छत्तीसगढ़ में आदिम जाति-प्रधान (tribal dominated) क्षेत्रों को मूलभूत सुविधाएँ देने के उद्देश्य से "आदि कर्मयोगी अभियान" की शुरुआत की जा रही है।

छत्तीसगढ़ में आदिम जाति-प्रधान (tribal dominated) क्षेत्रों को मूलभूत सुविधाएँ देने के उद्देश्य से "आदि कर्मयोगी अभियान" की शुरुआत की जा रही है।

24, 9, 2025

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छत्तीसगढ़ में “आदि कर्मयोगी अभियान” नामक एक महत्वाकांक्षी पहल शुरू की गई है, जिसका मकसद आदिवासी बहुल गाँवों में मौजूद बुनियादी कमियों की पहचान करना और उन्हें दूर करना है। इस अभियान की शुरूआत राजधानी रायपुर में एक चार दिवसीय राज्य-स्तरीय कार्यशाला से हुई, जिसमें जिला और राज्य स्तर के मास्टर ट्रेनर्स को तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने किया। उन्होंने कहा कि अभियान की सफलता स्थानीय लोगों से सरल, सहज और मैत्रीपूर्ण तरीके से संवाद करने पर निर्भर करेगी। इसलिए, अभियान में उन “आदि कर्मयोगी” स्वयंसेवकों को शामिल किया जाएगा, जो स्थानीय बोलियाँ — जैसे गोदी, हल्बी, भत्री, सादरी — समझते हों। ये कर्मयोगी हर गाँव के प्रत्येक परिवार से मिलेंगे और उनकी आजीविका, स्वास्थ्य, पोषण, प्रसव एवं टीकाकरण आदि विषयों पर चर्चा करेंगे।

सरकार ने राज्य के 28 जिलों में फैले 138 विकास खंडों में लगभग 1,33,000 कर्मयोगियों का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा है। ये कर्मयोगी गाँवों में “आदि सेवा केन्द्र” स्थापित करने में भी योगदान देंगे। इन केंद्रों के ज़रिए योजनाओं का सुचारू क्रियान्वयन, समस्या-निवारण और व्यवस्था की निगरानी हो सकेगी।

आदिवासी समुदाय को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए “धरती आबा” और “पीएम-जनमन” जैसे अभियान भी इसी दिशा में प्रयास कर रहे हैं। इन पहलों के माध्यम से आदिवासी बहुल गाँवों में आवास, सड़कों, जलापूर्ति, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूल सुविधाएँ सुनिश्चित करने की योजना है।

2 अक्टूबर 2025 को गाँवों में आयोजित ग्राम सभाओं में उन महत्वपूर्ण कमियों की व्यापक चर्चा होगी, जिनसे गाँवों का सर्वांगीण विकास बाधित है। इन चर्चाओं के आधार पर उपाय योजनाएँ तैयार की जाएँगी।

इस कार्यक्रम में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, आदिवासी मामलों का विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग व सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अधिकारी उपस्थित थे। 105 प्रशिक्षुओं एवं मास्टर ट्रेनर्स ने अपने अनुभव साझा किए।

मुख्य सचिव ने यह स्पष्ट किया कि सरकारी योजनाएँ तभी सफल होंगी जब समुदाय द्वारा उन्हें स्वीकार किया जाए। गाँवों में भरोसा उत्पन्न करना, योजनाओं को पारदर्शी बनाना और स्थानीय भागीदारी सुनिश्चित करना इस अभियान की दिशा तय करेगा।

यह पहल चुनौतियों से भरी है — दूरदराज क्षेत्रों तक पहुँच, संसाधन सीमितता, प्रशासनिक अड़चनें और जनता के बीच विश्वास का अभाव — लेकिन यदि यह सफल हो जाए, तो यह आदिवासी समाज को सशक्त बनाने और उन्हें विकास की मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

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