विधायक और ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग रखी

विधायक और ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की मांग रखी

24, 9, 2025

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कबीरधाम जिले में एक विवादास्पद घटना के बाद स्थानीय विधायक और ग्रामीणों ने पुलिस कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। उनका आरोप है कि कुछ पुलिसकर्मियों ने अपनी सीमाओं से बाहर जाकर गैरकानूनी एवं अनुचित व्यवहार किया, जिससे लोगों में आक्रोश फैल गया।

घटना का मूल और आरोप

घटना की शुरुआत तब हुई जब पुलिस विभाग के कुछ कर्मियों की ओर से की गई कार्रवाई को लेकर ग्रामीणों की नाराजगी सामने आई। ग्रामीणों और स्थानीय विधायक का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया, संभवतः मारपीट, छेड़छाड़ या अतिचार किया गया।

जब यह मामला विधायक के संज्ञान में आया, उन्होंने तुरंत गाँवों से संपर्क स्थापित किया और ग्रामीणों की शिकायतें सुनीं। उन्होंने कहा कि यदि आरोप सही पाए गए, तो संबंधित पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई होनी चाहिए।

ग्रामीणों की आपत्तियाँ

ग्रामीणों का कहना है कि वे लगातार पुलिस किन्हीं मामलों में अनियमित एवं अनुचित तरीके से हस्तक्षेप करती दिखी है। वे अपेक्षा करते हैं कि कानून वही लागू हो जो आम जनता के लिए हो — पुलिस पर भी उसी सीमा में जवाबदेही हो।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि पुलिस पर कोई मार्गदर्शन, निगरानी या जवाबदेही का तंत्र होगा, तो आम जनता की सुरक्षा और न्याय की भरोसा दोनों बढ़ेंगे।

विधायक की भूमिका और मांग

स्थानीय विधायक ने इस घटना के प्रकाश में आने के बाद मुख्यमंत्रालय, पुलिस विभाग और जिलाधिकारी से तत्काल संज्ञान लेने का आग्रह किया है। उन्होंने यह मांग उठाई है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

विधायक का कहना है कि जब लोक प्रतिनिधि और जनता मिलकर आवाज उठाते हैं, तो प्रशासन को व्यवहारिक कदम उठाने में मजबूरी होती है। उन्होंने आशा जताई कि इस घटना को किसी दबाव या प्रबंधन की तरह नहीं बल्कि न्यायोचित तरीके से सुलझाया जाएगा।

प्रशासन की प्रतिक्रिया की अपेक्षा

इस तरह की मांगों के सामने अब प्रशासन के पास दो रास्ते हैं:

  1. तत्काल और पारदर्शी जांच — एक भरोसेमंद अधिकारी को जांच सौंपी जाए, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सबूतों की समीक्षा की जाए।

  2. सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई — यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित पुलिस अधिकारियों को निलंबन, स्थानांतरण या अन्य विभागीय सजा दी जाए।

ग्रामीणों और विधायक दोनों चाहते हैं कि इस मामले में प्रशासन निष्पक्ष रवैया अपनाए, और इस तरह की घटनाएँ भविष्य में न हों।

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