बस्तर: सीआरपीएफ ने 8 ग्रामीणों का मोतियाबिंद ऑपरेशन व 1 का प्टेरिजियम सर्जरी कराई

बस्तर: सीआरपीएफ ने 8 ग्रामीणों का मोतियाबिंद ऑपरेशन व 1 का प्टेरिजियम सर्जरी कराई

11, 8, 2025

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बस्तर। स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सीआरपीएफ ने बस्तर क्षेत्र के एक गांव में विशेष眼्चिकित्सा कैंप लगाया, जिसमें कुल 9 ग्रामीणों को ऑपरेशन और उपचार प्रदान किया गया। इस कैंप में 8 लोगों की मोतियाबिंद (cataract) की सर्जरी हुई और 1 व्यक्ति का प्टेरिजियम (Pterygium) सर्जरी की गई। 


किस प्रकार का अभियान और क्यों ज़रूरी था

विकट भौगोलिक स्थिति और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण बस्तर के दूर-दराज गांवों में सरल आंखों के रोगों का समय पर इलाज नहीं हो पाता। मोतियाबिंद और प्टेरिजियम जैसी बीमारियाँ धीरे-धीरे दृष्टि को कमजोर कर देती हैं; कई बुजुर्ग एवं मजदूर अपना काम, पढ़ाई-लिखाई या दैनिक जीवन प्रभावित होते हुए देखते हैं।

सीआरपीएफ की इस पहल ने उन लोगों को राहत दी हैं जो सही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण लंबे समय से दर्द और अँधेरेपन (vision impairment) से जूझ रहे थे। ऑपरेशन के बाद उन्हें दृष्टि में सुधार की उम्मीद है, जिससे उनकी जीवन गुणवत्ता बेहतर हो सकेगी।


ऑपरेशन की तैयारी और प्रक्रिया

  • ऑपरेशन कैंप में पहले चयन प्रक्रिया हुई जिसमें उन ग्रामीणों को चुना गया जो मोतियाबिंद और प्टेरिजियम के लक्षण दर्शा रहे हों, जैसे धुंधली दृष्टि, आंखों में सफेद या कलापट्टेदार परत आदि।

  • चयनित मरीजों की सामान्य स्वास्थ्य जांच की गई, यह सुनिश्चित किया गया कि कोई अन्य चिकित्सीय समस्या ऑपरेशन में complication न बनाए।

  • सर्जरी के लिए आवश्यक उपकरण एवं मेडिकल टीम को भेजा गया जिसमें नेत्र चिकित्सक, सहायक स्टाफ, ऑप्टोमेट्रिस्ट आदि शामिल थे।

  • मोतियाबिंद सर्जरी से दृष्टि का सुधार अपेक्षित है और प्टेरिजियम सर्जरी से नेत्र की सतह की उत्तेजना (irritation) व दृष्टि-राहत मिलेगी।


मरीजों और स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया

उपचार प्राप्त करने वालों ने बताया कि ऑपरेशन से पहले उनका दृष्टि दिनों-हफ्तों से कम होती जा रही थी, अब उम्मीद है कि रोशनी लौटेगी।

स्थानीय लोगों ने सीआरपीएफ की इस पहल को स्वागतयोग्य बताते हुए कहा कि यदि ऐसी स्वास्थ्य शिविर समय-समय पर लगें तो ग्रामीणों को बड़ी राहत मिलेगी। उन ग्रामीणों की मुश्किलें कम होंगी जिन्हें पहले कई किलोमीटर तय कर अस्पताल जाना पड़ता था।


चुनौतियाँ और सुझाव

  • दूर-दराज इलाकों में आने-जाने की सड़कें और परिवहन सुविधाएँ सीमित हैं, जिससे मरीजों और मेडिकल टीम दोनों को मुश्किल होती है।

  • ऑपरेशन के बाद फॉलो-अप की सुविधा सुनिश्चित करना जरूरी है ताकि सर्जरी के बाद दृष्टि की जांच और देखभाल हो सके।

  • रेडिकेशन और जागरूकता बढ़ानी होगी कि आंखों के रोग समय से पहचानें जाएँ और लोकल स्तर पर इलाज सम्भव हो।

  • स्टाफ, उपकरण एवं संसाधनों (जैसे ऑप्टिकल चश्मा, मेडिकल सामग्री) का समुचित प्रबंधन हो ताकि कैंप समय पर और सुरक्षित तरीके से चले।


प्रभाव और महत्व

इस तरह के ऑपरेशन कैंप से न केवल दृष्टि बदलेगी, बल्कि उन लोगों की आत्म-निर्भरता बढ़ेगी जो दृष्टि दोष के कारण काम या दिनचर्या नहीं कर पाते।

सरकार व स्थानीय प्रशासन को ऐसी पहलों को नियमित बनाना चाहिए ताकि स्वास्थ्य विसंगतियों को सही समय पर दूर किया जा सके।


इस प्रकार, सीआरपीएफ की यह पहल बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में नेत्र स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। उम्मीद है कि भविष्य में और अधिक ऐसे अभियानों की व्यवस्था होगी, जिससे लोगों को बेहतर दृष्टि के साथ जीवन मिल सके।

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