अंबिकापुर: शराब के नशे में पिता ने 2 साल के मासूम को जमीन पर पटक कर मार डाला

अंबिकापुर: शराब के नशे में पिता ने 2 साल के मासूम को जमीन पर पटक कर मार डाला

11, 8, 2025

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अंबिकापुर। ग्राम करजी में एक अत्यंत दर्दनाक घटना सामने आई है जहाँ एक पिता ने शराब के नशे में अपने 2 साल के मासूम बेटे की बेरहमी से हत्या कर दी। घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, कहानी का भावनात्मक पहलू और कानूनी दायरा दोनों ही गहरे असर छोड़ रहे हैं।


घटना की शुरुआत

पिता जुगलाल नामक व्यक्ति शराब का आदी था। कुछ समय से उसकी पत्नी, विनीता, उसके व्यवहार और मारपीट से परेशान थी, और लगभग एक वर्ष पहले मायके चली गई थी। उनके दो साल के बेटे हर्षित के साथ रह रही थी।

कुछ दिन पहले जुगलाल ने अपने बेटे को लेने की कोशिश की, कहने लगा कि “बिना बाबू के नहीं जी सकता”। विनीता ने मना कर दिया और बेटे को लेकर घर गई, लेकिन बाद में जुगलाल अपने पिता के घर आया और बेटे को अपने साथ ले गया।

हत्या की जानलेवा घटना

सुबह के समय, जब बेटे हर्षित को गांव की पड़ोसी महिला के घर भेजा गया था, घटना का समय शुरू हुआ। महिला ने बताया कि हर्षित कुछ खा रहा था कि तभी आरोपी जुगलाल वहाँ पहुँच गया।

विनीता और अन्य रिश्तेदारों की मौजूदगी में जुगलाल ने हर्षित का हाथ पकड़कर घसीटा, दरवाज़े के पास पटक दिया और पैरों से मारा। चोट लगने पर बच्चा बेहोश हो गया।

उसके बाद उसने बच्चा अपने घर ले जाकर चटाई पर सुला दिया। जब अगले कुछ समय बाद कोई सुधार नहीं हुआ, तो परिजन उसे अस्पताल ले गए जहाँ चिकित्सकों ने बच्चे को मृत घोषित किया।


पिता का घिनौना फोन कॉल और गिरफ्तारी

हत्या से पहले, जुगलाल ने विनीता को फोन किया और कहा कि “मैं बाबू को मार रहा हूँ।” इस कॉल ने दिखाया कि मामला केवल एक दुर्घटना नहीं बल्कि जान बूझ कर हिंसा है।

पुलिस को घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची। आरोपी जुगलाल को गिरफ्तार कर लिया गया और हत्या के आरोप में न्यायालय में पेश किया गया।

सामाजिक और पारिवारिक परिदृश्य

  • विनीता (मां) अब सदमे में है — उसने बताया कि पति का शराब पीना रोज़मर्रा की लड़ाइयों का कारण था।

  • गाँव वालों का कहना है कि मारपीट और घरेलू हिंसा की घटनाएँ समय-समय पर होती थीं, लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि मामला ऐसे खतरनाक मोड़ पर पहुँचेगा।

  • हर्षित का छोटे भाई-बहन है और अब परिवार आर्थिक और मानसिक दोनों तरह से टूट चुका है।


पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया

  • पुलिस ने हत्या की प्राथमिकी दर्ज कर ली है। आरोपी पर हत्या की धारा लगाई गई है।

  • चिकित्सकीय परीक्षण (post-mortem) रिपोर्ट की प्रतीक्षा है, जिसमें मौत का कारण, चोटों की स्थिति और वक्त की स्थिति स्पष्ट होगी।

  • पुलिस आसपास के लोगों और रिश्तेदारों से पूछताछ कर रही है ताकि पता चले कि कोई और भी शामिल तो नहीं था, घटना से पहले क्या-क्या हुआ था।


कानूनी और मानवाधिकार दृष्टिकोण

  • हत्या की श्रेणी में हत्या की धारा (IPC) लग सकती है, क्योंकि यह जानबूझ कर की गई हिंसा है।

  • आरोपी के गुनाह सिद्ध होने पर जेल की सजा होगी।

  • बच्चे का बचाव नहीं हो सका, और घरेलू हिंसा के मामले समय रहते नहीं सुलझे। यह घटना चेतावनी है कि नशा, हिंसा और घरेलू मामलों के बीच जो खाई है, उसकी गंभीर समीक्षा होनी चाहिए।


समाज पर गहरा असर

  • इस घटना ने यह बात साबित कर दी कि समाज में अक्सर घरेलू हिंसा को हल्के में लिया जाता है, या पीड़ितों को सहायता नहीं मिलती।

  • पड़ोसियों और गाँव में डर की हवा है कि यदि ऐसा कुछ हो, तो क्या कोई बचाएगा?

  • सामाजिक कार्यकर्ता कह रहे हैं कि शराब नशे के कारण उत्पन्न हिंसा पर कानून व्यवस्था सक्रिय हो, अस्पताल-चिकित्सा सहायता और मनोवैज्ञानिक सलाह उपलब्ध हो।


सुझाव और आगे की राह

  1. घरेलू हिंसा रोकने के उपाय: स्थानीय सरकार को सामाजिक कार्यों के माध्यम से लोगों को शिक्षित करना चाहिए कि किसी भी प्रकार की हिंसा, विशेषकर नशे की स्थिति में, अपराध है।

  2. माता-पिता शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम: शराब की लत, तनाव प्रबंधन, पारिवारिक संबंधों को स्वस्थ रखने की शिक्षा होनी चाहिए।

  3. मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक सहायता केंद्र: पीड़ित परिवार को काउंसलिंग और समाज की मदद मिलनी चाहिए।

  4. कानूनी सुचारु प्रक्रिया: इस तरह की घटनाओं में जांच त्वरित होनी चाहिए और दोषियों को न्याय दिलाने के लिए न्यायिक प्रणाली सहायक हो।


अंबिकापुर की यह घटना न केवल एक मासूम की जान लेने की कहानी है, बल्कि सामाजिक व कानूनी चुनौतियों, घरेलू हिंसा, नशे और परिवार के टूटने की कहानी भी है।

ये घटना हमें याद दिलाती है कि बच्चों की सुरक्षा हमारा कर्तव्य है, और जब घर के अंदर विश्वास टूटता है, तो उसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।

अगर न्याय प्रक्रिया न्यायपूर्ण तरीके से पूरी हो, तो परिवार को कुछ सांतवना मिल सकेगी और यह एक चेतावनी बनेगी कि हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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