बिलासपुर: ट्रैफ़िक जाम में एंबुलेंस फँसी, मरीज को समय रहते अस्पताल नहीं पहुँचाने का भय

बिलासपुर: ट्रैफ़िक जाम में एंबुलेंस फँसी, मरीज को समय रहते अस्पताल नहीं पहुँचाने का भय

11, 8, 2025

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बिलासपुर शहर में हाल ही में एक शर्मनाक घटना सामने आई — एक एंबुलेंस गंभीर रूप से ट्रैफिक जाम में फँस गई। अंदर बैठे मरीज की हालत गंभीर थी, लेकिन जाम के चलते वाहन आगे नहीं बढ़ पाया। इस अधीर और तनावपूर्ण दृश्य का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने लोगों में भारी आक्रोश और चिंता फैला दी है।


🚑 घटना का संक्षिप्त विवरण

रिपोर्टों के अनुसार, यह घटना बिलासपुर शहर की एक व्यस्त मार्ग पर घटी। एंबुलेंस को अस्पताल ले जाने की जल्दी थी, लेकिन सड़क पर अधिक वाहन और जाम की वजह से वह धीमी रफ्तार से चल रही वाहनों के बीच फँस गई। कभी आगे बढ़ने की उम्मीद होती, तो कभी फिर रुकना पड़ता — ऐसे हालात में मरीज और स्वास्थ्य कर्मी दोनों परेशानी में थे।

वीडियो में देखा गया कि कई वाहन चालक एंबुलेंस को रास्ता दे रहे हैं, लेकिन जाम इतना व्यापक और घना था कि अंततः एंबुलेंस की गति पूरी तरह रुक गई।


⚠️ समस्या और चिंताएँ

  • जीवन संकट: एंबुलेंस में ले जाया जा रहा व्यक्ति किसी गंभीर रोग या दुर्घटना का शिकार हो सकता है। देर होना जानलेवा हो सकता था।

  • ट्रैफिक प्रबंधन की कमी: यह घटना यह स्पष्ट करती है कि शहर में ट्रैफिक नियंत्रण और मार्ग प्रबंधन में कमी है।

  • अनुशासनहीन वाहन चालकों की भूमिका: जाम के दौरान वाहन चालक सही व्यवहार न करें, तो एंबुलेंस जैसी आपात स्थितियों के वाहनों को रास्ता देना मुश्किल हो जाता है।

  • आपातकालीन सर्विस की विश्वसनीयता पर असर: जब ऐसे मामले सामने आते हैं, तो आम लोगों का विश्वास कि आपातकालीन सेवाएँ समय पर पहुँचेंगी, कमजोर हो जाता है।


🛠 सुझाव और सुधार

  1. आपातकालीन लेन (Emergency Lane) — नगर निगम और ट्रैफिक प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुख्य मार्गों में एक विशेष लेन केवल एंबुलेंस और अन्य आपात वाहनों के लिए आरक्षित हो।

  2. ट्रैफिक नियमन व नियंत्रण केंद्र — एक केंद्रीकृत ट्रैफिक कंट्रोल रूम जो जाम की स्थिति पर नज़र रखे और त्वरित उपाय निर्देश दे।

  3. वाहन चालकों की जागरूकता — रोड सेफ्टी अभियानों, सूचना कैंपेन, और नियम उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई से वाहन चालकों को यह समझाया जाना चाहिए कि हर सेकंड कीमती है।

  4. स्मार्ट ट्रैफिक लाइट्स और सेंसर — जहां संभव हो, स्मार्ट सिग्नल और सेंसर लगाए जाएँ जो जाम को अनुमानित कर ट्रैफिक लाइट्स को स्वचालित रूप से समायोजित करें।

  5. आपातकालीन वाहनों को प्राथमिकता — ट्रैफिक पुलिस को अधिकार होना चाहिए कि वह भीड़ वाले इलाकों में यातायात को नियंत्रण कर एंबुलेंस आदि को मार्ग दें।


📢 समाज की प्रतिक्रिया

इस घटना को देखकर नागरिकों में गहरा आक्रोश है। सोशल मीडिया में लोगों ने सरकार, नगरपालिका और ट्रैफिक विभाग की आलोचना की है। कुछ लोगों ने यह सुझाव दिया कि आपात सेवा वाहनों का अलर्ट सिस्टम (जैसे हॉर्न की आवाज, रेड लाइट आदि) और मार्गविभाजित संकेत अधिक स्पष्ट होने चाहिए ताकि वाहन चालक तुरंत रास्ता दे सकें।

वहीं स्वास्थ्य कर्मियों और अस्पतालों ने भी कहा कि ऐसी घटनाएँ मरीजों की जान को खतरे में डालती हैं और आपातकालीन सेवाओं की विश्वसनीयता को कमजोर करती हैं।

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