अंबिकापुर: पंचायत सचिव संघ ने सीईओ आरएस सेंगर के खिलाफ ज्ञापन सौंपा, हटाने की उठी मांग

अंबिकापुर: पंचायत सचिव संघ ने सीईओ आरएस सेंगर के खिलाफ ज्ञापन सौंपा, हटाने की उठी मांग

11, 8, 2025

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अंबिकापुर। सरगुजा जिले के पंचायत सचिव संघ ने हाल ही में जनपद पंचायत कार्यालय में मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) आरएस सेंगर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए उनके हटाए जाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम पर्यटन मंत्री को ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन पंचायत सचिवों द्वारा महसूस की जा रही समस्याओं और प्रशासनिक कार्यों में बाधाओं के गंभीर प्रभाव को उजागर करता है।

ज्ञापन में कहा गया है कि सीईओ आरएस सेंगर ने पंचायत सचिवों के साथ दुर्व्यवहार किया और उनके कार्यों में अनुचित हस्तक्षेप किया। इस कारण से सचिवों का मनोबल गिरा है और विकास कार्यों में देरी हो रही है। संघ ने बताया कि इस रवैये के कारण पंचायत सचिव अपने दैनिक प्रशासनिक कार्य सही ढंग से नहीं कर पा रहे हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में विकास योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

संघ ने अपने ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि सीईओ के कार्यप्रणाली और व्यवहार के कारण पंचायत सचिवों के पेशेवर अधिकारों का हनन हो रहा है। इसके चलते कई महत्वपूर्ण योजनाओं और सरकारी कार्यों में रुकावट आ रही है, जिससे आम जनता को सेवाओं में कमी का सामना करना पड़ रहा है।

पंचायत सचिव संघ ने मंत्री से आग्रह किया कि वे इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें और सीईओ के खिलाफ उचित कार्रवाई सुनिश्चित करें। संघ का कहना है कि प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है और इस तरह के रवैये से प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित होती है।

ज्ञापन में यह भी कहा गया कि सीईओ के रवैये के कारण न केवल कार्यों में बाधा आ रही है, बल्कि सचिवों के मनोबल पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। सचिवों की टीम भावना और कार्यकुशलता में गिरावट आ रही है, जिससे पूरे जनपद पंचायत का कामकाज प्रभावित हो रहा है। संघ ने यह भी चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो बड़े पैमाने पर विरोध और आंदोलन किया जाएगा।

स्थानीय अधिकारियों और पंचायत सचिवों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में सीईओ का रवैया लगातार परेशानियों का कारण बन रहा है। कई मामलों में सचिवों के सुझाव और रिपोर्टों को अनदेखा किया गया और कई महत्वपूर्ण निर्णय बिना विचार किए लिए गए। ऐसे कदमों ने सचिवों और प्रशासन के बीच तनाव बढ़ा दिया है।

साथ ही, संघ ने यह भी संकेत दिया कि यदि मंत्री स्तर पर इस मुद्दे का समाधान नहीं किया गया, तो सचिव संघ आगामी दिनों में सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने पर मजबूर होगा। ज्ञापन में कहा गया है कि संघ प्रशासनिक सुधार और बेहतर कार्य प्रणाली के लिए लगातार प्रयासरत है और वे इस मुद्दे को हल करने के लिए उच्च अधिकारियों से सकारात्मक कदम की अपेक्षा करते हैं।

इस मुद्दे को लेकर स्थानीय राजनीतिक और सामाजिक circles में भी चर्चा तेज हो गई है। लोग सचिवों की समस्याओं को गंभीरता से ले रहे हैं और प्रशासन से तत्काल कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। कई विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो यह पूरे जनपद पंचायत के विकास कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

संघ ने यह भी जोर दिया कि सचिवों के अधिकारों की सुरक्षा और उनकी समस्याओं को हल करना प्रशासनिक जिम्मेदारी है। इसके बिना न केवल सरकारी योजनाओं की गुणवत्ता प्रभावित होगी, बल्कि आम जनता की सरकार पर भरोसा भी कम होगा। ज्ञापन में मंत्री से आग्रह किया गया कि वे इस मामले में त्वरित और ठोस कदम उठाएं, जिससे पंचायत सचिव संघ और प्रशासन के बीच विश्वास कायम रहे।

अंत में, पंचायत सचिव संघ ने साफ शब्दों में कहा कि उनका उद्देश्य केवल अपने हितों की रक्षा करना नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र में प्रशासनिक पारदर्शिता और कुशलता सुनिश्चित करना है। उन्होंने मंत्री से अनुरोध किया कि सीईओ के रवैये पर कड़ी कार्रवाई की जाए और पंचायत सचिवों को अपने कार्य करने में स्वतंत्रता और सम्मान मिले।

इस तरह, अंबिकापुर में पंचायत सचिव संघ और सीईओ के बीच चल रही विवाद की स्थिति ने प्रशासनिक व्यवस्था और स्थानीय जनता के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद का मार्ग खोल दिया है। यदि समय रहते उचित कार्रवाई नहीं होती है, तो यह मुद्दा और गंभीर रूप ले सकता है।

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