बस्तर: गुणवत्ता शिक्षा बैठक में अंकज्ञान से डिजिटल कक्षाओं को लागू करने पर जोर

बस्तर: गुणवत्ता शिक्षा बैठक में अंकज्ञान से डिजिटल कक्षाओं को लागू करने पर जोर

11, 8, 2025

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बस्तर। शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने के मकसद से हाल ही में बस्तर में एक विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसमें “गुणवत्ता शिक्षा” और “अंकज्ञान” (numeracy) के माध्यम से डिजिटल कक्षाओं (digital classes) को स्कूलों में लागू करने पर मुख्यत: चर्चा हुई। इस बैठक में शिक्षा विभाग के अधिकारी, जिला स्कूल प्रमुख, शिक्षक प्रतिनिधि और स्थानीय हितधारक शामिल हुए।

बैठक की शुरुआत में जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि बच्चों की मूलभूत शिक्षा में सुधार लाने के लिए अब सिर्फ पाठ्य-पुस्तक और कक्षा की पारंपरिक पद्धतियाँ काफी नहीं हैं। उन्होंने बताया कि अंकज्ञान के प्रशिक्षण से बच्चों को गणितीय अवधारणाएँ जल्दी समझने में मदद मिलेगी, जिससे उन्हें आगे की पढ़ाई में समस्या कम होगी।

इस बैठक में जोर इस बात पर दिया गया कि डिजिटल कक्षाएँ केवल टेक्नोलॉजी लगाने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि डिजिटल सामग्री (शिक्षण वीडियो, इंटरेक्टिव एप्स आदि) और शिक्षण पद्धतियों को इस तरह से तैयार किया जाए कि बच्चों की संख्या भावना (number sense), समस्या सुलझाने की क्षमता और तर्कात्मक सोच विकसित हो।

शिक्षक प्रतिनिधियों ने बताया कि कई स्कूलों में डिजिटल उपकरण मौजूद हैं, लेकिन उनकी नियमित उपयोगिता कम है क्योंकि शिक्षक-प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम सामग्री की कमी है। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षक प्रशिक्षण, डिजिटल पाठ्य सामग्री की गुणवत्ता और विद्यालय बहुल संसाधन जुटाने की व्यवस्था को मज़बूत किया जाए।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आगामी सत्र से कुछ चुनिंदा विद्यालयों में “अंकज्ञान आधारित डिजिटल कक्षाएँ” प्रारंभ की जाएँगी, जहाँ छात्रों को इंटरैक्टिव प्रोजेक्टर, टैबलेट/कल कंप्यूटर के माध्यम से शिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही, शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा कि वे डिजिटल उपकरणों और अनुप्रयोगों का उपयोग कैसे करें ताकि पढ़ाई बच्चा-केन्द्रित एवं समझ बढ़ाने वाली बने।

अधिकारी यह भी कह रहे थे कि डिजिटल शिक्षा को लागू करते समय बिजली, इंटरनेट कनेक्शन और तकनीकी रख-रखाव जैसे आधारभूत संसाधनों की उपलब्धता पर ध्यान देना होगा। यदि ये बुनियादी समस्याएँ ठीक से हल नहीं हुईं, तो डिजिटल कक्षाएँ भी सिर्फ नाम की भूमिका निभाएँगी।

स्थानीय समुदायों और स्कूल प्रबंधन समितियों को भी बैठक में शामिल किया गया, ताकि वे डिजिटल शिक्षण कार्यक्रमों की सफलता में भूमिका निभाएँँ। उनका मानना है कि यदि घर-परिवार एवं समुदाय से समर्थन हो तो बच्चे डिजिटल पाठ्यक्रमों से लाभ उठा पाएँगे।

बैठक के अंत में शिक्षा विभाग ने घोषणा की कि बस्तर जिले के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में अगले तीन महीनों में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। इस पायलट के तहत कुछ स्कूलों में दैनिक पाठ्यक्रम में डिजिटल संख्या अभ्यास (numeracy drills), स्मार्ट क्लास सपोर्ट, डिजिटल सामग्री इंटरनेट या ऑफलाइन संसाधानों के माध्यम से उपलब्ध कराना शामिल होगा।

इस पहल से यह उम्मीद जताई जा रही है कि:

  • छात्रों की गणित में रुचि बढ़ेगी

  • लड़कों और लड़कियों दोनों में संख्या अवधारणाएँ बेहतर होंगी

  • स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति में कमी आएगी क्योंकि पढ़ाई नेचर से जुड़ी और बच्चों के समझने योग्य होगी

  • डिजिटल विभाजन (digital divide) को कम किया जाएगा, खासकर ऐसे गाँवों में जहाँ इंटरनेट और टेक्नोलॉजी कम पहुँच में हैं

विश्लेषकों का मानना है कि बस्तर जैसा पिछड़ा इलाका जहाँ संसाधनों की कमी होती है, वहाँ ऐसी पहलकदमी शिक्षा में सुधार के लिए बहुत जरूरी है। यदि योजनाएँ सही से लागू हों, तो यह अन्य जिलों के लिए उदाहरण बनेगी।

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