छत्तीसगढ़: टीईटी अनिवार्यता के चलते एक लाख से अधिक सरकारी शिक्षकों की नौकरी खतरे में

छत्तीसगढ़: टीईटी अनिवार्यता के चलते एक लाख से अधिक सरकारी शिक्षकों की नौकरी खतरे में

11, 8, 2025

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रायपुर, छत्तीसगढ़। राज्य के लगभग एक लाख सरकारी शिक्षक इस समय एक बड़े संकट में फंसे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने टीचर पात्रता परीक्षा (TET) को अनिवार्य कर दिया है। न्यायालय के एक हालिया आदेश के मुताबिक, जिन शिक्षकों ने आगामी पांच साल के भीतर टीईटी पास नहीं किया, उन्हें या तो इस्तीफा देना होगा या अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त होना पड़ेगा। यह आदेश सभी सरकारी और गैर-सरकारी शिक्षण संस्थानों पर लागू होगा।

इस आदेश से शिक्षक समुदाय में भारी चिंता व्याप्त है। खासकर उन शिक्षकों के लिए जो अभी तक टीईटी परीक्षा नहीं दे सके हैं। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव ने अधिकारियों को इस मामले में पूरी जानकारी एकत्र करने के निर्देश दिए हैं। वहीं राज्य शालेय शिक्षक संघ ने सरकार से अपील की है कि टीईटी के बजाय विभागीय परीक्षाएं आयोजित की जाएं ताकि मौजूदा शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित रहे।

उत्तर प्रदेश में भी लगभग ढाई लाख शिक्षक बिना टीईटी के पढ़ा रहे हैं। वहां की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राहत के लिए रिवीजन याचिका दाखिल की है, जिसे छत्तीसगढ़ के शिक्षक भी बड़े ध्यान से देख रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें भी राहत मिलने की उम्मीद है।

टीईटी की परीक्षा इस साल दिसंबर 2025 तक छत्तीसगढ़ में आयोजित होने की संभावना है, जिसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) और व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। 2011 से अब तक टीईटी परीक्षा कई बार आयोजन की जा चुकी है और इसे एक बार पास करने पर वॉधता आजीवन मानी जाती है।

राज्य सरकार के अनुसार, वर्तमान में सरकारी स्कूलों में 40,000 से अधिक शिक्षक पद रिक्त हैं और इस साल 5,000 पद भरे जाने की योजना है। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में लगभग 1,88,721 शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से अधिकांश राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते न केवल मौजूदा शिक्षकों का भविष्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि नए उम्मीदवारों के लिए भी टीईटी परीक्षा के महत्व में भारी वृद्धि हुई है। यह निर्णय शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इसके साथ ही शिक्षकों की नौकरी सुरक्षा और प्रशिक्षण संतुलन के लिए सरकार और शिक्षण संस्थाओं को समन्वित नीति बनानी होगी।

छत्तीसगढ़ में शिक्षकों और संबंधित विभाग के बीच टीईटी अनिवार्यता को लेकर विचार-विमर्श जारी है। उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार शीघ्र प्रभावी और न्यायसंगत समाधान निकाल सकेगी, जिससे शिक्षक समुदाय में संतुलन बना रहे और शिक्षा क्षेत्र का विकास बाधित न हो।


इस तरह छत्तीसगढ़ के शिक्षक वर्ग के लिए टीईटी अनिवार्यता का मुद्दा सीधे तौर पर उनके रोजगार और करियर से जुड़ा हुआ है और आने वाले समय में इसकी प्रक्रिया राज्य के शिक्षा प्रणाली की दिशा तय करेगी।

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