दृष्टि और श्रवण बाधित छात्र-छात्राओं के स्कूल में फल वितरण

दृष्टि और श्रवण बाधित छात्र-छात्राओं के स्कूल में फल वितरण

24, 9, 2025

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पामगढ़, कबीरधाम (छत्तीसगढ़) — सेवा पखवाड़ा कार्यक्रम के अंतर्गत पामगढ़ के दृष्टि एवं श्रवण बाधित (visually and hearing impaired) छात्र-छात्राओं को एक विशेष कार्यक्रम में फल वितरित किए गए। इस पहल का मकसद बच्चों में स्वस्थ्य आहार की समझ जगाना और उन्हें पोषण की ज़रूरतों से अवगत कराना था। 

कार्यक्रम का आयोजन और उद्देश्य

इस कार्यक्रम को सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत रखा गया। उपस्थित आयोजकों और अतिथियों ने बच्चों को संतुलित आहार लेने की महत्ता बताई। उन्होंने यह बताया कि किस तरह फल विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्व प्रदान करते हैं, जो बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होते हैं। 

इस वितरण के दौरान विशेष ध्यान रखा गया कि फल बच्चों तक सुरक्षित, स्वच्छ और समय पर पहुँचे। साथ ही बच्चों को हेल्थ टिप्स और पोषण संबंधी जानकारी भी दी गई, ताकि वे ना सिर्फ देख लें बल्कि समझें कि उन्हें क्या खाना चाहिए और क्यों। 

भागीदारी और उपस्थित लोग

कार्यक्रम में स्कूल के शिक्षक, स्टाफ, आयोजक और स्थानीय प्रशासन के प्रतिनिधि उपस्थित थे। उन्होंने बच्चों को संबोधित किया और कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया। 

उपस्थित अतिथियों ने बच्चों को प्रेरित करने के लिए स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी संदेश दिए। उन्होंने बताया कि कैसे छोटे-छोटे कदम — जैसे रोज़ एक फल खाना — दीर्घकालीन स्वास्थ्य के लिए बहुत मायने रखता है। 

बच्चों पर प्रभाव

इस तरह की पहल न सिर्फ बच्चों को ताजे फल प्रदान करती है, बल्कि उन्हें स्वस्थ आदतें अपनाने की प्रेरणा भी देती है। दृष्टि और श्रवण बाधित बच्चों के लिए यह खास रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देना पड़ता है।

फल वितरण से बच्चों को पोषण मिलता है, उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और वे कम बीमारियों से प्रभावित होते हैं। साथ ही, यह कार्यक्रम बच्चों की आत्मा में यह भावना जगाता है कि वे दूसरों की तरह सुधर स्वास्थ्य और स्वच्छ जीवन जी सकते हैं।

समापन और आगे की दिशा

यह कार्यक्रम एक सकारात्मक उदाहरण है कि कैसे सरकारी या सामाजिक पहल एक छोटे से कदम से बड़े प्रभाव की शुरुआत कर सकती है।

आगे की दिशा में यह अपेक्षित है कि इस तरह की गतिविधियाँ नियमित रूप से हों — न सिर्फ सेवा पखवाड़ा में, बल्कि स्कूलों में पोषण कार्यक्रम, स्वास्थ्य संगोष्ठियाँ और बच्चों को जागरूक करना जारी रखा जाए।

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