छत्तीसगढ़ में ‘डी.जे. धमाल’ या तेज संगीत और पब्लिक समारोहों में होने वाली शोर-शराबे को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है।

छत्तीसगढ़ में ‘डी.जे. धमाल’ या तेज संगीत और पब्लिक समारोहों में होने वाली शोर-शराबे को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है।

11, 8, 2025

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छत्तीसगढ़ में ‘डी.जे. धमाल’ या तेज संगीत और पब्लिक समारोहों में होने वाली शोर-शराबे को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई है। अब यह सुझाव दिया जा रहा है कि इन कार्यक्रमों में लगे डी.जे. साउंड सिस्टम्स की आवाज़ को CCTV कैमरों के ज़रिए निगरानी किया जाए ताकि वे अनुमति योग्य स्तर से ज़्यादा नहीं जाएँ।


🎧 क्या प्रस्ताव है?

  • स्थानीय प्रशासन और पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों, शादी-ब्याह, मेले और पार्टी आयोजनों में लगने वाले डी.जे ध्वनि स्तर को नियंत्रित करना चाहिए।

  • उन्होंने सुझाव दिया है कि हर कार्यक्रम स्थल पर CCTV कैमरा और आवाज़ मॉनिटरिंग सिस्टम होना चाहिए, जो ध्वनि स्तर (डेसिबल) की निगरानी करेगा।

  • यदि किसी कार्यक्रम में ध्वनि सीमित स्तर से अधिक हो, तो तुरंत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पुलिस या अन्य अधिकारी को अलर्ट किया जाए।

  • इस व्यवस्था से आयोजकों को यह पता होगा कि वे कानूनी ध्वनि स्तर से ऊपर नहीं जा सकते और जनता की शिकायतें कम होंगी।


⚖️ पृष्ठभूमि और समस्या

  • तेज संगीत और डीजे की आवाज़ अक्सर रातों को रहने वालों के लिए परेशानी बन जाती है। खुले इलाकों, आवासीय इलाकों और गलियों में लगे कार्यक्रमों की ध्वनि तकनीकी और कानूनी स्तर से ज़्यादा हो जाती है, जिससे जनता असहज हो जाती है।

  • कुछ कार्यक्रमों की अनुमति ऐसी जगहों पर होती है जहाँ आबादी अधिक होती है, और organizers शोर कानून का उल्लंघन करते हैं।

  • पुलिस और शहरी प्रशासन के पास हर कार्यक्रम स्थल की ध्वनि स्तर को हाथ-हाथ मॉनिटर करने की क्षमता सीमित है — इसलिए सीसीटीवी + ध्वनि मॉनिटरिंग सिस्टम की जरूरत महसूस हो रही है।


✅ संभावित लाभ

  1. शांति और सार्वजनिक आराम
    शोर-शराबे को नियंत्रित करने से रात के समय लोगों को चैन से नींद लेने में मदद मिलेगी।

  2. कानून पालन में मजबूती
    आयोजकों पर दबाव बनेगा कि वे ध्वनि स्तर नियमों के अनुसार ही रखें, वरना उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

  3. शिकायतों में कमी
    जनता द्वारा की जाने वाली शिकायतों की संख्या कम होगी, और शिकायतों को मॉनिटरिंग डेटा से त्वरित निष्पादन संभव होगा।

  4. न्यायसंगत व्यवस्था
    जब ध्वनि मॉनिटरिंग सिस्टम स्वतः रिकॉर्ड करता रहेगा, तो अधिकारियों को साबित करने में सुविधा होगी कि किस आयोजन ने कितनी ध्वनि छोड़ी थी।


⚠️ चुनौतियाँ और विचारणीय बातें

  • तकनीकी तैयारी: हर कार्यक्रम स्थल में उचित माइक्रोफोन, डेसिबल मीटर और सीसीटीवी कैमरा स्थापित करना और उसे निरंतर काम में रखना महंगा और कठिन हो सकता है।

  • निगरानी टीम: इन मॉनिटरिंग डाटा की निगरानी और प्रतिक्रिया देने के लिए एक संवेदनशील निगरानी टीम चाहिए — जो तुरंत अलर्ट सिस्टम पर कार्रवाई कर सके।

  • आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर: रिकॉर्डेड डेटा को संग्रहित, विश्लेषण और शिकायतों के आधार पर कार्रवाई करने के लिए मजबूत आईटी प्रणाली की ज़रूरत होगी।

  • कानूनी सीमा निर्धारण: यह तय करना होगा कि किस ध्वनि स्तर तक अनुमति दी जाए, और यदि आयोजक ज़्यादा आवाज़ निकाले तो कितनी अवधि में चेतावनी दी जाए या कार्रवाई की जाए।

  • समुदाय की सहमति: कुछ स्थानों पर लोग कार्यक्रम चाहते हैं — इसलिए यह नियम लागू करते समय स्थानीय जनता, आयोजकों और प्रशासन को एक साथ विचार करना होगा ताकि सभी की सहमति बनी रहे।

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