दुर्ग यूनिवर्सिटी में 732 सीटें खाली, यूनिवर्सिटी पोर्टल फिर से खुलने जा रहा है

दुर्ग यूनिवर्सिटी में 732 सीटें खाली, यूनिवर्सिटी पोर्टल फिर से खुलने जा रहा है

11, 8, 2025

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दुर्ग। सरकारी कॉलेजों में इस शिक्षा सत्र में करीब 732 सीटें अभी भी खाली पड़ी हुई हैं। उच्च शिक्षा विभाग के निर्देश पर दुर्ग यूनिवर्सिटी का प्रवेश पोर्टल फिर से खोले जाने की तैयारी है, ताकि उन छात्रों को अवसर मिल सके जो प्रवेश की अंतिम तिथि चूक गए थे। यह फैसला शिक्षा और छात्र अधिकारों की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


खाली सीटों की स्थिति

  • सरकारी कॉलेजों में स्नातक (यूजी) और परास्नातक (पीजी) विभागों की अलग-अलग शाखाओं में कुल मिलाकर 732 सीटें भरी नहीं जा सकीं।

  • ये रिक्त सीटें 11 कॉलेजों में पाई गई हैं।

  • विशेष तौर पर, कुछ कॉलेजों में U.G. की सीटें पूरी तरह भर गईं, लेकिन P.G. की सीटों में ज्यादा खालीपन है। 


क्यों हुआ रिक्त सीटों का ये हाल?

  • प्रवेश की अंतिम तिथि 15 अगस्त थी, पर कई छात्रों ने समय रहते आवेदन नहीं किया।

  • छात्रों के नाम लगभग सभी कॉलेजों में आए थे, लेकिन वे सिर्फ एक-दो कॉलेजों में प्रवेश लेलें, जिससे दूसरे कॉलेजों की सीटें खाली रहीं। 

  • कट-ऑफ प्रतिशत पिछले सालों की तुलना में लगभग 5 से 7 प्रतिशत कम था, लेकिन इसके बावजूद इतनी सीटें खाली रहीं।


छात्रों की मांग और अभाविप की भूमिका

  • अभाविप (छात्र संगठन) ने यूनिवर्सिटी कुलपति के नाम ज्ञापन दिया है कि खाली सीटों को देखते हुए प्रवेश पोर्टल फिर से खोला जाए।

  • उनका मानना है कि समय या सूचना की कमी के कारण कई योग्य छात्र-छात्राएं इस अवसर से वंचित हो गए।


विभाग और विश्वविद्यालय की पहल

  • उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया है कि पोर्टल पुनः खोला जाए ताकि चूके हुए विद्यार्थी भी आवेदन कर सकें।

  • विश्वविद्यालय ने कहा है कि छात्र 5 सितंबर तक प्रवेश ले सकेंगे। यह एक सीमित अवधि के लिए पोर्टल खुलने की अवधि होगी।

  • इसके अलावा, कॉलेजों में समयपालन, सुविधा आदि पर ध्यान देने की बात कही गई है।


पढ़ाई-प्रशासन संबंधी अंक

  • सरकारी कॉलेजों में कक्षाएँ एक जुलाई से नियमित रूप से शुरू हो गई हैं।

  • प्राध्यापक और प्राचार्यों को अनिवार्य किया गया है कि वे कॉलेजों में सात घंटे रहें जिनमें अध्ययन-अध्यापन, प्रायोगिक कार्य, शोध और पुस्तकालय कार्य जैसे काम शामिल हों।

  • यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र-अनुभव दोनों बेहतर हो सकें।


सामाजिक और शैक्षणिक प्रभाव

  • इस कदम से छात्रों में राहत की भावना है कि दाखिला प्रक्रिया एक और अवसर दे रही है। कई विद्यार्थी जिन्होंने समय रहते फॉर्म नहीं भरा, अब उम्मीद जगा रहे हैं।

  • अन्य कॉलेजों की रिक्त सीटों से यह पता चलता है कि सूचना प्रसार, प्रोमोशन या आवेदन प्रक्रिया में कहीं कमी रही है।

  • प्रशासन के इस फैसले को छात्र-समुदाय में न्याय का कदम माना जा रहा है, क्योंकि शिक्षा से वंचित रहने वालों को अवसर मिलेगा।


चुनौतियाँ और सुझाव

  • अभियान और सूचना वितरण: विश्वविद्यालय और विभाग को चाहिए कि वे समय से सूचना पहुंचाएँ—बैनर, सोशल मीडिया, कॉलेज कार्यालय आदि के माध्यम से।

  • प्रवेश प्रक्रिया को आसान बनाना: आवेदन प्रक्रिया आसान और स्पष्ट होनी चाहिए, शुल्क, दस्तावेज़ और अन्य चीज़ें ठीक समय पर बताई जाएँ।

  • रिक्त सीटों का विश्लेषण: पता लगाना होगा कि कौन-सी शाखाएँ हैं जहाँ रिक्तता अधिक है, किस कॉलेज में कम आवेदन हुए, क्यों छात्रों ने चयनित कॉलेज नहीं अपनाया।

  • गुणवत्ता सुनिश्चित करना: खाली सीटें यह संकेत होती हैं कि कुछ कॉलेजों की प्रतिष्ठा या सुविधाएँ शायद उतनी आकर्षक नहीं हो रही हों; सुधार की गुंजाइश है।


निष्कर्ष

दुर्ग यूनिवर्सिटी में 732 रिक्त सीटें इस तथ्य को उजागर करती हैं कि प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह से सफलता नहीं रही। लेकिन विश्वविद्यालय और विभाग का यह निर्णय कि पोर्टल फिर से खोला जाए, छात्रों को एक न्यायोचित अवसर देने जैसा कदम है।

अगर यह प्रवेश पुनः आवेदन अवधि ठीक से उपयोग में लिया जाए, तो कई छात्र उच्च शिक्षा के मौके नहीं खोएँगे। इस तरह के समय-से-समय सुधार शिक्षा तंत्र को अधिक समावेशी और न्यायसंगत बनाएँगे।

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