बालोद जिले में 9 साल की मासूम बच्ची के साथ उसके बड़े पिता ने दरिंदगी का भयावह मामला सामने आया है

बालोद जिले में 9 साल की मासूम बच्ची के साथ उसके बड़े पिता ने दरिंदगी का भयावह मामला सामने आया है

11, 8, 2025

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बालोद जिले में 9 साल की मासूम बच्ची के साथ उसके बड़े पिता ने दरिंदगी का भयावह मामला सामने आया है, जिसने पूरे गांव और आसपास के इलाकों को झकझोर कर रख दिया है। आरोपी ने पहले बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और फिर अपनी जुर्म को छुपाने के लिए मासूम के गले पर हाथ रखकर उसकी हत्या करने का प्रयास किया। हालांकि, बच्ची बाल-बाल बच गई और इलाके में भारी आक्रोश फैल गया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर केस दर्ज कर न्याय की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

घटनाक्रम

मिली जानकारी के अनुसार, बच्ची घर के पास खेल रही थी, तभी उसका बड़ा पिता उसे बहलाकर एक सुनसान जगह ले गया। वहां उसने बच्ची के साथ घिनौनी हरकत की। इसके बाद उसने बच्ची की चीख दबाने और अपनी निर्दोष हरकत छुपाने के लिए उसके गले पर हाथ रख दिया। इस दौरान मासूम ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया जिससे आसपास के लोग समझ गए कि कुछ गड़बड़ है। लोग मौके पर पहुंचे और आरोपी भाग खड़ा हुआ। बच्ची की चिल्लाहट ने उसकी जान बचा ली।

पुलिस की कार्रवाई

घटना की जानकारी तुरंत बच्ची के परिजनों ने पुलिस को दी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बच्चे को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल भेजा। जांच में बच्ची के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई। आरोपी को कुछ घंटों के भीतर ही गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी के खिलाफ पीडित बालिका संरक्षण अधिनियम (POCSO) समेत भारतीय दंड संहिता की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

सामाजिक प्रतिक्रिया

इस घटना ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे दरिंदों को समाज से जड़ से खत्म किया जाना चाहिए और बच्चों की सुरक्षा के लिए कड़ा कानून बनना चाहिए। महिलाएं, बच्चे और परिवार इस घटना से गहरा सदमा महसूस कर रहे हैं। पुलिस और प्रशासन से लोगों की मांग है कि वे इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई करें ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं ना हों।

कानूनी पहलू और न्याय

बालोद की इस घटना को देखते हुए यह ज़रूरी हो जाता है कि समाज में बच्चों के प्रति हो रही हिंसा के खिलाफ न केवल जागरूकता बढ़े, बल्कि कानून भी सख्त हो। इस तरह के अपराधों में दोषियों को फांसी की सजा जैसी सख्त सजाएं मिलनी चाहिए, ताकि किसी भी बच्चे के साथ इस प्रकार की नृशंस घटना दोबारा न हो।

पिछले कुछ वर्षों में बाल उत्पीड़न के मामलों में बढ़ोतरी हुई है और ऐसे मामलों की जांच, सुनवाई और सजा को लेकर आम जनता में निराशा है। लेकिन पुलिस और न्याय विभाग द्वारा इस मामले में किए गए त्वरित कदम से एक सकारात्मक संदेश गया है कि बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • आरोपी बच्ची का बड़ा पिता है, इसलिए इस अपराध ने रिश्तों की पवित्रता को भी कलंकित किया है।

  • बच्ची की जान बची है और वह सुरक्षित है, लेकिन उसका मानसिक और भावनात्मक आघात गहरा रहेगा।

  • प्रशासन ने इस घटना के बाद पूरे जिले में सुरक्षा बढ़ाने और बच्चों के संरक्षण को लेकर विशेष कदम उठाने की बात कही है।

इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए समाज और सरकार को मिलकर और ज्यादा प्रभावी कदम उठाने होंगे। बच्चों के खिलाफ अपराध केवल उनके परिवार या समाज के लिए ही नहीं, बल्कि देश के भविष्य के लिए भी बड़ा खतरा हैं। बालोद की यह घटना उस पीड़ा और दर्द की एक जीती जागती मिसाल है, जो मासूम बच्चों को भुगतना पड़ता है।


यह कहानी एक सेवानिवृत्तता की पुकार है, जहां हर बच्चा सुरक्षा और सम्मान पाने का हकदार है। मासूम बच्ची के साथ हुई यह नृशंस घटना पूरी तरह से निंदनीय है और दोषियों को जल्द से जल्द कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, ताकि बच्चों का बचपन सुरक्षित रहे।

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