बस्तर दशहरा 2025: जगदलपुर में 'जोगी बिठाई' की रस्म सम्पन्न

बस्तर दशहरा 2025: जगदलपुर में 'जोगी बिठाई' की रस्म सम्पन्न

11, 8, 2025

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बस्तर में मनाया जाने वाला दशहरा पर्व अपनी विशिष्ट परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। इस वर्ष, जगदलपुर में 'जोगी बिठाई' की रस्म 24 सितंबर 2025 को विधिपूर्वक सम्पन्न हुई।

🕉जोगी बिठाई की रस्म का महत्व

'जोगी बिठाई' बस्तर दशहरा की एक महत्वपूर्ण और प्राचीन परंपरा है, जिसमें एक व्यक्ति नौ दिनों तक निर्जल तपस्या करता है। यह रस्म सिरहासार भवन में आयोजित की जाती है, जो जगदलपुर के ऐतिहासिक स्थल मावली माता मंदिर के समीप स्थित है। इस रस्म का उद्देश्य देवी दंतेश्वरी से क्षेत्र की समृद्धि और दशहरा महापर्व के निर्विघ्न संपन्न होने की कामना करना है।

रस्म की प्रक्रिया

ग्राम आमाबाल के निवासी रघुनाथ नाग ने इस वर्ष जोगी बिठाई की रस्म अदा की। उन्हें नए वस्त्र पहनाए गए और मावली माता मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद सिरहासार भवन में एक गड्ढे में बैठाया गया। यह गड्ढा देवी दंतेश्वरी की आराधना स्थल के रूप में तैयार किया गया था। रघुनाथ नाग अब नौ दिनों तक इस गड्ढे में बैठकर तपस्या करेंगे।

परंपरा और संस्कृति का संरक्षण

'जोगी बिठाई' की रस्म बस्तर की आदिवासी संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक है। यह परंपरा न केवल क्षेत्रीय धार्मिक विश्वासों को प्रकट करती है, बल्कि स्थानीय लोगों की सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित करती है।

इस रस्म के माध्यम से बस्तर दशहरा महापर्व की शुरुआत होती है, जो 75 दिनों तक विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ मनाया जाता है। इस दौरान देवी दंतेश्वरी की पूजा, रथ यात्रा, और अन्य पारंपरिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

'जोगी बिठाई' की रस्म बस्तर दशहरा महापर्व की शुरुआत का प्रतीक है और यह क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखे हुए है।

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