छत्तीसगढ़ में 2015 में सामने आए नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले की जांच अब लगभग दस वर्षों के बाद मुकाम तक पहुँचने वाली है।

छत्तीसगढ़ में 2015 में सामने आए नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले की जांच अब लगभग दस वर्षों के बाद मुकाम तक पहुँचने वाली है।

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ में 2015 में सामने आए नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले की जांच अब लगभग दस वर्षों के बाद मुकाम तक पहुँचने वाली है। इस मामले में 16 आरोपितों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं और 172 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं। हालांकि, अब तक अदालत से कोई अंतिम निर्णय नहीं आया है, लेकिन जांच के निष्कर्ष और आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य यह संकेत देते हैं कि यह घोटाला राज्य के खाद्य वितरण प्रणाली में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का परिणाम था।

घोटाले का खुलासा और प्रारंभिक जांच

नान घोटाले का खुलासा फरवरी 2015 में हुआ था, जब छत्तीसगढ़ पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने नागरिक आपूर्ति निगम के मुख्यालय और अन्य स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान 3.64 करोड़ रुपये की अवैध नकदी, घटिया गुणवत्ता वाले चावल और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज़ बरामद हुए। जांच में यह पाया गया कि अधिकारियों ने मिलकर घटिया चावल स्वीकार किए और इसके बदले में रिश्वत ली।

आरोपितों की पहचान और आरोप

इस मामले में 16 आरोपितों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं, जिनमें से दो प्रमुख नाम हैं – अनिल तुतेजा और आलोक शुक्ला, जो दोनों ही पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जांच प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की। इनके अलावा अन्य आरोपितों में निगम के कर्मचारी, मिल मालिक और बिचौलिए शामिल हैं।

जांच में सामने आए तथ्य

जांच के दौरान यह सामने आया कि आरोपितों ने मिलकर घटिया गुणवत्ता वाले चावल को स्वीकार किया और इसके बदले में रिश्वत ली। इसके अलावा, कुछ आरोपितों ने जांच प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह घोटाला केवल एक या दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि एक संगठित नेटवर्क का परिणाम था।

न्यायिक प्रक्रिया और वर्तमान स्थिति

न्यायिक प्रक्रिया में देरी के कारण आरोपितों को बार-बार जमानत मिलती रही, जिससे जांच प्रभावित हुई। हालांकि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अनिल तुतेजा और आलोक शुक्ला की अग्रिम जमानत रद्द कर दी और उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत में भेज दिया। इसके बाद, इन दोनों आरोपितों को 16 अक्टूबर तक ED की हिरासत में रखा जाएगा। इससे यह संकेत मिलता है कि अब जांच में तेजी आएगी और न्यायिक प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं आएगी।

निष्कर्ष

नान घोटाला छत्तीसगढ़ के खाद्य वितरण प्रणाली में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का उदाहरण प्रस्तुत करता है। इसमें अधिकारियों, मिल मालिकों और बिचौलियों की मिलीभगत सामने आई है। हालांकि न्यायिक प्रक्रिया में देरी हुई है, लेकिन हाल की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि अब इस मामले में न्याय मिलेगा और दोषियों को सजा होगी।

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