बस्तर: ठेकेदारों ने डिप्टी CM से की शिकायत — EE पर रिश्वत लेने का आरोप

बस्तर: ठेकेदारों ने डिप्टी CM से की शिकायत — EE पर रिश्वत लेने का आरोप

11, 8, 2025

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बस्तर। क्षेत्र के ठेकेदारों ने डिप्टी चीफ मिनिस्टर (उप मुख्‍यमंत्री) से सीधे शिकायत की है कि एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (EE) सरकारी ठेकेदारों से रिश्वत वसूलता है। ठेकेदारों का आरोप है कि इस गतिविधि के कारण उनकी परियोजनाएँ अधर में पड़ी हैं, भुगतान में देरी हो रही है और काम का बोझ बढ़ गया है।


आरोपों का विस्तार

  • ठेकेदारों का कहना है कि EE विभिन्न निर्माण और रख-रखाव के ठेकों के लिए काम को मंजूरी देने, बिल क्लियर करवाने या निरीक्षण रिपोर्ट स्वीकार करवाने के नाम पर रिश्वत मांगता है।

  • उनके अनुसार, बिना रिश्वत देने वालों को काम को लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती है, कभी-कभी काम रोक दिया जाता है, या बिलों को समय पर मंजूरी नहीं मिलती।

  • शिकायत ये भी है कि EE कभी-कभी काम के मानक और गुणवत्ता की उपेक्षा करता है, जब ठेकेदार रिश्वत देने के लिए तैयार हों।


ठेकेदारों की प्रतिक्रिया

  • ठेकेदारों ने कहा कि ये हालात उन्हें आर्थिक और मानसिक दोनों रूप से प्रभावित कर रहे हैं। काम तो करना है पर रिश्वत देने की मांगों ने उन्हें घुटन महसूस कराई है।

  • उन्होंने उम्मीद जताई है कि उप मुख्‍यमंत्री मामले की त्वरित जांच करवाएँ और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो।

  • इस शिकायत से यह संकेत मिलता है कि ठेकेदार समुदाय में हाशिये पर पड़े लोगों की आवाज बुलंद हो रही है, जो गलत प्रशासनिक प्रथाओं से थक चुके हैं।


सरकारी प्रतिक्रिया और सार्वजनिक दबाव

  • अभी तक EE या संबंधित विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है कि रिश्वत आरोपों की जांच होगी या नहीं।

  • इस प्रकार की शिकायतें सार्वजनिक विश्वास को प्रभावित करती हैं, खासकर उन परियोजनाओं में जो स्थानीय विकास और बुनियादी ढांचे से जुड़ी हैं।

  • जनता और अन्य ठेकेदार समुदाय ने इस मामले की पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है।


गंभीरता और संभावित प्रभाव

  • यदि आरोप सत्य पाए गए, तो इससे सरकार की विश्वसनीयता को झटका लगेगा। ये मामला यह दिखाता है कि किस तरह ठेकेदारों और स्थानीय विकास परियोजनाओं के बीच रिश्वत एक बड़ी बाधा बन जाती है।

  • परियोजनाएँ समय पर पूरा नहीं हो पा रही हैं, काम की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, और ठेकेदारों को अतिरिक्त खर्चा और मानसिक दबाव सहना पड़ रहा है।

  • निवेश और विकास की गतिविधियाँ भी प्रभावित हो सकती हैं यदि ठेकेदार यह महसूस करें कि सिस्टम न्यायसंगत नहीं है।


आगे क्या-क्या होना चाहिए

  • डिप्टी CM को चाहिए कि वे इस शिकायत की निष्पक्ष और शीघ्र जांच करवाएँ।

  • यदि EE दोषी पाया जाता है, तो उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वह सस्पेंड हो या किसी अन्य विधिक प्रक्रिया से गुजरना हो।

  • ठेकेदारों के लिए एक लाल फीताशाही-मुक्त प्रक्रिया बनानी चाहिए, जहाँ काम, निरीक्षण और भुगतान पारदर्शिता से हो।

  • एक शिकायत पोर्टल या निगरानी समिति का गठन होना चाहिए जिसमें ठेकेदार शामिल हों ताकि ऐसे मामले भविष्य में सार्वजनिक रूप से पकड़े जा सकें।


निष्कर्ष

इस तरह की शिकायतें यह बताती हैं कि लोकल स्तर पर भ्रष्टाचार और रिश्वत की प्रथाएँ अभी भी बनी हुई हैं और ये विकास कार्यों को प्रभावित करती हैं। यदि सरकार समय रहते ठोस कदम उठाए, तो यह न सिर्फ ठेकेदारों के विश्वास को बहाल करेगा बल्कि सरकारी योजनाओं और विकास की गति को भी बढ़ाएगा।

ठेकेदारों की ये आवाज़ सुनने लायक है, क्योंकि विकास तभी संभव है जब सिस्टम पारदर्शी, जवाबदेह और न्यायसंगत हो।

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