्य शिविर और निःशुल्क परामर्श

कार्यक्रम के अंतर्गत निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किए गए, जहाँ आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने लोगों की स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान किया। लोगों को आयुर्वेदिक दवाओं और उपचार विधियों के बारे में जानकारी दी गई, जिससे उन्हें अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उपाय मिले।

🌐 आयुर्वेद दिवस का वैश्विक प्रभाव

आयुर्वेद दिवस का आयोजन केवल मनेद्रगढ़ तक सीमित नहीं था, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद की पहचान और महत्व को बढ़ावा देने का एक प्रयास था। मंत्रालय ने आयुर्वेद दिवस को 23 सितंबर को स्थायी तिथि के रूप में घोषित किया है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि हर वर्ष इस दिन आयुर्वेद के महत्व को याद किया जाएगा।

🔮 निष्कर्ष

मनेद्रगढ़ में आयोजित आयुर्वेद दिवस का कार्यक्रम न केवल आयुर्वेद के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक माध्यम था, बल्कि यह समुदाय की सक्रिय भागीदारी और स्वास्थ्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। आयुर्वेद की प्राचीन पद्धतियाँ आज भी हमारे जीवन में प्रासंगिक हैं, और इस तरह के आयोजनों से हम उन्हें पुनः जीवन में उतार सकते हैं।

आयुर्वेद दिवस के इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि प्राचीन ज्ञान और आधुनिक जीवनशैली का समन्वय करके हम एक स्वस्थ और संतुलित जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

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