हाईकोर्ट ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका खारिज की, जेल में ही रहेंगे पूर्व मंत्री

हाईकोर्ट ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका खारिज की, जेल में ही रहेंगे पूर्व मंत्री

11, 8, 2025

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रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल मचाने वाले आबकारी घोटाले मामले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को बड़ी राहत नहीं मिल पाई है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज करते हुए साफ़ कहा कि इस समय उन्हें जमानत देना जांच और न्यायिक प्रक्रिया के लिए उचित नहीं होगा। इस फैसले के साथ ही लखमा को अभी जेल में ही रहना होगा।

मामला और पृष्ठभूमि

कवासी लखमा लंबे समय तक छत्तीसगढ़ के सक्रिय राजनीतिक नेताओं में गिने जाते रहे हैं। कांग्रेस पार्टी से जुड़े लखमा पर आबकारी घोटाले में गंभीर आरोप लगाए गए हैं। बताया जाता है कि मंत्री रहते हुए शराब कारोबार और उससे जुड़े ठेकों में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आई थीं। इन्हीं आरोपों की जांच के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया और न्यायिक हिरासत में भेजा गया।

लखमा की गिरफ्तारी के बाद से ही छत्तीसगढ़ की सियासत गर्माई हुई है। एक तरफ़ विपक्ष इस गिरफ्तारी को ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बड़ी कार्रवाई’ बता रहा है, वहीं कांग्रेस इसे ‘राजनीतिक षड्यंत्र’ करार देती आई है। इसी बीच लखमा की कानूनी टीम ने हाईकोर्ट में जमानत की याचिका दाखिल की थी।

अदालत में पेश हुई दलीलें

लखमा की ओर से उनके वकीलों ने अदालत में कहा कि वह निर्दोष हैं और उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है। वकीलों ने यह भी तर्क दिया कि लखमा लंबे समय से सार्वजनिक जीवन में हैं और उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।

दूसरी ओर, लोक अभियोजन पक्ष ने अदालत से कहा कि लखमा के खिलाफ जो सबूत मौजूद हैं, वे काफी गंभीर हैं। जांच अभी अधूरी है और अगर उन्हें इस समय जमानत दी गई तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

हाईकोर्ट का निर्णय

सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने माना कि मामला बेहद संवेदनशील और गंभीर है। चूंकि अभी जांच और गवाही की प्रक्रिया चल रही है, ऐसे में इस चरण में जमानत देना न्यायिक प्रक्रिया के लिए सही नहीं होगा। अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी के प्रभावशाली होने के कारण गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बनी रहती है।

राजनीतिक हलचल

हाईकोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की राजनीति को हिला दिया है। कांग्रेस पार्टी इसे भाजपा सरकार की ‘जनविरोधी राजनीति’ बता रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह कार्रवाई केवल विपक्षी नेताओं को दबाने की कोशिश है। वहीं भाजपा का कहना है कि लखमा की गिरफ्तारी और अब जमानत खारिज होना साबित करता है कि सरकार भ्रष्टाचारियों को छोड़ने के मूड में नहीं है।

जनता और कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया

लखमा के समर्थक इस फैसले से निराश हैं। कई इलाकों में उनके कार्यकर्ताओं ने कहा कि वे न्यायपालिका का सम्मान करते हैं लेकिन लखमा के साथ अन्याय हो रहा है। दूसरी ओर, आम जनता का एक तबका इस मामले को भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कदम मान रहा है। लोग मानते हैं कि अगर किसी बड़े नेता पर भी सख्त कार्रवाई होती है तो यह न्याय व्यवस्था पर विश्वास को और मजबूत करता है।

आगे की कानूनी राह

जानकारों का कहना है कि लखमा की टीम अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है। हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद उनके पास अब यही विकल्प बचता है। अगर सुप्रीम कोर्ट भी याचिका खारिज करता है तो उन्हें लंबा समय जेल में बिताना पड़ सकता है।

फिलहाल, कवासी लखमा को जेल में ही रहना होगा। हाईकोर्ट के इस फैसले से साफ़ है कि न्यायपालिका भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है। यह फैसला छत्तीसगढ़ की राजनीति और आने वाले चुनावों पर भी गहरा असर डाल सकता है।

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