NHM कर्मचारियों को सरकार की चेतावनी: हड़ताल जारी रही तो सेवा समाप्ति और ‘जेल भरो आंदोलन’ की तैयारी

NHM कर्मचारियों को सरकार की चेतावनी: हड़ताल जारी रही तो सेवा समाप्ति और ‘जेल भरो आंदोलन’ की तैयारी

11, 8, 2025

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रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने लगभग 16,000 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा कर्मचारियों को अल्टीमेटम दिया है कि वे देर तक हड़ताल पर बैठे रहें, तो उनके खिलाफ सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी। कर्मचारियों ने भी सरकार की चेतावनी को खारिज करते हुए आज “जेल भरो आंदोलन” करने की घोषणा की है।


हड़ताल की शुरुआत और मांगें

18 अगस्त से राज्य के NHM स्टाफ़ द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल चल रही है। कर्मचारियों की मांगों में शामिल हैं:

  • सेवा नियमितीकरण

  • ग्रेड पे / वेतनमान में वृद्धि

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य कैडर की स्थापना

  • भुगतान अवकाश (leave)

  • मेडिकल या अन्य आपात स्थितियों में छुट्टी की सुविधा

  • न्यूनतम कैशलेस स्वास्थ्य बीमा (उच्च राशि)

  • पारदर्शी कार्य मूल्यांकन प्रक्रिया

  • स्थानांतरण नीति और सहानुभूत नियुक्तियाँ आदि

ये सारे मुद्दे पिछले कई वर्षों से कर्मचारियों द्वारा उठाये जा रहे थे, और उन्होंने दिए गए वायदे पूरे न होने पर हड़ताल का निर्णय लिया।


सरकार की चेतावनी

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने स्पष्ट किया है कि हड़ताल के चलते स्वास्थ्य सेवाएँ प्रभावित हो रही हैं, और सार्वजनिक हित को देखते हुए यह स्थिति स्वीकार्य नहीं है।

  • विभाग ने निर्देश दिए हैं कि अगर कर्मचारी नियत समय तक ड्यूटी पर नहीं लौटे, तो उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जा सकता है।

  • नो वर्क, नो पे’ नीति लागू की जा रही है, जिसका मतलब है कि हड़ताल के दौरान अग्रिम अनुमति न लेने वाले कर्मचारियों का वेतन नहीं दिया जाएगा।

  • मुख्यमंत्री स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHOs) को हिदायत दी गयी है कि बिना उपस्थिति के मामलों की सूचियाँ तैयार करें और सेवाएँ समाप्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ करें।


“जेल भरो आंदोलन” की घोषणा

कर्मचारी यूनियन ने सरकार की चेतावनी को दबाव बढ़ाने की कोशिश बताया है।

  • यूनियन का कहना है कि उन्होंने कई मुलाकातें कीं, पत्र लिखा, लेकिन मांगें अभी भी पूरी नहीं हुईं।

  • उन्होंने घोषणा की है कि यदि सरकार ने तुरंत कारवाई नहीं की, तो आज “जेल भरो आंदोलन” होगा — यानी कार्यस्थल पर लौटने के बजाय उन्होंने आंदोलन को और लंबा खींचने का मन बना लिया है।

  • यूनियन नेताओं ने कहा कि समस्या केवल वेतन या छुट्टी की नहीं, बल्कि संविदा स्थिति, सम्मान और आधारभूत गरिमा की है।


स्वास्थ्य सेवाओं पर असर

हड़ताल का सीधा असर राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर हो रहा है:

  • गाँव-देहात में सब-हेल्थ क़ेंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं में काम प्रभावित है।

  • अस्पतालों में ओपीडी सेवाएँ (OPD), जांच, टीकाकरण कार्यक्रम और स्वास्थ्य अभियान कई विभागों में बन्द या अर्ध-बन्द स्थिति में हैं।

  • जनता को दवा-इमरजेंसी और सामान्य जांच-उपचार के लिए इंतज़ार करना पड़ रहा है, जिससे विशेषकर ग्रामीण इलाकों में लोग परेशान हैं।


सरकार का रुख और प्रतिक्रियाएँ

  • सरकार ने कहा है कि निष्क्रिय रहना और उपस्थिति न देना सार्वजनिक सेवा में दरक है और ऐसे काम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

  • विभाग ने एक समिति बनाई है जो कर्मचारियों की मांगों पर रिपोर्ट देगी। कुछ मांगों पर सहमति हो चुकी है, जबकि अन्य अभी विचाराधीन हैं।

  • विपक्षी दलों और कार्यकर्ता यूनियन सरकार की कार्रवाई को कठोर बता रहे हैं और मांगों के पूरी तरह पूरा होने की घोषणा कर रहे हैं।


संभावित आगे की स्थिति

  • यदि कर्मचारी समय पर ड्यूटी पर नहीं लौटेंगे, तो बर्खास्तगी की कार्रवाई हो सकती है, और उनकी जगह नई नियुक्तियाँ हो सकती हैं।

  • “जो लोग आंदोलन में आगे हैं, उनमें से कुछ को अग्रिम नोटिस भेजा गया है” — सरकार ऐसी जानकारी दे रही है।

  • स्वास्थ्य सेवाएँ कमजोर जिलों में और प्रभावित होंगी, जिससे सरकारी नीतियों पर दबाव बढ़ेगा कि समाधान निकाला जाए।


हड़ताल और सरकार के बीच खिंचाव इस बात को दर्शाता है कि संविदा कर्मचारियों को न्याय और सम्मान मिलना चाहिए। 16,000 NHM कर्मचारियों की स्थिति सिर्फ़ वेतन-छुट्टी की लड़ाई नहीं है, बल्कि स्थायित्व, सामाजिक न्याय और सेवा की गरिमा का मामला है।

सरकार और यूनियन, दोनों के पास चुनाव है कि या तो बातचीत का रास्ता चुना जाए, या फिर मामला और बढ़े। आज का “जेल भरो आंदोलन” जनता के स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरा असर डाल सकता है। उम्मीद है कि कोई ऐसा रास्ता निकले जिससे हड़ताल समाप्त हो और मांगों पर कार्यवाही हो सके।

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